जीवन एक साबुन का बुलबुला है,
सुंदर, मनभावन,रंगीन।
तभी तक ,जब तक अस्तित्व में है।
उसके बाद एक विराट शून्य !
जीवन एक अमरबेल है।
यह जीव के जमीर पर सवार है।
एक जीवन जमीर नष्ट करने के बाद,
दूसरा जीवन भी नष्ट कर सकता है!
जीवन एक लतीफा है,
एक गंभीर लतीफा।
जिसने समझा,
वही उसका आनंद ले पाता है।
जीवन एक पहेली है।
सदियों से बूझी जा रही है।
बहुतों ने बूझने का दंभ भरा,
फिर भी अबूझ बनी हुई है!
जीवन एक खेल है,
खिलवाड़ है।
लेकिन क्यों खेला जा रहा है?
पता नहीं!
जीवन एक सवाल भी है।
किसने किया और किससे?
फिर क्यों किया ?
यही तो मालूम नहीं!
©कमल कांत