ऐसा नहीं है कि सतयुग में सब कुछ अच्छा होता है या कलयुग में सबकुछ गलत ही होता है. हर युग मे धर्म और अधर्म दोनों होता है. इस समय ये जो अंधकार द्वापर को दिख रहा है, प्रकाश भी कहीं न कहीं से होगा, वह
कोई अज्ञात व्यक्ति ऋषि गौतम की आश्रम की ओर बढ़ रहा था… उसके पूरे शरीर मे कई दिनों की धूल-मिट्टी लगी हुई थी… उसके लंबे बाल पेड़ की बेलों की तरह उसके कंधे तक आ रहे हैं… लगता है कोई तपस्वी बहुत दिनों बाद अ
एक सुबह जब सूरज आकाश को नीला करने के लिए पूरी उन्मुक्तता के साथ अपनी रोशनी फैला रहा था, उसी समय गंगा नदी में स्नान के बाद ऋषि गौतम सूर्य को अर्घ दे रहे थे, कमर के नीचे धोती पहने हुये, उनके बायें कंधे
लोभ या लालसा की पराकाष्ठा विनाश का कारण (धृतराष्ट्र और गांधारी के परिप्रेक्ष्य में) हमारे शास्त्रों में मनुष्य के मन में विद्यमान छः शत्रुओं का उल्लेख किया गया है। काम, क्रोध,लोभ मोह,मद मत्सर (ईर्ष्य
यह मेरा पहले से प्रकाशित लेख है कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित तथ्य आज के आधुनिक समाज में परिलक्षित होते हैं प्राचीन कालीन इतिहास मौर्य काल का भारत जब कौटिल्य ने अर्थशास्त्र की रचना की, अर्थशास्त्र
समय का पहिया कितनी जल्दी घूमता है. अठारह साल हो गये जब ऋषि गौतम को शरव्दान मिला था. इन अठारह वर्षों में शरव्दान ने योग और वेद का ज्ञान अपने पिता से प्राप्त कर लिया था.दिन का तीसरा पहरपश्चिम दिशा में स
रात के काले बादल दूर कहीं बरस चुके थे… महर्षि भारद्वाज गुफा के मुहाने आकर सुबह की पहली धूप का स्वागत कर रहे हैं… फिर से पायल की मधुर आवाज… एक स्त्री… स्वेत वत्र धारण किये हुये… नदी कि ओर जा
अर्थशास्त्र में गुप्तचर व्यवस्था हम आज विकास की सीढ़ियां चढ़ते हुए अंतरिक्ष तक पहुंच गए हैं आज हम अपनी राजनीतिक व्यवस्थाओं पर गर्व करते हैं और स्वयं की बुद्धि का लोहा मानकर खुद पर अहंकार करते ह
प्राचीन कालीन आश्रम व्यवस्था प्राचीन कालीन भारतीय इतिहास के अध्ययन से हमें ज्ञात होता है कि प्राचीन भारत में आश्रम व्यवस्था का विशेष महत्व था। जिसके विषय में प्राचीन कालीन ग्रंथों से हमें विस्तृत जान
#fauji_munday_ki_kalam_se,,,,, #युद्धयुद्ध में खो जाती हैमासूमियत,युद्ध में खो जाती है,खिलखिलहट,बस बची रहती है तो चीखें और क्रूरता के निशान,रोती हुई आँखों का पानी तबाह किए गये मक
महल के बंद दरवाजों के पीछे बंद पड़ी हैं, अनगिनत कहानियां जिनमें से कुछ चर्चाओं में आ गई तो कुछ सुनी जाती हैं लोगों की जुबानियां कुछ प्रेम भरी, कुछ दर्द देने वाली कुछ विरह की तो
मर्यादा पुरुषोत्तम राम और श्रीकृष्ण के पश्चात् भारतीय जनता ने जिस शासक को अपने र्ह्दय सिंहासन पर आरुढ़ किया वह विक्रमादित्य है। उनके आदर्श, न्याय, लोकाराधन की कहानियाँ भारतवर्ष में सर्वत्र प्
नवाब इस दुनियां में ज़िंदा लाश वही हैं, जो लोग इंसानियत के तरफदार नहीं हैं। एक जानवर भी अपना दर्द समझता है, दूसरे का दर्द जो समझे वही इंसान है। भगवान (God) ने सबसे अच्छा इस दुनिया में इंसान को बनाय
#Hindu_Naresh_Patel #DCP_Swadeshi #Breakingnews राष्ट्रभक्ति का दीप जलाना सब को
अजमेर शरीफ में उर्स –अजमेर शरीफ में सूफी संत मोईउद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में उर्स के रूप में 6 दिन का वार्षिक उत्सव बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। इस उर्स की शुरुआत बुलंद दर
अजमेर शरीफ दरगाह के नियम –ख्वाजा की मजार पर कोई भी व्यक्ति सिर खोलकर नहीं जा सकता है।मजार के दर्शन के लिए किसी भी तरह के बैग या सामान ले जाने की सख्त मनाही है।इसके साथ ही कैमरा ले जाने की भी रोक है।ख्
अजमेर शऱीफ में रखे दो बड़े-बड़े कढ़ाहे (देग):अजमेर शरीफ की प्रसिद्ध दरगाह के अंदर दो काफी बड़े-बड़े कढ़ाहे रखे गए हैं,चितौड़गढ़ से युद्ध जीतने के बाद मुगल सम्राट अकबर ने इसे बड़े कढ़ाहे को ददान किया थ
बुलंद दरवाजा –बुलंद दरवाजा, अजमेर शरीफ की दरगाह में बने प्रमुख चारों दरवाजों में से एक है, यह एक भव्य और विशाल गेट है । जिसका निर्माण महमूद खिलजी और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा करवाया गया है।उर्स महोत
अजमेर शरीफ की दरगाह का निर्माण एवं बनावट –इतिहासकारों की माने तो सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने करीब 1465 में अजमेर शरीफ की दरगाह का निर्माण करवाया था। वहीं बाद में मुगल सम्राट हुंमायूं, अकबर, शाहजहां
राजस्थान राज्य के अजमेर में स्थित ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह दरगाह, पिंकसिटी जयपुर से करीब 135 किलोमीटर दूर, चारों तरफ अरावली की पहाड़ियों से घिरे अज