*"कृष्ण" को अपना मानने से मन को सारे बन्धनों से मुक्ति की अनुभूति होती है, "कृष्ण" की कृपा से मन "कृष्ण" को मानता है,"कृष्ण" की कृपा से ही मन "कृष्णा" की महिमा को जान पाता है, इसलिये यदि कुछ माँगने की ही अभिलाषा है, तो "कृष्ण" की कृपा को ही माँगो, कृष्ण की कृपा से बड़ा कोई आश्रय नहीं, "कृष्ण" की कृपा से तुम्हारा कल्याण होगा,*
*जिंदगी के इस रण में*
*खुद ही "कृष्ण" और*
*खुद ही "अर्जुन" बनना है*
*रोज अपना ही सारथी*
*बन कर जीवन की*
*"महाभारत" को लड़ना है*
*मन उदास हो तो, एक काम किया करो...!*
*भीड से हट कर, खुद को वक्त दिया करो....!!!* *कभी-कभी "मेहनत" करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती,पर उससे "सबक" और "सीख" जरूर मिलते है, इसलिये यदि मेहनत करने पर "असफलता" हाथ लगे तो कभी निराश व हताश मत होना, "प्रयास" करते रहना, और पीछे मुड़कर मत देखना, जो हुआ, उससे मन को दुःखित मत करना, आगे मन में दॄढ "विश्वास" रखकर दिमाग को शांत करके समझदारी से कार्य करना, "सफलता" अवश्य मिलेगी,,,*