युवा भारत !
क्रांति और रोमांस यानी प्रेम दोनों एक ही स्त्रोत से निकलते हैं । और ये दोनों ही बातें किसी व्यक्ति, परिवार ,समाज और देश के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व को बदलने का सामर्थ्य रखते हैं । युवा होना किसी राष्ट्र का युवा होना उम्र की सीमाओं से अलग एक गतिशील विचारधारा का अनुपालन है । इन मायनों में वर्तमान का भारत कितना युवा है और इसका त्वरण और इसकी गतिशीलता देश,समाज और शेष दुनिया के लिए कितनी उपयोगी है , इसको देखने का एक प्रयास~~
एक देश और उसकी विशाल संस्कृति के निर्माण की यात्रा बिना युवा कंधहारों के संभव नही हो सकती । भारतवर्ष की निर्मिति में कौटिल्य के योगदान से कौन असहमत हो सकता है । मगध साम्राज्य को शक्तिशाली बनाकर उन्होंने अपने भविष्य के और हमारे वर्तमान के भारत की बुनियाद ढाई हजार सालों पहले ही रख दी थी । उस समय के भारत को अन्यायी शासकों से विमुक्त कर एक नवीन और युवा भारत को खड़ा करने के लिए उन्होंने जिस व्यक्तित्व को खड़ा किया वो था एक युवा चंद्रगुप्त मौर्य । जिसने अपने सूझ बूझ और ओजस्वी व्यक्तित्व से एक विशाल भारतीय साम्राज्य की नींव रखी । जो आने वाले भारत के लिए एक ऐसी मजबूत बुनियाद बनी जो आज भी निरन्तर है ।
वैसे तो हर साल की 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जन्मतिथि को समूचा देश राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाता रहा है । फिर भी अपनी कालजयी धरोहर में भारत ने अपने क्षेत्र के अनेकों विजयी विवेकानंदों को सँजोया है । समुद्रगुप्त , हर्ष, महाराणा प्रताप, शिवाजी , भगत सिंह , चंद्रशेखर आज़ाद, सुभाष चंद्र बोस, भीमराव अंबेडकर कुछ ऐसे नाम है जिनकी अनुभूति मात्र से एक भारतीय के रोंगटे खड़े हो जाते हैं । 23 साल के युवा भगत सिंह को अंतिम दिन जब फांसी पर चढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा था तो उनके हाथों में एक किताब थी और चेहरे पर आत्मविश्वास से लबरेज मुस्कुराहट । चंद्रशेखर आज़ाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में स्वयं को गोली मारकर न केवल अंग्रेजी हुकूमत और उसकी सोच को झकझोर दिया बल्कि ये संदेश भी दिया कि आने वाली सदियों तक उन्हें "आज़ाद" उपनाम से क्यों बुलाया जाता रहेगा ।
भारतवर्ष हमारा ये देश केवल सीमा रेखाओं से घिरा हुआ एक भौगोलिक क्षेत्र भर नही हैं । भारत को भारत इसकी सोच और वो गतिशीलता बनाती है जिसे इस देश ने अपनी संस्कृति में एक लंबे समय काल से सँजोया है । सभी संस्कृतियों , सभी पंथो और विचारधाराओं को हमने गले लगाया है तो अन्याय के विरुद्ध प्रतिरोध भी किया है , "सर्वे भवन्तु सुखिनः" के साथ "शठे शाठयम समाचरेत " का संदेश भी हमने मजबूती के साथ दिया है । ये प्रेम और उग्रता का सकारात्मक संश्लेषण ही इस देश को युवा बनाता है ।
आंकड़ों में आज हम विश्व मे सबसे अधिक युवा जनसंख्या वाले देश के रूप में हैं, इतनी बड़ी जनसंख्या यदि अपने कर्म ,विचार और सोच से एक उद्देश्य को लेकर साथ चल पड़े तो एक नया इतिहास आने वाले समय मे लिखा जाना तय है , और वो इतिहास वही इतिहास होगा जिसकी प्रतीक्षा शायद सारी दुनिया चाहे अनचाहे रूप में कर रही है । मेरे लिए किसी राष्ट्र अथवा देश का युवा होना महज जनसंख्या के 15 वर्ष से 40 वर्ष के बीच का होना नही है बल्कि युवा देश या युवा भारत का होना उस गतिशील और वैविध्य सोच का होना है जिससे न केवल हम और हमारा देश उन्नतिशील हो बल्कि इस अवनि के साथ ये समस्त ब्रहांड इस युवा ऊर्जा से ओत प्रोत हो सके , किसी भी युवा राष्ट्र की सार्थकता इन्ही मायनो में होगी ।