नया पंचतंत्र - सारस और लोमड़ी की कहानी
चालाक लोमड़ी सभी से मीठा बोलकर विश्वास जीत लेने का हुनर बाखूबी जानती थी। इसी तरह उसने एक सारस से भी दोस्ती गांठ ली थी। एक दिन उसने इस सारस को अपने घर दावत पर बुलाया। यह सारस लोमड़ी की मेहमान-नवाज़ी के इतिहास से परिचित था फिर भी उसके दावतनामे को कुबूल कर वह दावत वाले दिन लोमड़ी के घर समय पर पहुंच गया।
लोमड़ी सारस से माफ़ी मांगते हुए बोली,
"दोस्त, मैं तुम्हारे लिए कुछ ख़ास पकवान नहीं बना पाई। केवल सूप बना पाई हूं, आप स्वीकार कीजिए।"
सारस ने भी लापरवाही जताते हुए कहा,
"कोई बात नहीं, आप सूप ही ले आओ।"
चालाक लोमड़ी एक प्लेट में सूप परोस कर ले आई, जिसे देख कर सारस मुस्कुराने लगा। वह तो लंबी चोंच वाला जीव था, वह प्लेट में सूप पी ही नहीं सकता था। सारस को लोमड़ी की इस चाल की आशंका थी, इसलिए वह पूरी तैयारी से आया था। लोमड़ी सयानापन दिखाते हुए बोली,
"क्या आपको सूप अच्छा नहीं लगता?"
सारस ने जवाब दिया,
"ऐसा नहीं है, पहले मैं इसकी ख़ुशबू का लुत्फ लेना चाह रहा था।"
ऐसा कह कर सारस ने अपनी जेब से ब्लाटिंग पेपर की शीट निकालीं और उन्हें प्लेट में डाल कर सारा सूप सोख लिया। फिर अपनी चोंच से ब्लाटिंग पेपर के टुकड़े उठा-उठा कर थोड़ी ही देर में उन्हें निचोड़ते हुए सारा सूप पी डाला। सारस की इस चालाकी ने लोमड़ी को हतप्रभ कर दिया।
कहानी से सबक:
इतिहास पढ़ो और उससे सबक लो। इतिहास को दोहराने की भूल ना करो, कभी धोखा नहीं खाओगे।
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