विजयभान गुफा के कोने में रखा लकड़ी का गठ्ठड़ उठा कर गुफा के दरवाजे के पास ले आया। जो वह रात को जानवरों को अपने से दूर रखने के लिए प्रयोग करता था। लेकिन उसे क्या मालूम था कि उसे आज मांस को किसी के लिए पक
वहीं रहने को बोलकर विजयभान हाथ में टार्च लेकर अपनी गुफा से बाहर निकला। वहीं थोड़ी दूर पर उसकी मोटरसाईकिल खड़ी थी। जिसे लेकर वो लल्लू लाल द्वारा बताया गया सामान लेने के लिए सीधे गांव की ओर चल दिया। गांव
अमावस की एक अंधेरी रात में एक घने जंगल के बीच खतरनाक जानवरों की आवाजें गूंज रही थी। सन्नाटें को चीरती भेड़ियों के गुर्राने की आवाजें और कीट पतंगों की चित्कारें जंगल के माहौल को और अधिक खौफनाक बना रही थ
दोस्तों यह कहानी एक रहस्यमई कहानी है इस कहानी को पढ़कर आपको बहुत ही मजा आने वाला है तो चलिए शुरू करते हैं मेरे गांव एक जंगल के बीच बीच एक पहाड़ी पर था जहां से मैं रोज काम करने के लिए रोज शहर आता- जा
पिछले अंक की कहानी भूतिया चक्की में आपने पढ़ा कि किस प्रकार दिनेष दिल्ली से अपने गांव आया तो उसके दादाजी ने अपने बचपन की कहानी सुनाई जिसमें गांव की चक्की में उनका एक भूत से सामना हुआ। यह कहानी सुनकर अग
मां मुझे डर लगता है . . . . बहुत डर लगता है . . . . सूरज की रौशनी आग सी लगती है . . . . पानी की बुँदे भी तेजाब सी लगती हैं . . . मां हवा में भी जहर सा घुला लगता है . . मां मुझे छुपा ले बहुत डर
नॉक नॉक !! प्रसाद जी बार बार कानों में पड़ती आवाज से आखिर बिस्तर छोड़कर उठ गए, उठते ही दो क्षण को बिस्तर पर बैठे बैठे ही अंदाजा लगाया कि आवाज बाहर के दरवाजे से आ रही है| फिर वही आवाज नॉक...नॉक.... “हाँ
नॉक नॉक !! प्रसाद जी बार बार कानों में पड़ती आवाज से आखिर बिस्तर छोड़कर उठ गए, उठते ही दो क्षण को बिस्तर पर बैठे बैठे ही अंदाजा लगाया कि आवाज बाहर के दरवाजे से आ रही है| फिर वही आवाज नॉक...नॉक.... “हाँ
आज की कहनी शायद मेरी आखिरी कहानी होगी, वैसे उम्मीद करती हूँ मेरे साथ आपने भी भूतों का सफर एजॉय किया होगा, मैं ये नहीं कहती की मेरी कहानी बेस्ट है पर ये
सोच रही हूँ आज में आपको कौन सी कहानी सुनाऊ भूतों की कहानी के पोटली में से, वैसे तो मैनें बचपन में अनगिनत भूतों कहानियाँ सुनी है, उनमें कितनी सच और कितनी झूठ मैं सच म
आज मैं जो कहानी सुनाने जा रही हूँ वो मेरे दिल के बहुत करीब है, क्यूँकी इसके एक हिस्से में मैं भी हूँ, आज भी जब सोचती हूँ तब वो मुझे हुबहू सामने दिखाई
आज फादर्स डे है, तो आप सभी को और आपके पापावों को फादर्स डे की ढेेरों बधाईया, वैसे सच में माँ के बुनियाद पर इमारत रचने का काम तो पापा ही करते है। पर फिर भी ना
ये कहानी में थोडी बहुत मेरी बचपन की यादों से जूडी है। बचपन में हम एक प्यारे से माहौल में अपने ननिहाल के पास रहते है। नाम बदलकर एक शहर मोह
वैसे तो भूतों की कहानियाँ बता रही हूँ आपको तो बहुत कुछ मुझे भी याद आता जा रहा है, हालांकि सच में मैं इतनी भाग्यशाली तो नहीं की भूतों से आमने साम
सुबह हो चुकी थी । राजन की आंख खुली तो वह अपने बिस्तर पर पड़ा हुआ था । उसे बीती रात की एक एक करके सारी घटनाएं याद आ गई । कल रात एक साथ दो दो भूतों के दर्शन हुए थे उसे । दोनों एक जैसे लग रहे थे ।
राजन अपने घर आ तो गया मगर उसका सारा ध्यान ताबीज में ही था । क्या ताबीज में कुछ कलाकारी है ? ऐसा क्या है उस ताबीज में जिससे भूत भी डरते हैं ? ये कैसे पता चलेगा कि क्या क्या होता है उस ताबीजमें ? इसे जा
राजन ने दृढ निश्चय कर लिया था कि चाहे जो कुछ हो जाये, वह उस मकान में ही रहेगा । मनुष्य जब सिर पर कफन बांध लेता है तो मौत भी सौ बार सोचती है कि वह इस आदमी का वरण करे अथवा नहीं ? दृढ संकल्प वाले व्यक्ति
उम्मीद है मैं आपको जो भी कहानियाँ बता रही हूँ पसंद आयेंगे। कभी लिखा तो नहीं इससे पहले पर अब कोशिश कर रही हूँ लिखने की, आपके कमेंट के साथ स्टिकर भी अवश्य ही देन
प्यार पर तो मैनें जाने कितना लिखा है, भर भर कर शेरो शायरीयाँ, कविताऐ और गजल लिख डाली है मैंने, पर ऐसा नहीं की जिंदगी में मुझे आसपास प्यार ही दिखा है, पर
रोज की तरह सूर्यदेव सुबह सुबह घूमने निकले । सूर्यदेव जहां जाते हैं अपने साथ प्रकाश , ऊर्जा , आशा, विश्वास, सकाराकता और जीवन लेकर जाते हैं । इस कार्य में पवन देव उनकी मदद करते हैं । सुबह सुबह पवन