बचपन की यादों में अक्सर आसमानी रंग के वो दो पन्ने याद हो आते है ,जिसे अंतरदेशी कहा जाता था , जो आपस मे जुड़े होकर अपने ऊपर लिखी इबारतों से न जाने कितनी दूर बैठे दो लोगों को जोड़ने का काम करते थे । ना जाने कितने दशकों तक संदेशों और सूचनाओं को प्रेषित करने का ये दौर था जिसमे पोस्टकार्ड, तार, अंतर्देशीय और लिफाफों के रूप में सूचनाओं का आदान प्रदान हुआ करता था । आज सूचनाओं के इसी दौर में हम टेलीफोन, मोबाईल, इंटरनेट के दौर में आ पहुंचे है जहां पांचवी जेनरेशन का इंटरनेट अनेकों संभावनाओं के दौर खोलने के लिए आतुर है ।
भारतीय सभ्यता के विकास में इसे कृषि क्रांति, औद्योगिक क्रांतियों की श्रृंखला में चौथी क्रांति से भी अभिहित किया जा रहा है , और हो भी क्यो ना, जब आपको ये भान हो कि हमारा वर्तमान जो इंटरनेट और मोबाईल पर टिका जा रहा है , उसकी गति दस गुना और अधिक हो जाएगी, जिसका फायदा इंटरनेट आधारित विभिन्न क्षेत्रों स्वास्थ्य यानी टेली उपचार, संचार, प्रशासन, अंतरिक्ष, रक्षा,कृषि में होने वाला है । ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो की उच्च गुणवत्ता और वीडियो कॉलिंग जैसे फीचर और स्पष्ट रूप में कार्य कर सकेंगे । कुल मिलाकर इंटरनेट विकास की ये पीढ़ी और नये प्रतिमानों को स्थापित करेगी ।
पाँचवी पीढ़ी का इंटरनेट विकास के साथ साथ कुछ मौलिक समस्याओं का भी वाहक बनेगा । जिसमें रेडिएशन के प्रभाव से कई लाइलाज़ बीमारियों का प्रकोप तो बढ़ेगा ही । सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों की गांठ थोड़ी और ढीली पडेगी ।
तकनीकी नजरिये से देखें तो पुराने 4जी उपकरण ई वेस्ट के निपटान के रूप में चिंता की लकीरें गहरी करेंगे । साइबर सुरक्षा का क्षेत्र और भी ज्यादा ग्राह्य और संवेदनशील होगा जिसपर अतिरिक्त निगेहबानी की जरूरत बढ़ती जाएगी ।
अंततः पहिये की खोज करके उसपर सवार हुई मानवीयता आज सूचना क्रांति के उस दौर में हैं जहां तकनीक ने बहुत हद तक जीवन को आसान और सुविधाजनक तो बनाया है लेकिन कई मौलिक मूल्यों से विलग भी किया है । पारिवारिक सामाजिक रिश्तों को टच स्क्रीन का वर्चुअल टच वो जीवन नही दे सकता जो रियल टच देता रहा है । इन बारीक कमियों को यदि इस संचार क्रांति के साथ सहचर बनाकर चला जाये तो वाकई ये संचार क्रांतियां मानवीयता के इतिहास की अमूल्य धरोहर बनकर निखरेंगी ~