मुहब्बत जिससे होती है सुगंध एक उसमें आती हैउसे पाने की चाहत फिर जो बस मन में जगाती हैये चेहरा कुछ नहीं दिल से जुड़ा एक आईना समझोजो मन में चल रहा है बस वो ही सूरत दिखाती हैचाह जिसकी करी वो ही तो देखो ना मिला मुझकोज़िन्दगी की ये सच्चाई तन्हा मेरे दिल को दुखाती हैछवि महबूब की जिसने बसाई हो फ़कत दिल में
चाह तुझसे मिलन की जब तलक सीने में जिंदा हैबड़ा बेचैन सा रहता मेरे मन का परिंदा हैमुहब्बत को बनाया पर सही ना साथ मिल पायापरेशां इस जमीं पर देख लो हर इक बाशिंदा हैचोट सीने पे लग जाए बिखर जाती हैं खुशियां भी कोई बनता है फिर साधू कोई बनता दरिंदा हैप्रेम होता नहीं सबको प्रेम की बातें हैं सारी हर इक रिश्त
नज़रें चुरा ली आपने देख कर ना जाने क्योंमन में हम बसते हैं तेरे बात अब ये माने क्यों जानते थे जब ज़माना ख़ुदगर्ज होता है बहुत चल पड़े तेरी मुहब्बत फिर यहाँ हम पाने क्यों कुछ हश्र देखा है बुरा चाहत का इतना दोस्तोंसोचते हैं ये ह
था मुकद्दर सामने पर भूल हम से हो गईज़िंदगी की राह भटके मुस्कुराहट खो गई झूठ का पहने लबादा साथ में वो आ गया मन में मेरे बात उसकी बस ज़हर सा बो गई रोशन करेंगे रास्ता सोचा जली मशाल सेइस शमा की रोशनी भी ज़िंदगी से लो गई साथ आएगा कोई तो कुछ नया होगा
पास हो तुम दिल के इतने कैसे मैं तुमको छोड़ दूँजिसमें हैं बस छवियां तेरी वो आईना क्यों तोड़ दूँअविरल धार स्नेह की जो बहती है जानिब तेरेइसका रुख क्यों गैरों के मैं कहने भर से मोड़ दूँ प्रेम का रिश्ता ये हरगिज़ ख़त्म हो ना पाएगातू कहे तो एक नाम देकर सम्बन्ध अपना जोड़ दूँहाथ कोई गर तुझे छूने की हिम्मत भ
किसी के प्रेम की देखो राह अब भी मैं तकता हूँमेरी उम्मीदें टूटी हैं मगर फिर भी ना थकता हूँमेरे दिल में ज़रा झांको जख्म अब ही हरे होंगे बड़ी शिद्दत से मैं उनको गैर लोगों से ढकता हूँमुहब्बत की प्यास मेरी ना मिटने पाई है अब तकएक दो जाम पीने से फ़कत मैं तो ना छकता हूँमेरे दिल का दर्द देखो यूँ ही कम हो ना पा
तुम्हारी प्रीत के बिन तो बड़ा मुश्किल ये जीना हैमुझे तो ज़िन्दगी का जाम नज़र से तेरी पीना हैना मेरे मर्ज को समझा ना मेरे दर्द को समझाबड़ी बेरहमी से तुमको उन्होंने मुझसे छीना हैदिन भी लम्बे हुए हैं कुछ और तू पास ना आए मेरे किस काम का खिलता बसन्ती ये महीना हैमेरी उजड़ी सी दुनिया देख वो ही मुस्कुराएगापतंग
जीना मुश्किल था कभी जिनका हमारे बीनाआज कल उनके लिए हम बेकार हो गये हैं,हमें देख कर कल निगाहें झुका लीगैरों के लिए आज तैयार हो गये हैं,आज कल उनके लिए हम बेकार हो गये हैं,वो वो नहीं रहें अब जो छूई मूई सा लगा थाआशियाने से निकल कर बाजार हो गये हैं,जो सहेम जाते थें रुह तक,देखकर काफिलामहफ़िलों में आज कल व
कोई तो बात है तुझ में तू इतना याद आता है इक तेरा प्यार ही मुझ में उमंगों को जगाता है कई जन्मों का नाता है सदा मुझको लगे ऐसामुहब्बत वरना कोई इस तरह थोड़ी लुटाता हैमुझे महसूस होता है कोई ना झूठ है इस मेंअपनी पलकों पे तू ही फ़कत मुझको बिठाता हैमुहब्बत के सिवा मैं तो तुझे कुछ दे नहीं पाईमेरे नखरों को
जीन्हे भुलने में है.....हमने उम्र गुजारी काश़ हम उन्हें दो वक्त याद आये तो होतें बहाया अश्कों का सागर यादों में जिनके काश़ वो आंसुओं के दो बूंद बहाये तो होतें जीन्हे भुलने में है.....हमने उम्र गुजारी काश़ हम उन्हें दो वक्त याद आये तो होतें
दर्द ए दिल का मज़ा लेना है थोड़ी चोट तुम खा लो पास हो के भी जो बस दूर हो इक ऐसा सनम पा लोमुकद्दर साथ ना दे गर मुहब्बत मिल ना पाएगीप्रेम गीतों को अपने दिल से चाहे लाख तुम गा लोदीवारें मन में खिंच जाएं तो वो गिरती नहीं पल मेंलाख कोशिश करोगे चाहे तुम कि उनको अब ढा लोअगर खुल के ना बरसोगे बहारें कैसे आएंगी
तेरी आवाज़ को सुनना सुकूँ एक रूह को देता हैशिकायत है मगर मुझको ख़बर तू क्यों ना लेता हैप्यार बरसेगा जो तेरा चैन कुछ आ ही जाएगामेरे जीवन के आँगन में बिछा बस सूखा रेता हैसमय के साथ मेरी नाव तो बस बह रही है अबलाख कोशिश करी मांझी मगर ना इसको खेता हैप्यार को बाँटता है जो वही तो प्यार पाएगाबिना कारण ही तू
अब तुझको मेरे साथ की कोई ना आस हैतेरा काम तो निकल गया शक्ति भी पास हैतेरे आँसुओं के फेर में मैं फिर से लुट गया इक ये अदा तो हुस्न की सदियों से खास है उल्फ़त की राह में मिला मुझको फ़कत फरेबइसकी डगर न जाने क्यों आती ना रास हैमुझको सफ़र में ना
बस तड़प तड़प में ही ये ज़िंदगी गुज़र गईदेने का वादा करा किस्मत मगर मुकर गईएक नशे में रह रहा था मैं तो पाल के स्वप्न असलियत से पर मेरी सारी चढ़ी उतर गईकोशिशें कितनी करीं हार तो ना बन सकामोतियों की माल हरदम टूट के बिखर गईज़िन्दगी की शाम में अब उम्मीदें क्या करेंकलियाँ खिलाती जो यहाँ दूर वो सहर
मिलन की चाह की देखो फ़कत बातें वो करता हैकभी कोशिश करे ना कुछ पास आने से डरता हैकोई सच्ची मुहब्बत अब न उसके पास है देखो मुझे भी इल्म है इसका मैंने कितनों को बरता हैमन की बगिया के सारे फूल अब मुरझा गए मेरीना वो आँखों में आँखें डाल अब बाँहों में भरता है वार मौसम भी करता है दोष उसका नहीं केवलहवाएं गर्म
बड़े नज़दीक जीवन में अगर कोई भी आता हैसामने वो अगर आए तो मन थोड़ा लजाता हैसांस जोरों से चलती है नज़र उठती नहीं ऊपरहाल कुछ और होता है ना जो चेहरा दिखाता हैआज वो दूर है मुझसे मैं भी मशगूल हूँ खुद में मगर गुजरे हुए पल तो ये मनवा ना भूलाता हैमेरी मजबूरियां समझो और इस सच को पहचानोविछोह तुझसे मुझे अब भी अके
अब रिश्तों की बात न कर हर इक रिश्ता झूटा हैप्रेम का धागा सब रिश्तों में देखो लगभग टूटा है दर्द का बंधन ढूंढे से भी ना मिलता है अब जग में अपनों ने भी भेष बदलकर मुझको जमकर लूटा हैएक ममता ही सच्ची थी बाकी तो बस धोखा थाऐसी माँ का साथ भी तो आखिर में देखो छूटा हैखूब बजाकर देख लिया आवाज़
कागज़ की कश्ती बनाके समंदर में उतारा था हमने भी कभी ज़िंदगी बादशाहों सा गुजारा था,बर्तन में पानी रख के ,बैठ घंटों उसे निहारा था फ़लक के चाँद को जब
उन गुज़रे हुए पलों से,इक लम्हा तो चुरा लूँ…इन खामोश निगाहों मे,कुछ सपने तो सज़ा लूँ…अरसा गुजर गये हैं,लबों को मुस्काराए हुए…सालों बीत गये “.ज़िंदगी”,तेरा दीदार किये हुए…खो गया है जो बचपन,उसे पास तो बुला लूँ…उन गुज़रे हुए पलों से,इक लम्हा तो चुरा लूँ…जी रहे हैं,हम मगर,जिंदगी
कहीं गुम-सा हो गया हूँ मैं क़िस्सों और अफ़सानों मे…ढूंढता फिर रहा खुद को महफ़िलों और वीरानों मे…कभी डूबा रहा गम मे कभी खुशियों का मेला है…सफ़र है काफिलों के संग पाया खुद को अकेला है…प्यालों मे ढलते,देखा कभी कभी मीला मयखानों मे…..ढूंढता फिर रहा खुद को महफ़िलों और वीरानों म