वो जो तूफानी करते हैं,अपनी मनमानी करते हैं।
पत्थर फेंकें हुड़दंग मचायें,बेशर्मी से धाक जमायें।।
वाहन फूंकें ,धुंआ उड़ायें,मुद्दों को वो ही गरमायें।।
लम्बी चौड़ी भाषण बाजी,खुद ही बन बैठे हैं काजी।।
जन आंदोलन की राह, बनी नहीं है सरल।
बाधा,बदनामी मिले,पीनी पड़ती गरल।।इतिहास नया भी बनता है, सुन लो कहती जो जनता है।
मिट गये नहीं सुनने वाले, अपनी धुन में रहने वाले।।
ये देश हमारा प्रजातंत्र, जनता ऊपर है यही मंत्र।
सिर पर पहना है ताज अगर,चलना होगा इंसाफ डगर।।
कानून हमेशा ऐसा हो,जो दिखने में भी वैसा हो।
हर कोई उसको समझ सके,आवरण न कोई उसे ढके।।
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान!!