सुकूँ पाना ज़माने में कभी होता ना आंसा है
कमी जल की नहीँ है पर समुन्दर देख प्यासा है
राह मंज़िल की पाने को चला हूँ मैं तो मुद्दत से
मगर ना रोशनी बिखरी ना ही हटता कुहासा है
बड़ा मजबूत हूँ मैं तो दिखावा सबसे करता हूँ
मेरे अशआर में पर हाल ए दिल का सब खुलासा है
गैर तो गैर थे पर चोटें तो अपनों ने दीं मुझको
मगर तू साथ है हरदम यही मुझको दिलासा है
जिसे जो चाहिए वो ही अगर कोई उसे दे दे
वही इंसान मधुकर फिर तो बन जाता खुदा सा है