बारिश एक भीगन ही नही ये एक प्रतीक है संयोग और वियोग का , जहां नीरद से निकला नीर सदानीरा में परिवर्तित हो रहा होता है । इस यात्रा में अनंत पड़ाव है । तीव्रता है तो मादकता भी , पर्वतों पर कलकल करती मीठी ध्वनि है , तो तराई में हर हर करता हाहाकार भी । गति को भी मात देती अहिर्निश रफ्तार है तो सब कुछ थाम देने वाला ठहराव भी । खुद को खत्म कर देने की पीड़ा है तो स्वयं समर्पित हो समंदर बन जाने की गर्वानुभूति भी । लेकिन इन सबसे इतर बारिश एक शुरुआत है एक आरम्भ है और नवीनता से बड़ा सुख बढ़िया दृश्य कोई नही ~