मुहब्बत हो गई तुमसे, करे क्या, दिल ये बेचारा
तन्हा बैठा है यादों में, मगर हिम्मत, नहीं हारा
आस तो अब भी, जिंदा है, इस जीवन के, मेले में
मिलन होगा यहाँ, अपना भी देखो, फिर से दोबारा
नहीं है भूख, इस तन की, तड़प है, मेरे सीने में
मैं तो असली, पुजारी हूँ, नहीं हूँ , कोई आवारा
निकल के, मेरे सीने से, तेरे दिल तक, जो जाती है
किसी सूरत, ना सूखेगी अब तो ये, नेह की धारा
कहीं है,आस दौलत की, कहीं है, चाह ताकत की
मगर मधुकर मुझे, बस चाहिए एक, यार तू प्यारा