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युवा भारत~

25 अगस्त 2022

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युवा भारत !

क्रांति और रोमांस यानी प्रेम दोनों एक ही स्त्रोत से निकलते हैं । और ये दोनों ही बातें किसी व्यक्ति, परिवार ,समाज और देश के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व को बदलने का सामर्थ्य रखते हैं । युवा होना किसी राष्ट्र का युवा होना उम्र की सीमाओं से अलग एक गतिशील विचारधारा का अनुपालन है । इन मायनों में वर्तमान का भारत कितना युवा है और इसका त्वरण और इसकी गतिशीलता देश,समाज और शेष दुनिया के लिए कितनी उपयोगी है , इसको देखने का एक प्रयास~~

एक देश और उसकी विशाल संस्कृति के निर्माण की यात्रा बिना युवा कंधहारों के संभव नही हो सकती । भारतवर्ष की निर्मिति में कौटिल्य के योगदान से कौन असहमत हो सकता है । मगध साम्राज्य को शक्तिशाली बनाकर उन्होंने अपने भविष्य के और हमारे वर्तमान के भारत की बुनियाद ढाई हजार सालों पहले ही रख दी थी । उस समय के भारत को अन्यायी शासकों से विमुक्त कर एक नवीन और युवा भारत को खड़ा करने के लिए उन्होंने जिस व्यक्तित्व को खड़ा किया वो था एक युवा चंद्रगुप्त मौर्य । जिसने अपने सूझ बूझ और ओजस्वी  व्यक्तित्व से एक विशाल भारतीय साम्राज्य की नींव रखी । जो आने वाले भारत के लिए एक ऐसी मजबूत बुनियाद बनी जो आज भी निरन्तर है ।

वैसे तो हर साल की 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जन्मतिथि को समूचा देश राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाता रहा है । फिर भी अपनी कालजयी धरोहर में भारत ने अपने क्षेत्र के अनेकों विजयी विवेकानंदों को सँजोया है । समुद्रगुप्त , हर्ष, महाराणा प्रताप, शिवाजी , भगत सिंह , चंद्रशेखर आज़ाद, सुभाष चंद्र बोस, भीमराव अंबेडकर कुछ ऐसे नाम है जिनकी अनुभूति मात्र से एक भारतीय के रोंगटे खड़े हो जाते हैं । 23 साल के युवा भगत सिंह को अंतिम दिन जब फांसी पर चढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा था तो उनके हाथों में एक किताब थी और चेहरे पर आत्मविश्वास से लबरेज मुस्कुराहट । चंद्रशेखर आज़ाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में स्वयं को गोली मारकर न केवल अंग्रेजी हुकूमत और उसकी सोच को झकझोर दिया बल्कि ये संदेश भी दिया कि आने वाली सदियों तक उन्हें "आज़ाद" उपनाम से क्यों बुलाया जाता रहेगा ।

भारतवर्ष हमारा ये देश केवल सीमा रेखाओं से घिरा हुआ एक भौगोलिक क्षेत्र भर नही हैं । भारत को भारत इसकी सोच और वो गतिशीलता बनाती है जिसे इस देश ने अपनी संस्कृति में एक लंबे समय काल से सँजोया है । सभी संस्कृतियों , सभी पंथो और विचारधाराओं को हमने गले लगाया है तो अन्याय के विरुद्ध प्रतिरोध भी किया है , "सर्वे भवन्तु सुखिनः" के साथ "शठे शाठयम समाचरेत " का संदेश भी हमने मजबूती के साथ दिया है । ये प्रेम और उग्रता का सकारात्मक संश्लेषण ही इस देश को युवा बनाता है ।


आंकड़ों में आज हम विश्व मे सबसे अधिक युवा जनसंख्या वाले देश के रूप में हैं, इतनी बड़ी जनसंख्या यदि अपने कर्म ,विचार और सोच  से एक उद्देश्य को लेकर साथ चल पड़े तो एक नया इतिहास आने वाले समय मे लिखा जाना तय है , और वो इतिहास वही इतिहास होगा जिसकी प्रतीक्षा शायद सारी दुनिया चाहे अनचाहे रूप में कर रही है । मेरे लिए किसी राष्ट्र अथवा देश का युवा होना महज जनसंख्या के 15 वर्ष से 40 वर्ष के बीच का होना नही है बल्कि युवा देश या युवा भारत का होना उस गतिशील और वैविध्य सोच का होना है जिससे न केवल हम और हमारा देश उन्नतिशील हो बल्कि इस अवनि के साथ ये समस्त ब्रहांड इस युवा ऊर्जा से ओत प्रोत हो सके , किसी भी युवा राष्ट्र की सार्थकता इन्ही मायनो में  होगी ।





काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahutt hi behtreen likha aapne sir Dainik pratiyogita ke vejeta banne ke liye bahut bahut badhai ho aapko🍫🍫

27 अगस्त 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

27 अगस्त 2022

बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं आपको

Vijay

Vijay

शानदार लेखन👌

26 अगस्त 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

26 अगस्त 2022

बहुत शुक्रिया

Sanju Nishad

Sanju Nishad

बहुत बढ़िया लिखा है आपने 👍👍👍👍👍

25 अगस्त 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

25 अगस्त 2022

बहुत शुक्रिया 😊

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रचनाएँ
दैनिक
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किताब में दैनंदिन लेखन का समावेश है ।
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युवा भारत~

25 अगस्त 2022
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युवा भारत !क्रांति और रोमांस यानी प्रेम दोनों एक ही स्त्रोत से निकलते हैं । और ये दोनों ही बातें किसी व्यक्ति, परिवार ,समाज और देश के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व को बदलने का सामर्थ्य रखते हैं । युवा होना क

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जल संरक्षण

26 अगस्त 2022
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जल संरक्षण ।क्षिति जल पावक गगन समीरा अर्थात पंच महाभूत । ये वो पांच तत्व है जिनसे न केवल मानव शरीर निर्मित होता है बल्कि किरदार के खत्म होने पर इन्हीं पंच तत्वों में हम सुपुर्द भी हो जाते हैं । &

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धार्मिक उन्माद~

27 अगस्त 2022
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धार्मिक उन्माद~धारयते इति धर्म: , अर्थात जो धारण किया जाता है वो धर्म है । धर्म की परिभाषा उसका होना और अनुपालन इतना ही शालीन और सुस्पष्ट है । हमारी चिंतन परम्परा में भी चार पुरुषार्थों धर्म,अर्थ,काम

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अवैध निर्माण~

29 अगस्त 2022
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अवैध निर्माण ~निर्माण एक रचनात्मक प्रक्रिया है । घर का निर्माण , भवन का निर्माण , सृष्टि का निर्माण हो या व्यक्तित्व का निर्माण । नींव से लेकर अपनी परिणति प्राप्त करने तक यह एक वृहद कर्मयज्ञ का

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हिंदी दिवस पर~

14 सितम्बर 2022
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हम हिन्दी भाषियों के लिए हिंदी की एक सामान्य परिभाषा यही है कि यह हमारी अपनी भाषा है । भाषा , जो वास्तव में संस्कृति का एक अंग हैं । और संस्कृति की मजबूती और प्रसार आजकल अर्थ के पहियों पर गतिमान रहती

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इंतेज़ार और सही~

14 सितम्बर 2022
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इंतेज़ार एक ऐसा लफ्ज़जिसमें समूचा जीवनअंगड़ाई ले सकता है ।कायनात की हर शय मानोकिसी के इंतेज़ार में ही है ।बच्चा जवान होने के इंतेज़ार मेंतो कोई फिर सेबच्चा होने की चाह रखता है ●●●●

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बारिशें~

15 सितम्बर 2022
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बारिश एक भीगन ही नही ये एक प्रतीक है संयोग और वियोग का , जहां नीरद से निकला नीर सदानीरा में परिवर्तित हो रहा होता है । इस यात्रा में अनंत पड़ाव है । तीव्रता है तो मादकता भी , पर्वतों पर कलकल करती मीठी

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मानव एक पूंजी ~

15 सितम्बर 2022
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मानव एक संसाधन है । एक ऐसी पूंजी जिसके हाथों ने सदियों से इस सृष्टि को अथक रूप से निरंतर गढ़ा है । सृजन से लेकर विनाश तक अनेकों बार सृष्टि के खेल को देखते ,समझते और सहेजते मानव ने आज वो मुकाम हास

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पितृ पक्ष~

16 सितम्बर 2022
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श्रद्धया इदं श्राद्धम्‌ (जो श्र्द्धा से किया जाय, वह श्राद्ध है।) भावार्थ है प्रेत और पित्त्तर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है।पितृ पक्ष यानी पित

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नारीवाद~

17 सितम्बर 2022
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नारीवाद~एक इंसान के तौर पर जब हम इस धरती पर आते है तो सबसे पहला सानिध्य जिससे होता है वो एक नारी है, एक बुभुक्षु के तौर पर हमें कराई गयी पहली क्षुधा पूर्ति का माध्यम एक नारी होती है , और तो और हमारे स

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मिमी कहानी एक माँ की ~

17 सितम्बर 2022
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रिश्ता ! क्या होता है ये रिश्ता और इनके मायने क्या होते हैं ? कौन देता है इन्हें मां बाप ,भाई बहन और ऐसे अनेकों नाम, साथ ही इनमे जन्म लेती और पल्लवित होती भावनाएं और एक अपनत्व को जतलाता हुआ अख्त

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अंधविश्वास~

18 सितम्बर 2022
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अंधविश्वास~आंख मूंद कर किया जाने वाला विश्वास ही अंधविश्वास है । तर्क से परे होकर किसी भी व्यवस्था और विचार को स्वीकारना और उसका अनुकरण करना ही अंधविश्वास है । यहां व्यवस्था और वो विचार किसी भी

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बात इक रात की~

18 सितम्बर 2022
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नींद की आगोश में जाने से पहले वो दोनों एक दूसरे की नींदे चुराते थे । दिन भर की सारी थकन को निचोड़ कर जब वो बिस्तर के सिरहाने से अपने नर्म गालों को छिपाती थी , तो कानों में इयरफोन के मार्फत वो महसूस कर

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कभी कभी अक्सर~

19 सितम्बर 2022
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इक शब गुजर गई फिर से उसकी प्यास से हारकर , गुम गए कुछ सितारे जो यूँ ही उग आए थे रेगिस्तानी आकाश पर गैर मापे पूरे दिन को , इक उम्मीद बुझ गयी फिर से संभावनाओं की गोद में मुँह छिपाकर । .इक गम फिर से अधूर

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एक तुम्हारा होना~

19 सितम्बर 2022
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एक तुम्हारा होना~तुमसे कही बातों का कोई अंत क्यो नही मिलता । हर बार कहकर सोचता हूँ अब आखिरी बात तो कह डाली मैंने , पर देखो न अंतिम दफा की कहन अपनी मेढ़ को तोड़कर बह चुकी है किसी ओर , और अब मैं इसे शब्द

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क्या लिखूँ का सवाल ~

20 सितम्बर 2022
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अक्सर ऐसा होता है कि इंसान प्यार को भूलने की क़वायद में उसे लिखने लगता है । प्यार को लिखना उसको भूलने की भरसक कोशिश होती है । प्रेम की लेखनीय अभिव्यक्ति उस पीर से निज़ात पाने की कोशिश है । यकीन ना हो तो

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कोरोना काल और डायरी के पन्ने~

20 सितम्बर 2022
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ये कहते हुए अरस्तू को कोरोना जैसे "अति सामाजिक " प्राणी का ख्याल शायद रहा हो ना रहा हो लेकिन मनुष्य के सहअस्तित्व को चुनौती देता ये सूक्ष्म दानव आज एक बार फिर से भागती दौड़त

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जैविक खेती~

21 सितम्बर 2022
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जैविक खेती।।मानव सभ्यता के विकास में सर्वप्रथम क्रांति खेती की खोज थी । तकरीबन दस हज़ार वर्ष पूर्व इसे नवपाषाण क्रांति के रूप में भी जाना जाता है । खेती यानी मनुष्य के मनुष्यता की गाथा । खेती यानी जानव

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पुस्तकों की दुनिया~

22 सितम्बर 2022
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किताबें बहुत ही पढ़ी होंगी तुमने~पुस्तक एक संग्रह है ज्ञान का, एक संग्रह अनुभव का ,यह एक समेकन होती है अनुभूतियों की । एक विचार ,एक सोच , अर्जित एक सम्पूर्ण जीवन कैद होता है एक उत्तम पुस्तक में । पुस्त

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क्या लिखूँ ~

24 सितम्बर 2022
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मैं चाहता था कुछ ऐसा लिखूं जो कुछ अद्भुत बन जाये, कुछ ऐसा जो लेखन की मापनी में ना समाया जा सके , मैंने बहुत सोचा , मन के पतंगे की करनी साधी , उसे कल्पना के नवनीत नभपटल में ले जाकर छोड़ा , हर बार उसके ब

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क्षमा करना हिंदी मां !

24 सितम्बर 2022
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साहित्य एक पवित्र नदी की तरह है । एक ऐसी नदी जिसमे स्नान करके मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है । ये वो गंगा है जिसके पवित्र जल से सभ्यताएं तक पुनीत होती आयी है ।... साहित्य रूपी गंगा क

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ग्राम गमन~

4 अक्टूबर 2022
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गांव जाता हूँ तो टुकड़ा टुकड़ा हो जाता हूँ , गाँव यानि जड़ें , जहां जीवन बसता है , जहां से प्राण तत्व निकलता है मानो , हालांकि जड़ों की शुष्क कठोरता भी एक अदद सच्चाई है , जड़ों तक पहुचने की बेचैनी अक्सर पत

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जब मिलना समंदर से~~

4 अक्टूबर 2022
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पत्थरों के किनारे ओढ़ रखे है दरिया ने , राहगीर देखते है , अक्सर समझते है , कौन स्पर्श करे इन्हें , अगर ये फूट गए , तो कौन रोकेगा उमड़ते हुए नीर को, कौन संभालेगा इसकी पीर को

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शायद हो~

7 अक्टूबर 2022
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शायद हो...इस जहां के पार एक दूसरा जहां ,जहां ना हो कोई नफ़रतें ना शिकवे ना गिले,, जहां लोग एक दूसरे से हंस के मिले तो बस हँस के ही मिले ,, ऐसा एक जहाँ , जिसकी जमीं पर तानों के कांटे ना चुभते हो , ,हां

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दीपावली~

23 अक्टूबर 2022
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त्योहार दीवाली का है तो मन वीणा के तार झंकृत ना हो जाये ऐसा संभव कैसे हो सकता है ।त्योहार की संकल्पना वास्तव में भारतीय परंपरा का एक अद्भुत पहलू है , जिसमे अंतरिक्ष की ज्यामिति , भूगोल की तारतम्यता ,

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5जी तकनीक ~

3 नवम्बर 2022
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बचपन की यादों में अक्सर आसमानी रंग के वो दो पन्ने याद हो आते है ,जिसे अंतरदेशी कहा जाता था , जो आपस मे जुड़े होकर अपने ऊपर लिखी इबारतों से न जाने कितनी दूर बैठे दो लोगों को जोड़ने का काम करते थे ।

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वैश्विक जलवायु परिवर्तन~

5 नवम्बर 2022
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जब भी जलवायु परिवर्तन की बात होती है । ना जाने कहाँ से उस विशाल अजगर की कहानी ज़ेहन में तैरने लगती है ,जो इतना विशाल था जितना स्वयं में एक टापू हो। जिसकी सुषुप्त अवस्था में उसके तन पर हरे भरे मैदान को

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