उठो! अपने चारों ओर नवजीवन के बीज बोओ, पवित्रता के वातावरण का निर्माण करो। यदि तुम दूसरों को धोखा दोगे, झूठ बोलोगे, षड्यंत्र रचोगे, ठगोगे तो इससे अपने आप को ही पतित बनाओगे। अपने को ही छोटा, तुच्छ और कमीना साबित करोगे। किसी दूसरे का अपनी सारी शक्तियाँ लगाकर भी तुम अधिक अनिष्ट नहीं कर सकते, परंतु इन हरकतों से अपना सर्वनाश जरूर कर सकते हो।
ईमानदारी पर कायम रहे और उचित साधनों से अपनी उन्नति के लिए प्रयत्न करो। अपनी ताकत को संसार के सामने प्रकट करो, क्योंकि बलवानों को ही सुखी और उन्नतिशील जीवन जीने का अधिकार है। यदि अपनी शक्ति का कोई सबूत पेश नहीं कर सकोगे, तो दुनियाँ तुम्हें एक असहाय, अनाथ, दुर्बल और अभागा समझेगी और तुम्हारे नाम के साथ ‘बेचारा’ की उपाधि जोड़ देगी।
इसलिए मै कहता हॅू कि संघर्ष करो! जीवित रहने के लिए संघर्ष करो!! अपने अधिकारों को प्राप्त करने और उनकी रक्षा के लिए संघर्ष करो!!! विश्वास रखो, इस आत्मोन्नति के धर्मयुद्ध में तुम्हें वह आनंद मिलेगा, जो दुनियाँ की और किसी चीज से नहीं मिल सकता। जीवितों की भाँति जीवित रहने के चंद घंटे, मुर्दा जिंदगी के हजार वर्षों से बेहतर हैं।