फुटकर विविध रचनाएं
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<p><br></p> <p>नया पंचतंत्र - सारस और लोमड़ी की कहानी</p> <p>चालाक लोमड़ी सभी से मीठा बोलकर विश्वास ज
<p><br></p> <p>कौन आएगा यहां, कोई न आया होगा<br> <br> बेशर्म हवाओं ने दरवाजा खटखटाया होगा</p> <p>यह
<p><br></p> <p>संभाला बहुत बिखर जाने से पहले।<br> सोचा बहुत हिचक जाने से पहले।।<br> आंखों में
<p><br></p> <p> उस को देखा तो ये, ख़याल आया।</p> <p>
<p>चिर-परिचित सी कोई धुन, जब पड़ती इन कानों में।<br> <br> तेरी यादों के जुगनू , चमके इन वीरान
<p><br></p> <p>जब कभी हम बीच में रह कर निकल जाने की कोशिश में रहते हैं तो अक्सर भूल जाते हैं कि युधि
<div align="left"><p dir="ltr">कुछ यादें और तन्हाई <br> मुझको लाईं मधुशाला ।<br> साकी अपनी आंख
<div align="left"><p dir="ltr">कभी-कभी मिल जाते यूं ही,अपने चलते -चलते।<br> कभी-कभी सपने जगते हैं,आं
<div align="left"><p dir="ltr">शहर से गुजरती थी रेल की पटरी,<br> गाड़ी का छुक-छुकाना याद आया |</p> <p
<div align="left"><p dir="ltr"><b>आत्मबोध</b><br> ...............<br> कुछ झिलमिल कुछ -कुछ कुहासे सी,
<div align="left"><p dir="ltr"><b><span style="font-size: 1em;">रखवाला कर्तव्य भूल कर,खुली आंख सोता
<div align="left"><p dir="ltr">हफ्ते में संडे की, काशी में पंडे की।<br> चेलों में गंडे की,महिमा अनंत
<div align="left"><p dir="ltr">कामवाली आज नहीं आई,<br> ऊपर के काम कौन करेगा?<br> साबुन इतना कै
<div align="left"><p dir="ltr"></p><div><br></div><ul><li><b> मांग में सिंदूर की, मय में अंगूर की।</
<div align="left"><p dir="ltr">चपरासी मुझको लगवा दो...<br></p> <p dir="ltr">हे प्रभु ! तुम दया के सा
<div align="left"><p dir="ltr"><br> गिरिधारी नटवर नागर, मोर मुकुट मोहे भाया।<br> सूरत मैं तेरी
वो जो तूफानी करते हैं,अपनी मनमानी करते हैं।<div>पत्थर फेंकें हुड़दंग मचायें,बेशर्मी से धाक जमायें।।</
<div>वह द्विविधा में थी कि सतीश के प्रस्ताव को किस तरह स्वीकार करे . उसके सुदर्शन व्यक्तित्व से वह प
<div align="left"><p dir="ltr"><b>बंधुराम किसी सरकारी कार्यालय में लिपिक थे. स्वभाव से बेहद नर्म और
<div align="left"><p dir="ltr">मिलेगी हमारी नज़र धीरे धीरे,<br> मोहब्बत करेगी असर धीरे धीरे ।
यह कहानी है एक शेर और एक हाथी की . दोनों एक ही वन में रहा करते थे । एक मांसाहारी और दूसरा विशुद्ध शा
<div align="left"><p dir="ltr"><b><u>व्यंग्य</u></b><b> विनोद की चाशनी में डुबा कर परोसी गई पुरानी क
<div align="left"><p dir="ltr">जीवन एक साबुन का बुलबुला है,<br> सुंदर, मनभावन,रंगीन।<br> तभी तक ,जब
<div align="left"><p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">अक्सर वही गीत गुनगुनाती हो क्यों
<div align="left"><p dir="ltr"><b>1.दंगा:</b><br> &n
नास्तिक कौन है?<div><br></div><div>नास्तिक शब्द से हमें ऐसे व्यक्ति का बोध होता है जिसकी प्रचलित धर्