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नैतिकमूल्य

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(भाग- 7)इंस्पेक्टर बीना की योजना अब इंस्पेक्टर बीना को कालू दादा के ठिकाने का पता लग चुका था। बीना ने उसके गैंग को पकड़ने के लिए योजना बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले बीना ने अपने साथियों के स

भाग-6इंस्पेक्टर बीना की खोजअब इंस्पेक्टर बीना ने अपनी पूरी टीम तैयार की...और पूरी मुस्तैदी से कालू दादा और उसके साथियों की गिरफ्तारी के लिए लग गई। हरेक दिन एक-एक गांव का दौरा किया गया...आस-पास के जंगल

(भाग-5)  बीना का परिचय जगमोहन और विमला ने उदय, सदय और बीना को सगे बहन भाईयों की तरह ही पाला था। बीना उदय से छोटी व सदय से बड़ी थी। तीन बच्चों से भरा-पूरा परिवार था। साथ में दादी थी

मिसेज भाटिया के घर के बाहर कोई बहुत सुन्दर गुलदस्ता फेंक गया था। इसके फूल बहुत सुन्दर थे और गुलदस्ता भी बिल्कुल नया था। मिसेज भाटिया का मन तो बहुत कर रहा था कि वह उस गुलदस्ते को उठाकर घर ले आये पर संक

सारा दिन थकान-थकान करके पूरा घर सिर पर उठाए रहती हो । तुम आखिर करती ही क्या हो? बस घर के ये छोटे-मोटे काम और इतने में ही तुम थक जाती हो?ये बात लगभग हर घरेलू महिला को सुनने को मिलती है । सुबह सबसे

आज मैं अपनी मौसी को उनके बेटे लड्डू को पढ़ाते हुए देख रही थी । लड्डू अभी चार साल का है और बहुत शैतान है । मौसी उसे पढ़ाते हुए चिड़चिड़ा जातीं और अक्सर उसे एक-दो थप्पड़ भी रख देतीं क्योंकि वो पढ़ने की बजाय

कहते हैं ना कि कोई चीज़ हमेशा प्राथमिकता नहीं रहती। वक़्त के साथ-साथ हर चीज़ का विकल्प मिल जाता है । हाँ! बहुत समय से यह मान्यता थी कि इंसान का कोई विकल्प नहीं हो सकता लेकिन इंसान के दिमाग ने ही इस धारणा

जब मन उदासं  हो सब भले ही पास हो , अच्छा नही लगता,,मुझे अच्छा नही लगता। देखता हू मै ,मन के जिस कोने मे, दिया है जो घाव,दिल को बींध कौने मे, छेडे उसे कोई, भले ही सहलाने  को, सच बताऊ मै ,मुझे

भाग-4   उदय का जन्मदेखते ही देखते जगमोहन और विमला की शादी को पांच साल बीत गए पर कोई संतान नहीं थी। मुंगेरीलाल लाल ने बहुत से पंडितों को दिखाया। झाड़-फूंक व पूजा-पाठ करवाया पर कोई लाभ नहीं हु

(भाग- 3) जगमोहन का परिचय उदय के पिता जगमोहन बाबू का जीवन बहुत गरीबी में बीता था। पिता मुंगेरीलाल एक साधारण से किसान थे। कच्चा घर था। बालक जगमोहन पिता के साथ खेती में हाथ बटाता...रात में सड़क

(भाग-2 ) उदय का बदलता स्वरूप   किशोरावस्था से ही दिग्भ्रमित होकर उदय इतनी बुरी संगत में पड़ गया था कि उसे अपने माता-पिता के बीमार होने की तनिक भी चिंता नहीं थी। जब जगमोहन बाबू ने उ

यह हर बार नया मौका, कहा देती है जिंदगी, जो एक बार जो टूट  जाए भरोसा, तो पिछाड देती है जिन्दगी। #### नए  मौके की तलाश  वो करे, जिन्हे पहले पे यकीन न रहे। ### हर बार  नया मौका लेक

बड़ी मेहनतों के बाद  प्रकृति के कोप से बचाकर  पशु पक्षियों से संरक्षित करते हुए  किसान जब फसल घर लाता है  तो उसे स्वर्ग जीत लेने का  आनंद सा आ जाता है ।  झुर्रियों से छुप

अजीब गुनाह है ना लड़की होना भी। सारी उम्र पाबंदियों में ही निकल जाती है कि ये मत करो, वो मत करो। यहाँ मत जाओ, वहाँ मत जाओ। ऐसे खाओ, ऐसे कपड़े पहनो। ऐसे बात करो, ऐसे बैठो बगैरह बगैरह। और इतने सब के बाद भ

रमेश के केस करने के बाद उच्च जाति के सभी लोगों में भय व्याप्त हो गया। इस केस में जिन लोगों के नाम लिखाये गये थे। उनके मन में डर बैठ गया था। इसलिए उन लोगों ने गांव छोड़ दिया था। उच्च जाति के लोगों का

सम्मान तो हर तरह का ही कीमती होता है लेकिन इनमें सर्वोपरि है-आत्मसम्मान। आत्मसम्मान को चोट लगती है ना तो इंसान बौखला जाता है । आत्मसम्मान पर ठेस के कारण ही अम्बा ने शिखंडी बनकर पितामह भीष्म से बदला लि

दो सौ रुपये बहुत है, एक बोतल तो आ जाएगी और कुछ रात के खाने का इंतजाम हो जाएगा। वह एक शराब की दुकान के पास बैठा था। ‘‘ले अब्दुल तुम्हारी बोतल। अब्दुल तू जो कमाता है उससे शराब पी लेता है। देख मैं तेरे ह

चारों तरफ एक ही हवा चल रही थी। लोगों में जोश और उत्साह नजर आ रहा था। सभी लोगों के मुंह से एक ही बात न निकल रही थी इस बार भी राजनीति में कुर्सी पर कब्जा किये हुए लोगों का दबदबा रहेगा। कुछ नहीं होने वाल

पैरों पर फटी धोती के टुकड़े से पट्टी बंधी हुई उसके ऊपर भिनभिनाती हुई मक्खियां तन्नननन-------- की आवाज से परेशान कर रही थी। शरीर पर मैले कपड़े जिनमें से आती हुई पसीने की दुर्गंध। चेहरे पर झुर्रियों के

करुणा मां में बरपती,अपने आंचल में समेटती।उसकी करुणा का सागर,कान्हा पे वह छलकाती।।करुणा और मुस्कान लिए,घर को  अपने समेटती।दर्द को अंतर्मन में रखकर,मुस्कान चेहरे पे बिखेरती।।कान्हा की इच्छाओं को,पं

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