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गुस्ताखियां

22 अक्टूबर 2021

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1.दंगा:
           जलते टायर सड़क पर,  धुंआ रहा था फैल।
          क्या पुलिस क्या दंगाई,  इक कालिख इक मैल।।

2.आंदोलन:
                अपनी मांगों पर अड़ो,सही समय को देख।
                  कूद पड़ो मैदान में,ना है लछिमन रेख।।

3.घोटालेबाज:
        घोटालों के दोष पर,कभी न हिम्मत हार।
         नीचे से ऊपर तलक, जुड़े सभी के तार।।
 4.एनकाउंटर
            पब्लिक सब चिल्ला रही,पीट पीट कर ढोल।

              कांटे से कांटा गया, लेकिन इसमें पोल।।

              लेकिन इसमें पोल, बात को समझो काकी।

             छुटे सांड़ सी हुई, पुलिस की वर्दी खाकी।।

              कहें 'कमल ' कविराय,सभी माथा ठोकेंगे।                   

             खुद पर होगा ज़ुल्म ,और दुःख को भोगेंगे।।

              


Shailesh singh

Shailesh singh

जीवन के सत्य को आपने दर्शा दिया सर रचना में बेहतरीन लेख

22 अक्टूबर 2021

उमेश शुक्ल

उमेश शुक्ल

सुंदर रचना।

22 अक्टूबर 2021

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रचनाएँ
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31 अगस्त 2021
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