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पाँचवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022

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स्थान-वंशनगर-शैलाक्ष के घर के सामने
(शैलाक्ष और गोप आते हैं)

शैलाक्ष : अच्छा तो तू देखेगा, तेरी आँखें आप ही इस बात का न्याय करेंगी कि वृद्ध शैलाक्ष और बसन्त में कितना अन्तर है। अरी जसोदा! जैसा तू मेरे यहाँ भुखमुए को भाँति ढाई सेर भकोसता था उसका स्मरण वहाँ आवेगा। अरी जसोदा! और हर समय पड़े रहने और खर्राटे लेने और कपड़े फाड़ डालने की महिमा भी जान पड़ेगी। अरी जसोदा, सुनती नहीं!

गोप : जसोदा!

शैलाक्ष : तुझे किसने पुकारने को कहा है? मैंने तुझसे नहीं कहा कि पुकार।

गोप : आप ही न मुझ पर सदा क्रुद्ध हुआ करते थे कि तू बेकहे कोई काम नहीं करता।

(जसोदा आती है)

जसोदा : मुझे आपने बुलाया है? आज्ञा?

शैलाक्ष : मुझे आज का नेवता आया है, लो जसोदा यह कुंजियाँ तुम्हारे सुपुर्द हैं। पर मैं क्यों जाने लगा? मुझे वह लोग कुछ प्रेम में नहीं बुलाते वरंच सुश्रपा से-किन्तु क्या हुआ मैं भी तिरस्कार की दृष्टि से जाऊँगा और उस बहुव्ययी आर्य का माल चाभूँगा। मेरी प्यारी बेटी तू घर से सावधान रहियो। मेरा जाने को तनिक भी जी नहीं चाहता, मुझे कोई बुराई आती मालूम होती है जिसका मेरे जी में खटका लग रहा है, क्योंकि आज ही रात को मैंने रुपये के तोड़ों का सपना देखा था।

गोप : आप कृपा करके चलें; मेरे नये स्वामी आपकी राह देखते होंगे; और उन लोगों ने आपस में गुट किया है। यह मैं नहीं कह सकता कि आप अवश्य ही स्वाँग देखिएगा परन्तु यदि ऐसा हुआ तो निस्सन्देह कुछ न कुछ रंग खिलेगा क्योंकि मेरी नाक से उस दिन तेवहार के छ बजे सवेरे से रुधिर का बहना व्यर्थ न जायगा।

शैलाक्ष : क्या स्वाँग भी बनेंगे? सुनो जसोदा द्वारों में ताला लगा दो और जब भेर की ढबढब और बाँसुरी की ध्वनि सुनाई दे तो झरोखों में से झाँकने के लिये ऊपर न चढ़ना और न इन आर्य मसखरों के लुक फेर हुए चेहरों को देखने के लिए खिड़की से बाजार की ओर सिर निकालना वरंच शीघ्र ही मेरे घर के कानों को अर्थात् खिड़कियों को बन्द कर लेना जिसमें ऐसे असभ्य तुच्छ जनों का शब्द मेरे सभ्य घर के भीतर न पहुँचने पावे। शपथ है अहन्त देव की छड़ी की मेरा जी आज रात के नेवते में जाने को नेक भी नहीं उभरता। किन्तु मैं जाऊँगा। अबे तू आगे जा कह दे कि मैं आऊँगा।

गोप : महाराज मैं चला। बबुई तुम इनकी बकबक पर ध्यान न दे कर अवश्य खिड़की में से झांकती रहना क्योंकि 'आज होगा उस मसीहा का गुजर इस राह से, जिसने मूसा है यहूदी के दिले बीमार को।' (जाता है)।

शैलाक्ष : वह मूर्ख प्रेत का अवतार क्या कहता था, ऐं?

जसोदा : उसने केवल इतना ही कहा कि 'बबुई ईश्वर आपकी रक्षा करें' और कुछ नहीं।

शैलाक्ष : वह मूर्ख प्रेम तो रखता है परन्तु खाने में साण्ड से अधिक है, दिन को सोने में जंगली बिल्ली से बढ़ कर और काम करने में घोंघे से अधिक सुस्त। ऐसे कृतघ्नों का निर्वाह मेरे साथ कहाँ हो सकता है; इसीलिये मैं उसे दूर करता हूँ, और फिर उसे पल्ले भी कैसे मनुष्य के बाँधता हूँ जिसके उधार लिए हुए रुपये के नष्ट करने में वह सहायता देगा। अच्छा जसोदा अब तुम भीतर जाओ, कदाचित् मैं अभी लौट जाऊँ। जिस भाँति मैंने समझा दिया है वैसा ही करना। द्वारों को बन्द करती जाओ-'जागै सो पावै सोवै सो खोवै' यह कहावत बहुत ठीक है। (जाता है)

जसोदा : जाइए (आप ही आप)

"गर वर आई आर्जूं मेरी तो रुखसत आपको,

आपने बेटी को खोया और मैंने बाप को।"

(जाती है) 

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रचनाएँ
दुर्लभ बन्धु
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उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदगी का चित्रण, और सफरनामे लिखे। लेकिन, हरिश्चंद्र की सबसे उल्लेखनीय रचनाएँ आम लोगों की परेशानियों, गरीबी, शोषण, मध्यम वर्ग की अशांति को संबोधित करती हैं, और राष्ट्रीय प्रगति के लिए आग्रह करती हैं। अपने जीवनकाल में, हरिश्चंद्र ने सक्रिय रूप से हिंदी साहित्य के पुनरुद्धार को बढ़ावा दिया और जनता की राय को आकार देने के प्रयास में अपने नाटकों का इस्तेमाल किया।
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प्रथम अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशपुर की सड़क (अनन्त, सरल और सलोने आते हैं) अनन्त : सचमुच न जाने मेरा जी इतना क्यों उदास रहता है, इससे मैं तो व्याकुल हो ही गया हूँ पर तुम कहते हो कि तुम लोग भी घबड़ा गए। हा, न जाने यह उदासी कै

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दूसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ में पुरश्री के घर का एक कमरा (पुरश्री और नरश्री आती हैं) पुरश्री : नरश्री मैं सच कहती हूँ कि मेरा नन्हा सा जी इतने बड़े संसार से बहुत ही दुःखी आ गया है। नरश्री : मेरी प्यारी सखी यह बात

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तीसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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(बसन्त और शैलाक्ष आते हैं) शैलाक्ष : छः सहस्र मुद्रा-हूँ। बसन्त : हाँ साहिब-तीन महीने के वादे पर। शैलाक्ष : तीन महीने का वादा-हूँ। बसन्त : और इसके लिये, जैसा कि मैं आप से कह चुका हूँ, अनन्त जामिन

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द्वितीय अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ। पुरश्री के घर का एक कमरा (तुरहियाँ बजती हैं। मोरकुटी का राजकुमार अपने सभासदों के सहित और पुरश्री, नरश्री और अपनी दूसरे सहेलियों के संग आती है।) मोरकुटी : मेरी रंगत देखकर मुझसे घृणा न

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दूसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-बंशनगर-एक सड़क (गोप आता है) गोप : निस्सन्देह मेरा धर्म मुझे इस जैन अपने स्वामी के पास से भाग जाने की सम्मति देगा। प्रेत मेरे पीछे लगा है और मुझे बहकाता है कि गोप, मेरे अच्छे गोप, पाँव उठाओ, आग

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तीसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर, शैलाक्ष के घर की एक कोठरी (जसोदा और गोप आते हैं) जसोदा : मुझे खेद है कि तू मेरे बाप की नौकरी छोड़ता है। यह घर मुझे नरक समान लगता है पर तुझ ऐसे हँसमुख भूत के कारण थोड़ा बहुत जी बहल जाता

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चौथा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर-एक सड़क (गिरीश, लवंग, सलारन और सलोने आते हैं) लवंग : नहीं, वरंच हम लोग खाने के समय खिसक देंगे और मेरे घर पर आकर भेस बदल कर सब लोग लौट आवेंगे। एक घंटे में सब काम हो जायगा। गिरीश : हम लो

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पाँचवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर-शैलाक्ष के घर के सामने (शैलाक्ष और गोप आते हैं) शैलाक्ष : अच्छा तो तू देखेगा, तेरी आँखें आप ही इस बात का न्याय करेंगी कि वृद्ध शैलाक्ष और बसन्त में कितना अन्तर है। अरी जसोदा! जैसा तू मे

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छठा दृश्य

26 जनवरी 2022
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(स्थान-शैलाक्ष के घर के सामने) (गिरीश और सलारन भेस बदले हुए आते हैं) गिरीश : यही बरामदा है जिसके नीचे लवंग ने हमें खड़े रहने को कहा था। सलारन : उनका समय तो हो गया। गिरीश : आश्चर्य है कि उन्होंने द

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सातवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा, (तुरहियाँ बजती हैं। पुरश्री और मोरकुटी का राजुकुमार अपने अपने साथियों के साथ आते हैं) पुरश्री : जाओ, पर्दे उठाओ और इस प्रतिष्ठित राजकुमार को तीनों सन्दूक दिख

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आठवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर, एक सड़क (सलारन और सलोने आते हैं) सलारन : अजी मैंने स्वयं बसन्त को जहाज पर जाते देखा; उन्हीं के साथ गिरीश भी गया है, पर मुझे विश्वास है कि उस जहाज में लवंग कदापि नहीं है। सलोने : उस दु

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नवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा (नरश्री एक नौकर के साथ आती है) नरश्री : शीघ्रता करो; पर्दे को झटपट उठाओ; आर्यग्राम के राजकुमार शपथ ले चुके और सन्दूक चुनने के लिये पहुँचा ही चाहते हैं। (तुरहि

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तीसरा अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर, एक सड़क (सलोने और सलारन आते हैं) सलोने : कहो बाजार का कोई नया समाचार है? सलारन : इस बात का अब तक वहाँ बड़ा कोलाहल है कि अनन्त का एक अनमोल माल से लदा हुआ जहाज उस छोटे समुद्र में नष्ट हो

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दूसरा दृश्य

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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा (बसन्त, पुरश्री, गिरीश, नरश्री, और उनके साथी आते हैं। सन्दूक रक्खे जाते हैं) पुरश्री : भगवान के निहोरे थोड़ा ठहर जाइए। भला अपने भाग्य की परीक्षा के पहले एक दो

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तीसरा दृश्य

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स्थान-वंशनगर की एक सड़क (शैलाक्ष, सलारन, अनन्त और कारागार के प्रधान आते हैं) शैलाक्ष : प्रधान इससे सचेत रहो; मुझसे दया का नाम न लो। यही वह मूर्ख है जो लोगों को बिना ब्याज रुपये ऋण दिया करता था। प्रधा

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चौथा दृश्य

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स्थान-विल्वमठ पुरश्री के घर का एक कमरा (पुरश्री, लवंग, जसोदा और बालेसर आते हैं) लवंग : प्यारी यद्यपि आप के मुँह पर कहना सुश्रूषा है पर आप में ठीक देवताओं का सा सच्चा और पवित्र प्रेम पाया जाता है और

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पाँचवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ-एक उद्यान (गोप और जसोदा आते हैं) गोप : हाँ बेशक-तुम जानती हो कि पिता के पापों का दण्ड उसके बच्चों को भोगना पड़ता है। इसलिये मैं सच कहता हूँ कि मुझे तुम्हारा अमंगल दृष्टि आता है। मैंने त

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चौथा अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर राजद्वार (मण्डलेश्वर वंशनगर, प्रधान लोग, अनन्त, बसन्त, गिरीश, सलारन, सलोने और दूसरे लोग आते हैं) मण्डलेश्वर : अनन्त आ गए हैं? अनन्त : धर्मावतार उपस्थित हूँ! मण्डलेश्वर : मुझे तुम पर अ

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दूसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर की एक सड़क (पुरश्री और नरश्री आती हैं) पुरश्री : जैन के घर का पता लगा कर उससे झटपट इस पाण्डुलिपि पर हस्ताक्षर करा लो। हम लोग आज ही रात को चलते होंगे, जिसमें अपने पति से एक दिन पहले घर पह

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पाँचवाँ अंक : पहिला दृश्य

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स्थान-विल्वमठ, पुश्री के घर का प्रवेशद्वार (लवंग और जसोदा आते हैं) लवंग : आहा! चाँदनी क्या आनन्द दिखा रही है! मेरे जान ऐसी ही रात में जब कि वायु इतना मन्द चल रहा था कि वृक्षों के पत्तों का शब्द तक स

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