कौन आएगा यहां, कोई न आया होगा
बेशर्म हवाओं ने दरवाजा खटखटाया होगा
यह मेरा सिंगार और यूं सजना संवरना
सब है बेकार गर तेरा खत न आया होगा
मैं नाराज़ तो हूं लेकिन इतना भी नहीं
उन दरख्तों को आंधियों ने गिराया होगा
अश्कों की नुमाइश से परहेज़ था मुझको
बारिश ने ये दामन मेरा भिगाया होगा
कौन आएगा यहां कोई न आया होगा
बेशर्म हवाओं ने दरवाजा खटखटाया होगा