shabd-logo

अंधविश्वास~

18 सितम्बर 2022

78 बार देखा गया 78
अंधविश्वास~

आंख मूंद कर किया जाने वाला विश्वास ही अंधविश्वास है । तर्क से परे होकर किसी भी व्यवस्था और विचार को  स्वीकारना और उसका अनुकरण करना ही अंधविश्वास है । यहां व्यवस्था और वो विचार किसी भी देश या समाज मे अधिव्याप्त हो सकता है । जाहिर है जिस समाज मे वास्तविक शिक्षा नही होगी वहां का समाज और वहां की व्यवस्था उतने ही प्रकार के अंधविश्वासों को मानने वाली भी होगी  ।
.


 यह विडम्बना ही है कि बाइबिल क़ुरआन और गीता की कसमें खाकर भय से सच बोलने वाला यह समाज इन धर्मशास्त्रों में निहित उस संदेश को समझने में असक्षम है जहां पर भय को समाप्त करने वाला ज्ञान छिपा हुआ है । झाड़ फूंक, टोना टोटका और ना जाने कितने बेसिर पैर के करतब और कारनामे दिखाकर उनपर विश्वास दिलाकर एक व्यापक जन समूह को अंधेरे में ना सिर्फ रखा जाता है बल्कि उस अंधविश्वास के साये में वो अपनी तमाम जिंदगी गुजारने को अभिशप्त भी है ।
.

हम देखते आये हैं, हमने देखा है कि अपनी तमाम परेशानियों को खत्म करने के लिए कर्ज लेकर खरीदते बेजुबान जानवरों को और उनकी बलि देती आयी उस भोली अवाम को भी। जिसे ये अंधविश्वास है कि उसके इस कृत्य से उसकी तमाम परेशानियों का हल निकल ही आएगा । हमने देखा है अंधविश्वास के साये में पलती हुई उन बेबस, और बेचारी  निरीह नारी की नारकीय स्थिति को । जिन्हें सामाजिक अंधविश्वासों और ढकोसलों ने तमाम उम्र के लिए पर्दों में ढाँप दिया । अंधविश्वास की ख़ुराक जहां अज्ञान है तो इसकी मार सबसे अधिक पड़ती है समाज के उन कमजोर तबकों पर जो हाशिये पर है । गरीबी , अशिक्षा ,बेरोजगारी में तो इनकी विषबेले फैली ही हैं , साथ ही शिक्षित और विकसित समाज भी इससे अछूते नहीं हैं । जाहिर है कि ये समाज का वो कोढ़ है जो किसी भी कोरोना से कमतर नहीं है ।


धर्म की व्यवस्था और उसके व्यवस्थाकारों ने इसका निर्माण मानव मात्र की बेहतरी के लिए ही किया था । धार्मिक अनुष्ठान और उनकी पद्धतियों का एक विशेष अर्थ मानव और पर्यावरण के समेकित हित के लिए रहा है । पर हर धर्म के छद्म ठेकेदारों ने अपने स्वार्थी हितों के लिए जिस तरह से गलत व्याख्या करके अपने समाज को अंधविश्वास के कुएं में धकेला है उसका दुष्परिणाम वह समाज लंबे समय तक चुकाता रहा है और आगे भी चुकाता रहेगा ।आवश्यकता इस बात की है कि धर्मशास्त्रों में निहित प्रत्येक विधान के वैज्ञानिक महत्व को समझा जाये । धर्मयुद्ध और जेहाद के उस वास्तविक अर्थ से सरोकार किया जाए जिसका अर्थ है खुद के और आसपास के बुराइयों से लड़ना और उसका परिहार करना बजाय कि किसी अन्य विधि विधानों को मानने वालों से लड़ना और उनका परिहार करना ।
,


एक नागरिक के तौर पर जिस तरह हम सरकारी विधानों का अपने और अपने समाज के हित के लिए जागरूक होकर पालन करते हैं । सड़क पर बाएं चलना,हेलमेट या सीट बेल्ट का प्रयोग पूरी जिम्मेदारी के साथ करना , पब्लिक प्लेस पर धूम्रपान नही करना हमारे भीतर की मानवीयता से ही आता है । ठीक उसी प्रकार धर्म और उसके विधि विधानों का अनुपालन भी जागरूक और सचेत होकर करना आपको सदैव अंधविश्वास से न सिर्फ सुरक्षित रखेगा बल्कि आपको विरासत में मिली धार्मिक संस्कृति के प्रति भी गर्वानुभूति दिलायेगा~
"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

वाह..बहुत सुंदर सृजन...शानदार व्याख्या... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति आपकी👍👍👍👍👌👌👌👌💐💐💐💐

19 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

19 सितम्बर 2022

बहुत शुक्रिया , आभार आपका👏👏

Sanju Nishad

Sanju Nishad

बहुत अच्छी प्रस्तुति है 👍😊

18 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

18 सितम्बर 2022

धन्यवाद ,👏

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत उत्कृष्ट लिखा आपने सर बहुत सुंदर विश्लेषण

18 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

18 सितम्बर 2022

बहुत शुक्रिया प्रभा जी💐

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Shandar likha hai aapne awesome 👌👌👌

18 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

18 सितम्बर 2022

Thank you KaVya ji 👏

Pragya pandey

Pragya pandey

Very nice... बहुत खूब लिखा 👌👌👌👌

18 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

18 सितम्बर 2022

हार्दिक आभार😊

Vijay

Vijay

कमाल लिखा, like always👍🙌🙌

18 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

18 सितम्बर 2022

शुक्रिया 😊

27
रचनाएँ
दैनिक
0.0
किताब में दैनंदिन लेखन का समावेश है ।
1

युवा भारत~

25 अगस्त 2022
17
8
6

युवा भारत !क्रांति और रोमांस यानी प्रेम दोनों एक ही स्त्रोत से निकलते हैं । और ये दोनों ही बातें किसी व्यक्ति, परिवार ,समाज और देश के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व को बदलने का सामर्थ्य रखते हैं । युवा होना क

2

जल संरक्षण

26 अगस्त 2022
10
7
5

जल संरक्षण ।क्षिति जल पावक गगन समीरा अर्थात पंच महाभूत । ये वो पांच तत्व है जिनसे न केवल मानव शरीर निर्मित होता है बल्कि किरदार के खत्म होने पर इन्हीं पंच तत्वों में हम सुपुर्द भी हो जाते हैं । &

3

धार्मिक उन्माद~

27 अगस्त 2022
5
5
7

धार्मिक उन्माद~धारयते इति धर्म: , अर्थात जो धारण किया जाता है वो धर्म है । धर्म की परिभाषा उसका होना और अनुपालन इतना ही शालीन और सुस्पष्ट है । हमारी चिंतन परम्परा में भी चार पुरुषार्थों धर्म,अर्थ,काम

4

अवैध निर्माण~

29 अगस्त 2022
11
6
6

अवैध निर्माण ~निर्माण एक रचनात्मक प्रक्रिया है । घर का निर्माण , भवन का निर्माण , सृष्टि का निर्माण हो या व्यक्तित्व का निर्माण । नींव से लेकर अपनी परिणति प्राप्त करने तक यह एक वृहद कर्मयज्ञ का

5

हिंदी दिवस पर~

14 सितम्बर 2022
5
5
8

हम हिन्दी भाषियों के लिए हिंदी की एक सामान्य परिभाषा यही है कि यह हमारी अपनी भाषा है । भाषा , जो वास्तव में संस्कृति का एक अंग हैं । और संस्कृति की मजबूती और प्रसार आजकल अर्थ के पहियों पर गतिमान रहती

6

इंतेज़ार और सही~

14 सितम्बर 2022
3
3
6

इंतेज़ार एक ऐसा लफ्ज़जिसमें समूचा जीवनअंगड़ाई ले सकता है ।कायनात की हर शय मानोकिसी के इंतेज़ार में ही है ।बच्चा जवान होने के इंतेज़ार मेंतो कोई फिर सेबच्चा होने की चाह रखता है ●●●●

7

बारिशें~

15 सितम्बर 2022
4
3
4

बारिश एक भीगन ही नही ये एक प्रतीक है संयोग और वियोग का , जहां नीरद से निकला नीर सदानीरा में परिवर्तित हो रहा होता है । इस यात्रा में अनंत पड़ाव है । तीव्रता है तो मादकता भी , पर्वतों पर कलकल करती मीठी

8

मानव एक पूंजी ~

15 सितम्बर 2022
5
4
5

मानव एक संसाधन है । एक ऐसी पूंजी जिसके हाथों ने सदियों से इस सृष्टि को अथक रूप से निरंतर गढ़ा है । सृजन से लेकर विनाश तक अनेकों बार सृष्टि के खेल को देखते ,समझते और सहेजते मानव ने आज वो मुकाम हास

9

पितृ पक्ष~

16 सितम्बर 2022
11
8
10

श्रद्धया इदं श्राद्धम्‌ (जो श्र्द्धा से किया जाय, वह श्राद्ध है।) भावार्थ है प्रेत और पित्त्तर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है।पितृ पक्ष यानी पित

10

नारीवाद~

17 सितम्बर 2022
9
6
12

नारीवाद~एक इंसान के तौर पर जब हम इस धरती पर आते है तो सबसे पहला सानिध्य जिससे होता है वो एक नारी है, एक बुभुक्षु के तौर पर हमें कराई गयी पहली क्षुधा पूर्ति का माध्यम एक नारी होती है , और तो और हमारे स

11

मिमी कहानी एक माँ की ~

17 सितम्बर 2022
3
3
6

रिश्ता ! क्या होता है ये रिश्ता और इनके मायने क्या होते हैं ? कौन देता है इन्हें मां बाप ,भाई बहन और ऐसे अनेकों नाम, साथ ही इनमे जन्म लेती और पल्लवित होती भावनाएं और एक अपनत्व को जतलाता हुआ अख्त

12

अंधविश्वास~

18 सितम्बर 2022
11
9
12

अंधविश्वास~आंख मूंद कर किया जाने वाला विश्वास ही अंधविश्वास है । तर्क से परे होकर किसी भी व्यवस्था और विचार को स्वीकारना और उसका अनुकरण करना ही अंधविश्वास है । यहां व्यवस्था और वो विचार किसी भी

13

बात इक रात की~

18 सितम्बर 2022
5
4
7

नींद की आगोश में जाने से पहले वो दोनों एक दूसरे की नींदे चुराते थे । दिन भर की सारी थकन को निचोड़ कर जब वो बिस्तर के सिरहाने से अपने नर्म गालों को छिपाती थी , तो कानों में इयरफोन के मार्फत वो महसूस कर

14

कभी कभी अक्सर~

19 सितम्बर 2022
4
4
8

इक शब गुजर गई फिर से उसकी प्यास से हारकर , गुम गए कुछ सितारे जो यूँ ही उग आए थे रेगिस्तानी आकाश पर गैर मापे पूरे दिन को , इक उम्मीद बुझ गयी फिर से संभावनाओं की गोद में मुँह छिपाकर । .इक गम फिर से अधूर

15

एक तुम्हारा होना~

19 सितम्बर 2022
8
5
10

एक तुम्हारा होना~तुमसे कही बातों का कोई अंत क्यो नही मिलता । हर बार कहकर सोचता हूँ अब आखिरी बात तो कह डाली मैंने , पर देखो न अंतिम दफा की कहन अपनी मेढ़ को तोड़कर बह चुकी है किसी ओर , और अब मैं इसे शब्द

16

क्या लिखूँ का सवाल ~

20 सितम्बर 2022
1
1
2

अक्सर ऐसा होता है कि इंसान प्यार को भूलने की क़वायद में उसे लिखने लगता है । प्यार को लिखना उसको भूलने की भरसक कोशिश होती है । प्रेम की लेखनीय अभिव्यक्ति उस पीर से निज़ात पाने की कोशिश है । यकीन ना हो तो

17

कोरोना काल और डायरी के पन्ने~

20 सितम्बर 2022
1
1
2

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ये कहते हुए अरस्तू को कोरोना जैसे "अति सामाजिक " प्राणी का ख्याल शायद रहा हो ना रहा हो लेकिन मनुष्य के सहअस्तित्व को चुनौती देता ये सूक्ष्म दानव आज एक बार फिर से भागती दौड़त

18

जैविक खेती~

21 सितम्बर 2022
13
6
12

जैविक खेती।।मानव सभ्यता के विकास में सर्वप्रथम क्रांति खेती की खोज थी । तकरीबन दस हज़ार वर्ष पूर्व इसे नवपाषाण क्रांति के रूप में भी जाना जाता है । खेती यानी मनुष्य के मनुष्यता की गाथा । खेती यानी जानव

19

पुस्तकों की दुनिया~

22 सितम्बर 2022
11
7
10

किताबें बहुत ही पढ़ी होंगी तुमने~पुस्तक एक संग्रह है ज्ञान का, एक संग्रह अनुभव का ,यह एक समेकन होती है अनुभूतियों की । एक विचार ,एक सोच , अर्जित एक सम्पूर्ण जीवन कैद होता है एक उत्तम पुस्तक में । पुस्त

20

क्या लिखूँ ~

24 सितम्बर 2022
3
2
2

मैं चाहता था कुछ ऐसा लिखूं जो कुछ अद्भुत बन जाये, कुछ ऐसा जो लेखन की मापनी में ना समाया जा सके , मैंने बहुत सोचा , मन के पतंगे की करनी साधी , उसे कल्पना के नवनीत नभपटल में ले जाकर छोड़ा , हर बार उसके ब

21

क्षमा करना हिंदी मां !

24 सितम्बर 2022
2
2
1

साहित्य एक पवित्र नदी की तरह है । एक ऐसी नदी जिसमे स्नान करके मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है । ये वो गंगा है जिसके पवित्र जल से सभ्यताएं तक पुनीत होती आयी है ।... साहित्य रूपी गंगा क

22

ग्राम गमन~

4 अक्टूबर 2022
2
2
3

गांव जाता हूँ तो टुकड़ा टुकड़ा हो जाता हूँ , गाँव यानि जड़ें , जहां जीवन बसता है , जहां से प्राण तत्व निकलता है मानो , हालांकि जड़ों की शुष्क कठोरता भी एक अदद सच्चाई है , जड़ों तक पहुचने की बेचैनी अक्सर पत

23

जब मिलना समंदर से~~

4 अक्टूबर 2022
2
2
3

पत्थरों के किनारे ओढ़ रखे है दरिया ने , राहगीर देखते है , अक्सर समझते है , कौन स्पर्श करे इन्हें , अगर ये फूट गए , तो कौन रोकेगा उमड़ते हुए नीर को, कौन संभालेगा इसकी पीर को

24

शायद हो~

7 अक्टूबर 2022
1
0
0

शायद हो...इस जहां के पार एक दूसरा जहां ,जहां ना हो कोई नफ़रतें ना शिकवे ना गिले,, जहां लोग एक दूसरे से हंस के मिले तो बस हँस के ही मिले ,, ऐसा एक जहाँ , जिसकी जमीं पर तानों के कांटे ना चुभते हो , ,हां

25

दीपावली~

23 अक्टूबर 2022
8
3
4

त्योहार दीवाली का है तो मन वीणा के तार झंकृत ना हो जाये ऐसा संभव कैसे हो सकता है ।त्योहार की संकल्पना वास्तव में भारतीय परंपरा का एक अद्भुत पहलू है , जिसमे अंतरिक्ष की ज्यामिति , भूगोल की तारतम्यता ,

26

5जी तकनीक ~

3 नवम्बर 2022
0
3
4

बचपन की यादों में अक्सर आसमानी रंग के वो दो पन्ने याद हो आते है ,जिसे अंतरदेशी कहा जाता था , जो आपस मे जुड़े होकर अपने ऊपर लिखी इबारतों से न जाने कितनी दूर बैठे दो लोगों को जोड़ने का काम करते थे ।

27

वैश्विक जलवायु परिवर्तन~

5 नवम्बर 2022
0
1
2

जब भी जलवायु परिवर्तन की बात होती है । ना जाने कहाँ से उस विशाल अजगर की कहानी ज़ेहन में तैरने लगती है ,जो इतना विशाल था जितना स्वयं में एक टापू हो। जिसकी सुषुप्त अवस्था में उसके तन पर हरे भरे मैदान को

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए