हफ्ते में संडे की, काशी में पंडे की।
चेलों में गंडे की,महिमा अनंत है।।
आफिस में प्यून की,गीतों में ट्यून की।
कोणों में न्यून की,महिमा अनंत है।।
खिलाड़ी में दम की,घमंड में अहम की।
आतंक में बम की,महिमा अनंत है।।
मुंह में छालों की,रिश्तों में सालों की।
बस्ती में नालों की,महिमा अनंत है।।
तालों के ताली की, इश्क में साली की।
झगड़े में गाली की,महिमा अनंत है।।
बारिश में भादों की,मौसमी इरादों की।।
चुनाव में वादों की ,महिमा अनंत है।।