यह कहानी है एक शेर और एक हाथी की . दोनों एक ही वन में रहा करते थे । एक मांसाहारी और दूसरा विशुद्ध शाकाहारी । किन्तु इन दिनों दोनों को ही अपने-अपने भोजन का प्रबंध करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था।प्रतिदिन शिकार से पशु संख्या कम हो चली थी .उधर निरंतर सूखे के कारण वन में पेड़ -पौधे भी कम होते जा रहे थे. अर्थात कठिनाइयाँ हर तरफ थीं.
शिकार की चिंता में एक दिन शेर भटकता -भटकता वन के उस भाग में जा पहुँचा जहाँ वानर श्रेष्ठ एक वृक्ष की ऊँची डाल पर बैठ प्रवचन कर रहा था. आस-पास अनेक पशु -पक्षी बैठे उसे ध्यान से सुन रहे थे । वह सब को शाकाहारी भोजन के फायदे समझा कर उन्हें शाकाहारी हो जाने की सलाह दे रहा था । शेर भी छुप कर प्रवचन सुनने लगा .उसने पहली बार शाकाहारी भोजन के फायदे सुने थे .वह सोच में पड़ गया । व्यर्थ ही वह अब तक शिकार करता आ रहा था । हाथी को देखो कितना बड़ा और शक्तिशाली पशु है .वह भी शाकाहारी ही है । शाकाहारी होने पर शिकार के लिए सबेरे से शाम तक भटकना भी बंद हो जायेगा . बस उस दिन से शेर ने शाकाहारी बन जाने की ठान ली.
शेर के शाकाहारी हो जाने से गीदड़,सियार जैसे चापलूस और उस के टुकड़ों पर पलने वाले पशुओं का जीवन यापन कठिन हो गया । शेर को समझाना कठिन था इसलिए उन सब ने हाथी को जा घेरा । हाथी की खूब प्रशंसा करते हुए वह सब उसे मांसाहार भोजन के फायदे गिनाने लगे । .आजकल सूखे के कारण हाथी को बड़ी मात्रा में अपने लिए शाकाहारी भोजन जुटाना कठिन हो रहा था .आसानी से वह धूर्त पशुओं के झांसे में आ कर मांसाहारी बन गया.
स्वभाव के विपरीत इन आचरणों को अंगीकार करने की वजह से दोनों पशु शेर व हाथी बीमार रहने लगे । शेर घास खाने का प्रयत्न करता तो उसे उबकाई आ जाती और दिन भर पेट दर्द रहता । हाथी भी अपना मांसाहारी भोजन न कर पाता .सारा भोजन गीदड़ और सियार हथिया लेते. हाथी भूखा रह जाता । लगातार बीमार रहने से वह दोनों कमजोर हो गए और एक दिन गीदड़ और सियार ने अपने स्वभाव के अनुकूल उन मृतवत पशुओं को मार गिराया.
संदेश
1. दूर के ढोल मात्र सुहावने दिखते हैं, होते नहीं.
2. स्वभाव के विपरीत आचरण विपत्ति को निमंत्रण है.
**