कोरोना से डेराने हैं।अभी लेखक सभी हेराने हैं ... कही लिखते मिले तो भईया हमे बता दइयों। कोरोना मे अपने वजूद को भुलाने हैं।खोकर मीडिया के हो-हल्ला मे, सामाज को रचने वाले शब्द हेराने हैं... कवि, ब्यंग, शायर, गजल सभी बौराने हैं,खोज-खाज राजनीति के चुटकले उन्हे नही फैलाने हैं।सच कहने व लिखने से लेखक भी
अभिब्यक्ति हेराई हैं।हमरे लेखक हेराने हैं ... कही लिखते मिले तो भईया हमे बता दइयों। राजनीति मे अपने वजूद को भुलाने हैं।खोकर मीडिया के हो-हल्ला मे, सामाज को रचने वाले शब्द हेराने हैं... कवि, ब्यंग, शायर, गजल सभी बौराने हैं,खोज-खाज राजनीति के चुटकले उन्हे फैलाने हैं।सच कहने व लिखने से लेखक अभी डेरा
सादत हसन मंटो एक महान लेखक, लेखक और भारत-पाकिस्तानी मूल के नाटककार थे। वह दक्षिण-एशियाई इतिहास में लघु कथाओं के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं। मंटो की छोटी कहानियों को साहित्य में सुनहरे काम के रूप में गिना जाता है, जब भी कोई उर्दू में छोटी कहानियों के बारे में स
'साहित्य आज तक' फिर लौट आया है. इसके साथ ही नवंबर के मध्य में राजधानी में फिर से सज रहा है साहित्य के सितारों का महाकुंभ. तीन दिनों के इस जलसे में हर दिन साहित्य और कलाप्रेमी देख और सुन सकेंगे शब्द, कला, कविता, संगीत, नाटक, सियासत और संस्कृति से जुड़ी उन हस्तियों को, जिन्ह
दोस्तों आज हर व्यक्ति पढ़-लिख कर नौकरी के क्षे़त्र में एकऊंचा औदा पाना चाहता है। कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई पुलिस, कोई वकील तो कोई इंजीनियर। लेकिनएक लेखक के पहलू पर बहुत कम लोग ही ध्यान देते हैं। लेखक बनना एक गर्व की बात है। क्योंकि यह भी एक प्रकार की कला है जो हर क
पुस्तक प्रकाशन पुस्तक प्रकाशन हर रचनाकार, चाहे वह कहानी कार हो, नाटककार हो या समसामयिक विषयों पर लेख लिखने वाला हो, कवि हो या कुछ और, चाहेगा कि मेरी लिखी रचनाएं पुस्तक का रूप धारण करें. हाँ शुरुआती दौर में लगता है कि यह किसी के लिए
मै ........., छोड़िये भी | यहाँ, मेरे नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि यह अधिकप्रभावशाली नहीं है |मैंने अपने जीवन के २० वर्ष पूरे कर लिए है | मैं भदोही से हूँ, जो पूरी दुनिया में अपने वस्त्र निर्यात के लिए जाना जाता है। मेरे पास अपने बारे में बताने के लिए कोई और अधिक सामग्री नहीं है, क्योकी मै अ
एक दुपहरी सीखा गई हमें जीना, आप भी पढ़ें और सीखेwww.youtube.com/karannimbark9
आजकल अंग्रेजी लिखना, पढना व बोलना सिर्फ जरूरत नहीं एक चलन बन गया है । अंग्रेजी मात्र एक भाषा न रहकर एक लिबास बन गई है, एक ऐसा लिबास जो आपके पढ़े-लिखे और बुद्धिजीवी होने का प्रमाण है पर यह भी एक भ्रम ही है ऐसे अंग्रेजी प्रेमियो का । हालाँकि आज भी हिन्दी पाठको की संख्या में और हिन्दी साहित्य, उपन्यास