ज़रा टूटा हुआ है,मगर बिखरा नहीं है ये,वफ़ा निभाने का हुनर इस दिल को अब भी आता है…तूँ भूल जाए हमे ये मुमकिन है लेकिन,हर शाम मेरे लब पे तेरा ज़िक्र अब भी आता है…हज़ारों फूल सजे होंगे महफ़िल मे तेरे लेकिन,मेरे किताबों मे सूखे उस गुलाब से खुश्बू
गुजरें जो गली से उसके,वो-दीदार याद आया पलते नफ़रतों के दरमियाँ,वो-प्यार याद आया आँखों से मिलने का वो इशारा करना उसका फिर करना तन्हा मेरा,वो इंतेजार याद आया शिकवे लिये लबों पे,बेचैन वो होना मेरा फिर चुपके से लिपट के उसका,वो इज़हार याद आया मिल के उससे दिल का,वो फूल सा खिल जा
क्यूँ उदास हुआ खुद से है तूँ कहीं भटका हुआ सा है,न जाने किन ख्यालों मे हर-पल उलझा हूआ सा है,बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या हैखोया-खोया सा रहता है अपनी ही दुनिया मे,गुज़री हुई यादों मे वहीं ठहरा हुआ सा है,बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या हैशीशा-ए-ख्वाब तो टूटा नहीं तेरे हा
मुहब्बत खुद उमड़ती है कभी हम तुम जो मिलते हैंमहकते फूल देखो कितने फिर बगिया में खिलते हैं भले आवाज़ ना आए पर हम सब कुछ समझ लेंगेतेरे लब क्या बताने को इतने धीमे से हिलते हैंकठिन राहों पे उल्फ़त की सभी तो चल नहीं पाते डटे रहते हैं जो इन पे बदन उनके ही छिलते हैंये क्या दुनिया बन
मैं तो तेरी दीवानी हूँ तू भी मेरा दीवाना हैंहर हाल में हमको तो ये रिश्ता निभाना हैतलाशा उम्र भर जिसको उसे मैं छोड़ दूँ कैसेमुहब्बत से भरा ए मीत तू ऐसा खजाना हैसुकूँ मिलता है मेरी रूह को जो गुनगुनाने सेओ मेरे साथियां तू ही तो वो मीठा तराना हैमुझे एहसास है देखो नहीं अब दूर तू मुझसेतभी तो बन गया ये आलम
देखती हूँ तुझे तो मुझको ये अभिमान होता है सिमट के बाहों में तेरी कितना सम्मान होता है अपनी आँखों से तूने मुझपे जैसी प्रीत बरसाईवही पाने का बस मनमीत का अरमान होता हैदीवानापन ना हो दिल में तो संग कैसे रहे कोईमहल भी ऐसे लोगों का फ़कत वीरान
सुकूँ पाना ज़माने में कभी होता ना आंसा हैकमी जल की नहीँ है पर समुन्दर देख प्यासा हैराह मंज़िल की पाने को चला हूँ मैं तो मुद्दत सेमगर ना रोशनी बिखरी ना ही हटता कुहासा हैबड़ा मजबूत हूँ मैं तो दिखावा सबसे करता हूँ मेरे अशआर में पर हाल ए दिल का सब खुलासा हैगैर तो गैर थे पर चोटें तो अपनों ने दीं मुझकोमगर त
मुहब्बत, तूने दी मुझको, तभी मैं, हो गया तेरातू आई, मेरी बाहों में, मिटा है, कुछ तो अँधेराजब से, सूरज हुआ मद्धिम, बशर देखा, नहीं कोईमगर, उम्मीद थी दिल में, कभी फिर होगा, सवेराबहारें, जब भी आती हैं, शाख पे पात, उगते हैंचहकते, पंछियों का, फिर वहाँ, होता है बसेरादिल की, दुनिया में मैंने, अब तलक बस, हार
आज, मेरी मुहब्बत की, तुम्हें ना कद्र, ज्यादा हैलगे, सब कुछ, भुलाने का, फ़कत, तेरा इरादा है अगर है, चाह इस मन में,, राह तो, बन ही जाएगी फिर तू, मजबूरियों का, क्यों यहाँ, ओढे लबादा हैबोझ, तन्हाइयों का, लो मैं फिर से, सर पे ले लूँगामैंने ग़म,
मुहब्बत हो गई तुमसे, करे क्या, दिल ये बेचारातन्हा बैठा है यादों में, मगर हिम्मत, नहीं हाराआस तो अब भी, जिंदा है, इस जीवन के, मेले मेंमिलन होगा यहाँ, अपना भी देखो, फिर से दोबारानहीं है भूख, इस तन की, तड़प है, मेरे सीने मेंमैं तो असली, पुजारी हूँ, नहीं हूँ , कोई आवारानिक
तुझको ख़बर, ए गुल नहीं, तुझ पर शबाब हैऐसा लगे, ज्यों इस पेड़ पर , लटकी शराब है नज़रों से मेरी, देख ले तू, खुद को, एक बार तुझको लगेगा, तुझ पे ये रूप , बेहिसाब हैमुझको थी तेरी जुस्तजू, पर, तू, गैर को मिलादोष दें, किसको यहाँ, मेरी किस्मत
सुन ले मैं, थक चुका हूँ, तेरे इंतज़ार मेंदूरी ये अच्छी नहीं, इतनी भी, प्यार मेंदुश्वारियां कबूल थी, जब साथ में, चलेखामोशी मगर, थी नहीं, अपने करार मेंमुझको, ख़बर हुई नहीं, तेरे मिजाज कीलेकिन, कमी ना है कोई, मेरे खुमार मेंजब से गए हो, तुम वहाँ, देता रहा सदाक्या तुमको, दर्द ना दिखा, मेरी पुकार मेंसहरा म
निभाना ही नहीं तुमको, तो क्यों, रिश्ता बनाते होइतने नज़दीक आ कर के, कहो क्यों, दूर जाते हो ज़माने से डरे हो तुम, हर इक शमा, बुझा डालीअँधेरों में तन्हा कर के, मुझे, हर पल सताते होएक तेरा साथ क्या छूटा, मैं तो, ग़मगीन बैठा हूँकुछ अपनी कहो, दिन रात
तुम्हारे प्यार का, मुझको सदा, एहसास होता हैमुहब्बत का, मधुर रिश्ता, बड़ा ही खास होता है सुकूँ पाने की चाहत में, जतन कितने, किए मैंने मुझे तो, ज़िन्दगी मिलती है, जब तू पास होता हैकिसी को जीतना है तो, उसे बस, प्रेम से जीतोमुहब
जो तेरे हुस्न का, बस एक यहाँ, दीदार हो जाएहर एक इंसान को, केवल तुझी से, प्यार हो जाए मुकद्दर का सिकंदर, दिल की दुनिया, में बनेगा वोजिसका सजदा, तेरे दरबार में, स्वीकार हो जाएअगर तू मुस्कुरा कर के, निशानी कोई, मुझे दे दे तेरी हर चीज़ पे, मेर
ये कैसा प्रेम है, मुझको नहीं तुम, याद करते होमैं कैसे मान लूँ, तुम मेरी छवि, सीने में धरते होदर्द तुमको अगर होता, तो चेहरे से, बयां होताजुदाई तुमको भाती है, तुम तो ऐसे, संवरते होबस एक सूरत है पहचानी, नहीं है, कोई भी नाता मेरे नज़दीक से, तुम तो फ़कत, ऐसे गुजरते होमुझे भी वो हुनर दे दो, फ़कत है पास, जो
चाह फूलों की थी मुझको, मगर कांटों ने घेरा हैनज़ारा कौन सा कुदरत ने देखो, पर उकेरा है मुहब्बत की चाह रखना, गुनाह कोई नहीं होतामगर इस वक्त ने देखो, हर एक, सपना बिखेरा हैरात तन्हाई की देखो, अब तो इतनी हुई लम्बीना ही तो नींद आती है, ना ही, होता सवेरा हैखुशी की चाह में मैंने, कभी अपनों की ना मानीमेरे दिल
ढूँढते हैं तुम्हें जब भी, किसी महफिल में जाते हैंसिवा तेरे हाल ए दिल औरों को, हम ना बताते हैं ढूँढ़ने का सबब तुमको, जो कोई पूछे यहाँ हमसेकई बरसों की शनासाई है, फ़कत हम ये जताते हैंप्यार नज़रों से मिलता है, जुबां से फूल झरते हैंबोल मीठे तेरे दिल को हमारे, कुछ ऐसे सुहाते हैं
छवि एक दूजे की दिल में, जहाँ में जब समाती है तभी बदनॉ को आपस में, महक फूलों की आती है अगर है मैल इस दिल में, हर इक रिश्ता हैं बेमानीना जाने क्यों मगर दुनिया यहाँ, इनको निभाती हैएक उल्फ़त के प्यासे को, जहाँ मिलती है ये दौलतदरो दीवार उस घर की, उसे हर पल बुलाती हैबड़ा
यहाँ जिस चीज़ को चाहो, वही ना पास आती है ज़िन्दगी खेल में अपने, फ़कत सबको नचाती हैजो अपने पास होता है, कदर उसकी नहीं होती दूसरे की सफलता जाने क्यों, सबको लुभाती हैखिलाए गैरों के गुलशन, फक्र इसका मुझे हैं पर अपनी उजड़ी हुईं बगिया देखो, मुझको रूलाती हैकभी थी रोशनी जिससे, शमा वो अब नहीं दिखतीएक लपट आग क