shabd-logo

रोजमर्रा

hindi articles, stories and books related to rojmrraa


डायरी सखि, आजकल सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की टिप्पणियां बहुत  अधिक सुर्खियां बटोर रही हैं । जिस दिन उन्होंने ये टिप्पणियां की थी , वहां पर मौजूद मीडिया ने उन्हें लपक लिया और तुरंत ब्रेकिंग न्

डायरी सखि, आज तो कमाल हो गया । "ठसक" वाले की "ठसक" धरी की धरी रह गई  । एक "नाथ" वाले शिंदे ने उसे 99 के फेर में ऐसा उलझाया कि वह 99 के फेर में ही फंस कर रह गया और उसी चकरघिन्नी में अभी तक घू

कतरा, कतरा पीके मेरी आंखों सेआप इसे हाला कहते हैं,माना बहुत बदनाम है नामों से,फिर लगाके कई जाम इन सरबती आंखों से,और नाम नशे का मधुशाला कहते हैं।।#प्राची सिंह "मुंगेरी"

किसी का भला न कर सको,तो कोई बात नहीं,पर किसी का बुरा करने का,हमें कोई अधिकार नहीं।गुस्सा आता है,और दिमाग पर छा जाता है,दूसरों का कम,और खुद का नुकसान ज्यादा कर जाता है।क्रोध अकेले आता है,पर साथ में बहु

2/7/22प्रिय डायरी,                 आज मैंने शब्द.इन में खुले आसमान में शीर्षक पर कविता लिखी।आज कल ऐसे ही बरसात का मौसम है। कहीं धूप तो बदली की छाया है। मौस

हैलोलो लो..…...सखी लो मै फिर से मुखातिब हूं तुम से ।पिछला महीना तो जलता बलता हुआ निकल गया गर्मी ही इतनी थी पर अब तो जैसे ही जुलाई लगा है मौसम सुहाना हो गया है ।पर ये सुहावना मौसम भी एक समय सीमा त

डायरी सखि,  कभी सोचा नहीं था कि ऐसा भी होगा । राजस्थान में दिनांक 28.6.2022 को उदयपुर में एक बहुत ही नृशंस,  बर्बर, क्रूर, तालिबानी, पैशाचिक , अमानवीय कार्य हुआ । एक गरीब दर्जी का कुछ जेहादि

मान लिया जाए,तो हार हो जाती है,ठान लिया जाए ,तो जीत तय हो जाती है।जीतने से पहले,मन को मानना होता है,मानने के बाद,जीवन की परिस्थितियों से,गुणा भाग कर,समस्याओं का समीकरण बनाना होता है।समीकरण बनाने के बा

खामोशी से करता चल मेहनत,और अपने हुनर को तराशता जा,पहुँचने के लिए अपनी मँजिल पर,अपने रास्तों से बाधाएं हटाए जा।यदि तू जलाता है दिए,दूसरों के रास्तों पर,तो प्रकाशित होता है रास्ता खुद का भी,इसी उजाले से

featured image

इस माह  दैनन्दिनी  'बाग़-बगीचे की बातें' के अंतर्गत मैंने अपने बाग़-बगीचे के कुछ जरुरी पेड़-पौधों के बारे में आपको कुछ जानकारी साझा दी। इसमें बाग़-बगीचे के सभी पेड़-पौधों की बारे में समयाभाव के कारण बत

दिनाँक: 29.06.2022समय:  शाम 7 बजेप्रिय सखी,पता है रिश्ते बहुत नाजुक होते हैं और कुछ ही गलतफहमियां बड़ी समस्यायों की जड़ हो सकती हैं। कई बार हम अनजाने में अपनों को हर्ट कर देते हैं और आपको इस बात क

राजनीति एक ऐसा शब्द है जिससे सभी वाक़िफ हैं | एलेक्शन , वोट , नेता, उनके पैंतरे , लुभावने एजेंडे सभी कुछ राजनिति का ही हिस्सा तो है |  आम आदमी को अपनी सरकार से क्या चाहिए और उसे क्या मिलता है , यह जानन

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।कल बड़ी दीदी ने शादी की सालगिरह का गिफ्ट भेजा।मन खुश हो गया।पता नही ससुराल वाले कैसे है कभी भी मेरी मैरिज एनिवर्सरी और मेरा जन्म दिन विश नही करते।बस ससुराल मे तो कर्तव्

कैलेण्डर इतराता है,और तारीख़ बदलता जाता है,पर एक तारीख़ ऐसी आती है,जब कैलेण्डर ही बदल जाता है।धूप में तपना पड़ता है,दूर तक चलना पड़ता है,सपनों को साकार करने के लिए , रात रात भर जगना पड़ता है।गिरते गिर

मिट्टी का आशीषमाता,पिता का आशीष सभी को प्राप्त होता है।ये कितने भी बड़े लोग हो लेकिन मिट्टी की तरह कोमल और परोपकारी होते हैं।जन्मतिथि से लेकर मृत्युशैय्या तक,इनके ना जाने कितने अंगिनित कर्ज़ होते हैं

प्रिय सखी।कैसी हो ।कल तुम से वादा किया था कि कल कुछ खास दिन है सोई आज बता रही हूं कि क्या खास है ।आज सुबह डेली रूटीन की तरह पांच बजे उठी ।अपनी दवाई लेकर बाहर आंगन है फ्लेट मे उस पर थोडी दूर के लिए हर

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम निश्चित रूप से अब ठीक है ।कल से मन बैचेन था।तुम से मिलने के लिए जैसे ही ऐप खोला ।हम नदारद हो गये ऐप से ।बार बार लाग इन कर रहे थे सुबह से पर कुछ हो ही नही रहा था।वैसे भी कल रविवार

पतझड़ के बाद ही,नए पत्ते आते हैं,कठिनाई सहने के बाद ही,अच्छे दिन आते हैं।नए हरे पत्तों से ऋंगार करके,पेड़ इठलाता है,मगर उसके पहले वह,कितने कष्ट झेल जाता है।वही जानता है उस कष्ट को,जब एक एक पत्ते छोड़ते थ

तेरी यादइक याद तेरी आती हैऔर दर्द बढ़ जाता हैतुझे ये हरे ज़ख्म नहीं दिखतेयादों के दर्द के,कड़वे काढ़े हम कबतक,कैसे पिएं और उसपे खुशियों का मरहम कैसे लगाएं!बहुत हुआ लुका - छिपीख़्वाबों में तेरा यू

तलाशख़ुद के तलाश में ख़ुद को तलाश रहा हूंकोशिश है मन की उद्विग्नता को समेटु भागते शहर में अपना सुंकू तलाशुढूंढ लाऊं मैं वो खुशियांजिसकी आगोश में मैं पूरा समा जाऊं। मैं इक ज़िंदगी ढूंढ रहा हू

किताब पढ़िए