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सदाचार बेला (02 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022

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 प्रस्तुत है प्रवर्तिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण  

https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  

संसार में रहते हुए सभी के साथ कारण और कार्य संयुक्त हैं लेकिन बुद्धिमत्तापूर्वक,विचारपूर्वक किसी काम को सुलझा लेना पुरुषार्थी और विवेकसंपन्न व्यक्ति के लक्षण हैं विवेक समाधि के पास की अवस्था है संपूर्ण संसार को समझकर आत्मस्थ होने का भाव जहां विकसित हो जाए वह समाधि की अवस्था है समाधि का अनुभव यद्यपि आनन्द का विषय है लेकिन समझाने में अत्यन्त दुरूह है अबिगत गति कछु कहति न आवै।  

ज्यों गूंगो मीठे फल को रस अन्तर्गत ही भावै॥  

परम स्वादु सबहीं जु निरन्तर अमित तोष उपजावै।  

मन बानी कों अगम अगोचर सो जाने जो पावै॥  

रूप रैख गुन जाति जुगति बिनु निरालंब मन चकृत धावै।  

सब बिधि अगम बिचारहिं, तातों सूर सगुन लीला पद गावै॥  

यह सूरदास जी ने वल्लभाचार्य को गाकर बताया है (देह पर अभिमान करने वालों को अव्यक्त- उपासना कठिन लगेगी अव्यक्त ब्रह्मा का रूप जाति कुछ नहीं है मन वहां ठहर ही नहीं सकता इसलिए सूरदास सगुण ब्रह्म श्रीकृष्ण की लीलाओं को गाना सही समझते हैं) इसे सुनकर वल्लभाचार्य को लगा कि सूर ज्ञान के द्वार तक पहुंचा हुआ भक्त है इसकी तो सहायता अवश्य ही करनी चाहिए विवेकपूर्वक जीवन जीने पर हमें यह अकल आ जाती है कहां किससे किस तरह का व्यवहार करना लेकिन सारे व्यवहारों में प्रेम और सद्भाव का सूत्र जिनका टूट जाता है वे समाज के लिए समस्या हो जाते हैं आत्मीयता का सूत्र कभी खण्डित न करें यह हम लोगों की संस्कृति है हमारे ऋषितुल्य कवियों ने कई स्थानों पर इसकी अभिव्यंजना की है किष्किन्धा कांड में ऋतु का वर्णन देखते ही बनता है जिसे ज्ञान की दिशा और दृष्टि से भी जोड़ा है |  

बरषहिं जलद भूमि निअराएँ । जथा नवहिं बुध बिद्या पाएँ।  

बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे । खल के बचन संत सह जैसें॥2॥  

छुद्र नदीं भरि चलीं तोराई । जस थोरेहुँ धन खल इतराई॥  

भूमि परत भा ढाबर पानी । जनु जीवहि माया लपटानी॥3॥  

समिटि समिटि जल भरहिं तलावा । जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा ॥  

सरिता जल जलनिधि महुँ जोई । होइ अचल जिमि जिव हरि पाई ॥4॥  

सांसारिक व्याकुलता से ग्रसित लोगों को आत्मचिन्तन की आवश्यकता है पद प्रतिष्ठा धन सम्मान नहीं मिलने पर वे व्याकुल हो जाते हैं सहज संतों के पास तो पद भी नहीं होते लेकिन उनके पास जाकर बहुत लोगों को शान्ति मिलती है कभी किसी स्थान पर शान्ति मिलती है कभी किसी समय पर शान्ति मिलती है यह सब चक्र चलता रहता है इन सबका आधार परमात्मा है जो क्रियाशील भी है और क्रियामुक्त भी है क्रियाहीन नहीं हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारी भाषा बहुत उर्वर है भाव बहुत गहरे हैं गूगल गुरु' के नाम से प्रसिद्ध वृंदावन के दो साल दस माह के गुरु उपाध्याय की चर्चा आचार्य जी ने की पिण्ड हमारा शरीर भी है और ब्रह्माण्ड भी पिण्ड है संसार को संसार की दृष्टि से और विचार को विचार की दृष्टि से भाव में लिप्त होकर हम सब कुछ प्राप्त करें 03' समय समय पर होत है समय समय की बात किसी समय का दिन बड़ा किसी समय की रात कभी किसी का दिन बड़ा कभी किसी की रात राम जन्म का दिन बड़ा कृष्ण जन्म की रात स्वयं दिखाई नही है देता पर सब कुछ दिखलाता अपना और पराया सबको यही समय बतलाता जिसके पास अधिक है उससे नही है काटा जाता जिसे चाहिए उसे यह कभी नही मिल पाता किन्तु सत्य है जो भी इसका करता है सम्मान समय बना देता है उसके सारे बिगड़े काम इससे प्रेरित होकर हम लोग अपने समय का सदुपयोग करने के लिए आइये सुनते हैं|  

 

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रचनाएँ
सदाचार बेला (जनवरी 2022)
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नियमों के अनुकूल किया गया काम ही सदाचार कहलाता है, जैसे—सत्य बोलना, सेवा करना, विनम्र रहना, बड़ों का आदर करना आदि। ये उत्तम चरित्र के गुण हैं। जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये गुण होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है। ... इस तरह सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहार सदाचारी व्यक्ति में गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुँचाना, विनम्र रहना, मधुर बोलना जैसे गुण होते हैं।
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सदाचार बेला (01/01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है तीव्रसंवेग आचार्य श्री ओम शंकर जी का सूरत जो उस समय मुगलों का एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण किला था उस पर सन् 1664 में आज ही के दिन शिवाजी राजे भोंसले (जन्म 19 फ़रवरी 1630) ने धावा बोल दिया था] क

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सदाचार बेला (02 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है प्रवर्तिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   संसार में रहते हुए सभी के साथ कारण और कार्य संय

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सदाचार बेला (03 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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सव्येष्ठ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   आज के सदाचार संप्रेषण में आचार्य जी के मन में सांसारिकता के सा

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सदाचार बेला (04/01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण l ता ऊपर सुल्तान है,मत चूके चौहान।।   प्रस्तुत है सानु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w h

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सदाचार बेला (05 /01/22) का उद्बोधन

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त्तासुर दैत्य के आतंक का सामना करने हेतु देशहित में दधीचि ऋषि द्वारा दान की गई हड्डियों से तीन धनुष गाण्डीव पिनाक सारङ्ग बने प्रस्तुत है स्यन्दनारोह आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https:

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सदाचार बेला (06 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है वीरन्धरोन्मुख आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   क्योंकि हम लोग ऋषित्व को प्राप्त नहीं कि

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सदाचार बेला (07/01/22) का उद्बोधन

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हर कर को गांडीव सुलभ है,हर मन को उत्साह । किंतु शर्त यह आह न किंचित, हर पल निकले वाह ।। हर कर कोगांडीव सुलभ है,हर मन को उत्साह । किंतु शर्त यह आह न किंचित, हर पल निकले वाह ।।   ✍️ओम शंकर प्रस्तुत है

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सदाचार बेला (08 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है साशंस आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण : -   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   इस सदाचार वेला का अनवरत संप्रेषण परमात्मा दे

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सदाचार बेला (09/01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है स्मितदृश्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   आचार्य जी आज कानपुर पहुंचेंगे भाषा का व्यवहार म

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सदाचार बेला (10 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है धैर्यकलित आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/, https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   स्थान -परिवर्तन और व्यवस्था -परिवर्तन में भी

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सदाचार बेला (11 /01/22) का उद्बोधन

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 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत । क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ॥ (कठोपनिषद् 1/3/14) (उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य, वरान्, निबोधत, क्षुरस्य, धारा, निशिता,दुरत्यया,दुर्गम

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सदाचार बेला (12/01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है उद्यतायुध आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   श्रोता और वक्ता दोनों यदि अपने विकारी शरीर को भुल

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सदाचार बेला (13 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है अध्यात्मोद्रेचक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   यदि श्रोता को अंतर्मन में बोलने का अभ्यास ह

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सदाचार बेला (14 /01/22) का उद्बोधन

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 सर्वगुह्यतमं भूयः श्रृणु मे परमं वचः। इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ।।18.64।।   प्रस्तुत है ध्वज आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://yo

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सदाचार बेला (15 /01/22) का उद्बोधन

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लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः। छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः।।5.25।।  प्रस्तुत है प्रबर्ह आचार्य श्री ओम शंकर जी का भारतीय संस्कृति की रक्षा और विस्तार हेतु सदाचार संप्रेषण  https:

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सदाचार बेला (16 /01/22) का उद्बोधन

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सर्वभूतहिते रताः प्रस्तुत है प्रभविष्णु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  सिविल लाइन्स उन्नाव स्थित सरस्

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सदाचार बेला (17 /01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है आर्थिक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  कल उन्नाव स्थित विद्यालय के पूर्व छात्र सम्मे

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सदाचार बेला (18 /01/22) का उद्बोधन

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आत्मानुसंधान तथा अन्तरावलोकन द्वारा अपने दोषों को दूर करने की चेष्टा करें -अखंड ज्योति अप्रैल 1951 पृष्ठ 8  प्रस्तुत है मार्गोपदिश् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yu

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सदाचार बेला (19 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है प्रवेक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  हमने अपना उद्देश्य बनाया कि भारत मां के चरणो

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सदाचार बेला (20 /01/22) का उद्बोधन

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शौर्य कभी गर सो जाए तो हल्दीघाटी को पढ़ लेना ।।  प्रस्तुत है यजि आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w ,https://t.me/prav353 

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प्रस्तुत है जाजिन्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण : -  https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  मनुष्य के जीवन जीने का मर्म यही है कि वह मनु

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प्रस्तुत है वृत्तशस्त्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.bue/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  मनुष्यत्व की अनुभूति करते हुए हम लोग संसार

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सदाचार बेला (23/01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है वृत्तिस्थ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  परमात्मा की कृपा है कि सामान्य जीवन निर्वाह

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सदाचार बेला (25/01/22) का उद्बोधन

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ओ हिन्दू वीर तेरे नाम एक संदेश लाया हूं तू किन वीरों का वंशज है बताने तुझको आया हूं  प्रस्तुत है यशस्काम आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , ttps://you

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सदाचार बेला (26 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है हयङ्कष आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  यह सदाचार वेला हमें उत्साह से भरने के लिये हो

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सदाचार बेला (27/01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है सिंहदर्प आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण    https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  हम चाहे विद्यालय में रहें किसी संस्था में र

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सदाचार बेला (28 /01/22) का उद्बोधन

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बिनु संतोष न काम नसाहीं । काम अछत सुख सपनेहुँ नाहीं ॥  राम भजन बिनु मिटहिं कि कामा। थल बिहीन तरु कबहुँ कि जामा ll  प्रस्तुत है पाठीन आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.

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सदाचार बेला (29 /01/22) का उद्बोधन

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 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।2.47।।  प्रस्तुत है शिश्विदान आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ ,https:/

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सदाचार बेला (30 /01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है विकुर्वाण आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  अनुभूति की बात है कि इस रहस्यात्मक संसार में

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सदाचार बेला (31 /01/22) का उद्बोधन

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नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥ (भावार्थ:- हे रघुनाथजी! आप सभी के दिल में आत्मा रूप में स्थित ह

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सदाचार बेला (24 /01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है स्नेहिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  परमात्मतत्त्व बिना विचार के सहज ही कभी कभी उद्भूत

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