मैं बड़ा हूँ,? या तुम बड़े हो....?
यही जीवन समाप्त हो जाता है, सबसे बड़ा तो "वो" ऊपर बैठा है.....
जो ये जान लेगा, वो ही समझ पायेगा, जिंदगी क्या है,! स्पर्धा करके एक दुसरे को निचा दिखाने के बजाय कांधा से कांधा मिलाकर आगे बढो, ब्लड ग्रुप जो भी हो, खून में इंसानियत होनी चाहिए..!! सिर्फ़ दिखावे के लिए अच्छे मत बनो, वो "ऊपर वाला" आपको बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से जानता हैं..! "वक़्त" से पहले बोले गए "शब्द" और "मौसम" से पहले तोड़े गए “फल" दोनों ही "व्यर्थ होते है"!!*
तुम्हारे निष्काम व विशुध्द प्रेम की गहराई को मै जानता हुँ, तुम्हारे प्रेम को पाने के खातिर ही,
मै तुमसे मिलने आता हुँ. कोई तुम्हारा सहारा नही, कोई तुम्हारे साथ नही, ऐसा तुम क्यों सोचते हो ? ऐसा सोचकर तुम क्यों बिलखते हो, मै तुम्हे सहारा देने के लिये ही आया हुँ, सदा तुम्हारा भला होगा यही सोचता हुँ. अपनी सारी चिंता मुझे दे दो, निश्चिंत रहो, तुम्हारा ईश्वर सदा तुम्हारे पल पल का साथी है