16/7/22प्रिय डायरी, आज मैंने शब्द.इन में वक़्त शीर्षक पर कविता लिखी।हम सब छोटे थे तब का वक़्त कुछ और ही था। जो मम्मी डैडी ने कह दिया तो उनकी बात
प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं।सबसे पहले सावन का महीना जो भगवान भोलेनाथ को समर्पित है उस की तुम को बहुत बहुत बधाई।सावन मास मे सब ओर हरा ही हरा दिखाई देता है कुछ लोगों के यहां मानता भी होती है कि वो सा
डायरी दिनांक १५/०७/२०२२ शाम के छह बजकर बीस मिनट हो रहे हैं । उपन्यास पुनर्मिलन में इस समय श्री कृष्ण जी और राधा जी के विवाह के प्रसंग के साथ साथ भगवान जगन्नाथ रूप धारण करने की पृष्ठभूमि पर
14/7/22प्रिय डायरी, आज मैंने शब्द.इन में भाषा हिन्दी शीर्षक पर कविता लिखी।हिन्दी हमारी मातृ भाषा है हमें इस पर गर्व होना चाहिए। अपनी हिंदी
कवियों के जीवन में प्यार,सर से ऊपर गुजर जाने वाली बसंती हवा की तरह है जो गुजरते हुए मौहाल को खुशनुमा बना देती तो हैं लेकिन ठहराव नहीं समेट पाती।साथ केवल बस इक इनका नितांत अकेलापन ही रह पाता है बाक़ी स
12/7/22प्रिय डायरी, आज मैंने शब्द.इन पर लकीरें शीर्षक पर कविता लिखी।लकीरें का अर्थ जीवन में दीवार खींचने से भी होता है। दोस्तों में या भाईय
सदमा तो कई बातों का है मुझे...इक तेरे पास रहने का....इक उनसे दूर रहने का...कभी मौसम की उदासियों का...कभी दिल में मरघट पसारे तन्हाइयों का।।#प्राची सिंह "मुंगेरी"
दुनियां की सबसे बेहतर खुशबू मुझे दैनिक अखबारों में ही मिलती है एक तो इनका हर दिन का नयापन ऊपर से कागज़ों की खुशबू का सौंधापन।सबसे बदबूदार मुझे ख़ुद का पसीना ही लगता है क्योंकि ये मुझे सफ़लता के संघर्
प्रिय सखी।कैसी हो। मै अच्छी हूं।दोपहर के बारह बजे है देहली शोप पर हूं। सुबह से कोई ग्राहक नही है कुछ तो मुझे लग रहा है बकरीद के कारण छुट्टी जैसा माहौल है । बहुत सी शोप बंद भी है और लोगों की आवाजाही भी
डायरी सखि, आजकल मैं थोड़ा व्यस्त चल रहा हूं । इसलिए समय पर न तो डायरी ही लिख पा रहा हूं और ना ही मैं अपने धारावाहिकों जैसे "बहू पेट से है", "रात्रि चौपाल", "भुतहा मकान" और अन्य रचनाओं को भी पूर्ण
10/7/22प्रिय डायरी, आज मैंने शब्द.इन पर घिसी हुई चप्पल शीर्षक पर कविता लिखी।घिसी हुई चप्पल संघर्ष और कठिनाइयों को बयां करती है। जब नौकरी के
प्रिय सखी। कैसी हो ।मै तो अच्छी हूं।अभी देहली शोप से आ कर बैठी हूं।आजकल कुछ ज्यादा ही व्यस्त चल रही हूं।अभी नयी नयी शोप की है देहली मे । फरीदाबाद से देहली का हर रोज का आना जाना थका देता है। फिर ग
इश्क को इबादत समझते हैं
9/7/22प्रिय डायरी, कल हमने आस्था शीर्षक पर कविता लिखी। आज तो सुख और उम्र शीर्षक पर कविता लिखी।आस्था से हमारे जीवन में तात्पर्य क्या है। ईश्
तपते, तड़पाते धूप के बाद प्रकृति का प्यार जब वर्षा की बूंदे बन धरती पर पड़ती है तो धरती हरी - भरी दिखाई देने लगती है।ऐसे ही जीवन की तपती जेठ में, प्यार भी सावन की तरह आता है कुछ दिन तो उमंगों की फुहार
चीजें जो बहुत अच्छी लगती हैं दरअसल कई सारी गलतियों के बाद सुधरी होती है।।#प्राची सिंह "मुंगेरी"
सखि , आजकल रात में दूर कहीं दक्षिण दिशा से , पता नहीं राष्ट्र से या महाराष्ट्र से बड़ी मार्मिक आवाज में एक गाना सुनाई देता है ये क्या हुआ कैसे हुआ कब हुआ, क्यों हुआ जब हुआ तब
कल बुधवार को नगर निगम चुनाव का मतदान दिवस था, जिसके लिए शासकीय अवकाश घोषित किया गया था। पिछले तीन-चार दिन तेज बारिश का दौर चल पड़ा था, जिस कारण बुधवार को मतदान के लिए कई जनप्रतिनिधि और उम्मीदवार बड़
7/7/22प्रिय डायरी, आज मैंने शब्द.इन में आंगन में चारपाई शीर्षक पर कविता लिखी। दो दिन से तबीयत बिगड़ी हुई इसलिए डायरी नहीं लिखी सिर्फ क
डायरी सखि, कुछ लोगों को विवाद पैदा कर विवादों में रहने में बड़ा मजा आता है । और मजे की बात यह है कि ऐसे लोग सोच समझ कर षड्यंत्र पूर्वक अपने ऐजेण्डे के अन्तर्गत हिंदू समाज के देवी देवताओं के नकारा