देखती हूँ तुझे तो मुझको ये अभिमान होता है
सिमट के बाहों में तेरी कितना सम्मान होता है
अपनी आँखों से तूने मुझपे जैसी प्रीत बरसाई
वही पाने का बस मनमीत का अरमान होता है
दीवानापन ना हो दिल में तो संग कैसे रहे कोई
महल भी ऐसे लोगों का फ़कत वीरान होता है
चमक ये देख दुनिया की मुहब्बत जो भी भूलेगा
उसे काबिल नहीं कहते वो तो नादान होता है
दौलतें इश्क की महफूज़ होती हैं जहाँ मधुकर
तुम भी ये जान लो वो ही घर धनवान होता है