माँ... ओ मेरी माँ
तेरे से ही जीवन मेरा
माँ ही पालनहारा
माँ से ही जग में आया
माँ शब्द ही जग में प्यारा
माँ तु ममता की मुरत
तेरी से ही मेरी सुरत
मैं तेरा माँ चाँद सितरा
तेरी से जग सारा
रोऊ तो रो जाती थी
जग कर हमें सोलाती थी
धुप ,छाह की करवट बदले
गोद में हमें छिपाती थी !
मेरी न्यन की आँसु से
माँ देख रो जाती थी
खिस्से और कहानी सुनाकर
हमें माँ सोलाती थी
कवि-क्रान्तिराज
दिनांक-02-08-23