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सदाचार बेला (04/01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022

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 चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण l ता ऊपर सुल्तान है,मत चूके चौहान।।  

प्रस्तुत है सानु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण  

https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  

शिक्षक पढ़ाता तो अनेक विद्यार्थियों को है लेकिन किसी किसी को उसका भाव लग जाता है समान वृत्ति यदि जिज्ञासु है और ज्ञानोन्मुख है तो मेल मिल जाता है आचार्य जी ने यह बात भैया पवन रामपुरिया को लेकर की जिन्होंने आचार्य जी से प्रेरित होकर गीता कंठस्थ कर ली थी और उन्हें यह कभी नहीं लगता कि परमात्मा भी गलती कर सकता है जब कि यदि हमारा मोह किसी से बहुत अधिक हो जाता है, हमारी कामनाएं किसी से बहुत अधिक संयुक्त हो जाती हैं और उसका नुकसान हो जाए तो हम शंका करने लगते हैं कि परमात्मा ने गलती कर दी है इसके लिए आचार्य जी ने एक और प्रसंग बताया जिसमें किसी का प्रश्नपत्र खराब हो गया तो वह देवी जी को बुरा भला कहने लगा संसार मिले जुले भावों का है हमें यह समझना चाहिए कि हमें करना क्या है और यही धर्म है गीता में _  

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।  

स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।3.35।।  

भली प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे धर्म से गुणरहित स्वधर्म श्रेष्ठ है। अपने धर्म में तो मरना भी कल्याण करने वाला है और दूसरा धर्म भय देने वाला है। धर्म और कर्म एक दूसरे से संयुत हैं हमें अपने स्वरूप को किस प्रकार बदलना है इसके लिए एक सूक्ति है |  

लालयेत् पञ्च वर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत् ।  

प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत् ॥  

आचार्य जी ने गीता के कुछ और छन्द लिए  

अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुषः।  

अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजितः।।3.36।।  

अर्जुन बोल - तो यह मानव न चाहता हुआ भी बलात् लगाये हुए की तरह किससे प्रेरित होकर पाप का आचरण करता है ?  

काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।  

महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्।।3.37।।  

रजोगुण से उत्पन्न महापापी और बहुत अधिक खाने वाले काम से ही तुम्हें वैर रखना है  

धूमेनाव्रियते वह्निर्यथाऽऽदर्शो मलेन च।  

यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम्।।3.38।।  

धुएँ से आग और मैल से मङ्कुर ढक जाता है जेर से गर्भ ढका रहता है, उसी तरह काम के द्वारा यह विवेक ढका हुआ है।  

आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा। कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च।।3.39।।  

इस अग्नि के समान कभी तृप्त न होने वाले विवेकियों के वैरी इस काम के द्वारा मनुष्य का विवेक ढका हुआ है। हम सब कर्म मार्ग के पथिक हैं और धर्म के स्वरूप को समझने का प्रयास भी करते हैं आचार्य जी ने परामर्श दिया कि ध्यान का अभ्यास करें इसके अतिरिक्त परमात्मा विकारी होता है तो क्या करता है? क्या शुद्ध स्वर्ण से आभूषण बनाया जा सकता है? आदि जानने के लिए सुनें |  

 

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रचनाएँ
सदाचार बेला (जनवरी 2022)
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नियमों के अनुकूल किया गया काम ही सदाचार कहलाता है, जैसे—सत्य बोलना, सेवा करना, विनम्र रहना, बड़ों का आदर करना आदि। ये उत्तम चरित्र के गुण हैं। जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये गुण होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है। ... इस तरह सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहार सदाचारी व्यक्ति में गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुँचाना, विनम्र रहना, मधुर बोलना जैसे गुण होते हैं।
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सदाचार बेला (01/01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है तीव्रसंवेग आचार्य श्री ओम शंकर जी का सूरत जो उस समय मुगलों का एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण किला था उस पर सन् 1664 में आज ही के दिन शिवाजी राजे भोंसले (जन्म 19 फ़रवरी 1630) ने धावा बोल दिया था] क

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सदाचार बेला (02 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है प्रवर्तिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   संसार में रहते हुए सभी के साथ कारण और कार्य संय

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सदाचार बेला (03 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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सव्येष्ठ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   आज के सदाचार संप्रेषण में आचार्य जी के मन में सांसारिकता के सा

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सदाचार बेला (04/01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण l ता ऊपर सुल्तान है,मत चूके चौहान।।   प्रस्तुत है सानु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w h

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सदाचार बेला (05 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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त्तासुर दैत्य के आतंक का सामना करने हेतु देशहित में दधीचि ऋषि द्वारा दान की गई हड्डियों से तीन धनुष गाण्डीव पिनाक सारङ्ग बने प्रस्तुत है स्यन्दनारोह आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https:

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सदाचार बेला (06 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है वीरन्धरोन्मुख आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   क्योंकि हम लोग ऋषित्व को प्राप्त नहीं कि

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सदाचार बेला (07/01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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हर कर को गांडीव सुलभ है,हर मन को उत्साह । किंतु शर्त यह आह न किंचित, हर पल निकले वाह ।। हर कर कोगांडीव सुलभ है,हर मन को उत्साह । किंतु शर्त यह आह न किंचित, हर पल निकले वाह ।।   ✍️ओम शंकर प्रस्तुत है

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सदाचार बेला (08 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है साशंस आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण : -   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   इस सदाचार वेला का अनवरत संप्रेषण परमात्मा दे

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सदाचार बेला (09/01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है स्मितदृश्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   आचार्य जी आज कानपुर पहुंचेंगे भाषा का व्यवहार म

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सदाचार बेला (10 /01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है धैर्यकलित आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/, https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   स्थान -परिवर्तन और व्यवस्था -परिवर्तन में भी

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सदाचार बेला (11 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत । क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ॥ (कठोपनिषद् 1/3/14) (उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य, वरान्, निबोधत, क्षुरस्य, धारा, निशिता,दुरत्यया,दुर्गम

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सदाचार बेला (12/01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है उद्यतायुध आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   श्रोता और वक्ता दोनों यदि अपने विकारी शरीर को भुल

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सदाचार बेला (13 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है अध्यात्मोद्रेचक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   यदि श्रोता को अंतर्मन में बोलने का अभ्यास ह

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सदाचार बेला (14 /01/22) का उद्बोधन

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 सर्वगुह्यतमं भूयः श्रृणु मे परमं वचः। इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ।।18.64।।   प्रस्तुत है ध्वज आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://yo

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सदाचार बेला (15 /01/22) का उद्बोधन

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लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः। छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः।।5.25।।  प्रस्तुत है प्रबर्ह आचार्य श्री ओम शंकर जी का भारतीय संस्कृति की रक्षा और विस्तार हेतु सदाचार संप्रेषण  https:

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सदाचार बेला (16 /01/22) का उद्बोधन

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सर्वभूतहिते रताः प्रस्तुत है प्रभविष्णु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  सिविल लाइन्स उन्नाव स्थित सरस्

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सदाचार बेला (17 /01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है आर्थिक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  कल उन्नाव स्थित विद्यालय के पूर्व छात्र सम्मे

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सदाचार बेला (18 /01/22) का उद्बोधन

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आत्मानुसंधान तथा अन्तरावलोकन द्वारा अपने दोषों को दूर करने की चेष्टा करें -अखंड ज्योति अप्रैल 1951 पृष्ठ 8  प्रस्तुत है मार्गोपदिश् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yu

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सदाचार बेला (19 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है प्रवेक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  हमने अपना उद्देश्य बनाया कि भारत मां के चरणो

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सदाचार बेला (20 /01/22) का उद्बोधन

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शौर्य कभी गर सो जाए तो हल्दीघाटी को पढ़ लेना ।।  प्रस्तुत है यजि आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w ,https://t.me/prav353 

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प्रस्तुत है जाजिन्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण : -  https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  मनुष्य के जीवन जीने का मर्म यही है कि वह मनु

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प्रस्तुत है वृत्तशस्त्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.bue/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  मनुष्यत्व की अनुभूति करते हुए हम लोग संसार

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प्रस्तुत है वृत्तिस्थ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  परमात्मा की कृपा है कि सामान्य जीवन निर्वाह

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सदाचार बेला (25/01/22) का उद्बोधन

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ओ हिन्दू वीर तेरे नाम एक संदेश लाया हूं तू किन वीरों का वंशज है बताने तुझको आया हूं  प्रस्तुत है यशस्काम आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , ttps://you

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सदाचार बेला (26 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है हयङ्कष आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  यह सदाचार वेला हमें उत्साह से भरने के लिये हो

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सदाचार बेला (27/01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है सिंहदर्प आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण    https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  हम चाहे विद्यालय में रहें किसी संस्था में र

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सदाचार बेला (28 /01/22) का उद्बोधन

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बिनु संतोष न काम नसाहीं । काम अछत सुख सपनेहुँ नाहीं ॥  राम भजन बिनु मिटहिं कि कामा। थल बिहीन तरु कबहुँ कि जामा ll  प्रस्तुत है पाठीन आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.

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सदाचार बेला (29 /01/22) का उद्बोधन

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 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।2.47।।  प्रस्तुत है शिश्विदान आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ ,https:/

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सदाचार बेला (30 /01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है विकुर्वाण आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  अनुभूति की बात है कि इस रहस्यात्मक संसार में

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सदाचार बेला (31 /01/22) का उद्बोधन

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नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥ (भावार्थ:- हे रघुनाथजी! आप सभी के दिल में आत्मा रूप में स्थित ह

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सदाचार बेला (24 /01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है स्नेहिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  परमात्मतत्त्व बिना विचार के सहज ही कभी कभी उद्भूत

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