shabd-logo

.माँ

2 अगस्त 2023

11 बार देखा गया 11
             माँ... ओ मेरी माँ
          तेरे से ही जीवन मेरा  
          माँ ही पालनहारा
          माँ से ही जग में आया
          माँ शब्द ही जग में प्यारा

          माँ तु ममता की मुरत
         तेरी से ही मेरी सुरत
        मैं तेरा माँ चाँद सितरा
         तेरी से जग सारा 
         
         रोऊ तो रो जाती थी
        जग कर हमें सोलाती थी
        धुप ,छाह की करवट बदले
         गोद में हमें छिपाती थी !

          मेरी न्यन की आँसु से
          माँ देख रो जाती थी
          खिस्से और कहानी सुनाकर
           हमें माँ सोलाती थी 

            कवि-क्रान्तिराज
            दिनांक-02-08-23
            
       

       


मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

18 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सुंदर लिखा है आपने 😊🙏

3 अगस्त 2023

1
रचनाएँ
माँ
0.0
माँ ही मंदिर माँ ही कावा शिवाला माँ का नाम ही उत्तम जग में , माँ ही पालन हारा ! माँ ही दुर्गा माँ ही लक्ष्मी माँ ही सृष्टि के रचन हारा माँ से मानव का अस्तित्व है , माँ का नाम जग में निराला ! माँ अस्तित्व है माँ ही धरती माँ ही सवको पाला , माँ ही धुप है माँ ही छाया माँ ही प्रेम की योवाला ! क्रांतिराज नमन करे माँ की कोख से जग में आया धन हो भाग्य हमारा माँ ही मेरे पालन हारा !

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए