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सदाचार बेला (11 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022

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 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत । क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ॥
(कठोपनिषद् 1/3/14) (उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य, वरान्, निबोधत, क्षुरस्य, धारा, निशिता,दुरत्यया,दुर्गम्,पथः, तत्, कवयः,
वदन्ति उठो, जागो, पाओ,बड़ों से, बोध, उस्तरे की, धार,तेज,पार करना, चलने में कठिन, रास्ता, वह, ऋषिगण, बोलते
हैं ) उठो, जागो,बड़ों से बोध प्राप्त करो ऋषिगण ऐसा बोलते हैं कि वह रास्ता उस्तरे की तेज धार पर चलकर उसे पार करने के समान कठिन है प्रस्तुत है भूरिदक्षिण आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण ttps://sadachar.yugbharti.in/, https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  

हमारा नित्य विकास होता है यात्रा सतत् होती रहती है लेकिन उसका हमें अनुभव नहीं होता है लेकिन बाह्य विक्षेप (जैसे पैदल चलना, वायु मार्ग से चलना आदि )हमें आवश्यकता से अधिक चञ्चल कर देता है कुछ लोग सतत् यात्रा में रहते हैं बहुत अधिक किसी को रहना है तो वह कहीं तीन रात्रि रह सकता है यह मनुष्य को क्रियाशील बनाने का हमारे यहां प्रावधान है जो भारतवर्ष को अपना मानते हैं जिनकी इस धरती के प्रति इस संस्कृति के प्रति आस्था है जो इस भाव में डूबने का अभ्यास कर लेते हैं ऐसे लोग जीवन के प्रत्येक क्रम और व्यवस्था को जिज्ञासा और आदर के भाव के साथ देखते हैं  

ज्ञानं परम गुह्यं मे यद्विज्ञानसमन्वितम्। सरहस्यं तदगं च गृहाण गदितं मया।।  

आत्मा परमात्मा अत्यन्त रहस्यमय हैं लेकिन हम सदाचारी लोग बाह्य जीवन में और परेशानी में इसका निष्कर्ष निकालते हैं रामकथा एक उदाहरण है जब लग रहा था कि हिन्दुत्व की सनातनता डूब जायेगी हमारी कथा भी इसी तरह प्रारम्भ होती है सब नष्ट हो रहा है नाव में एक पुरुष बैठा है प्रलयकालीन वर्षा हो रही है फिर वह बचता है सृष्टि का विकास होता है ये आशा देने वाला साहित्य है इसके महत्त्व को समझते हुए प्रतिदिन इसका अध्ययन करने का मन बनायें अभ्यास करें विश्वास करें कि हम परमात्मा के अंश हैं तो इस तरह के चिन्तन से बहुत सारी सांसारिक समस्याओं का हम हल भी पा लेते हैं औरों का सहारा भी बनते हैं |  

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्।।4.7।।  

सदाचार संप्रेषण का आशय यही है कि हमारे तन और मन की थकान मन की निराशा बुद्धि का भ्रम आदि शमित हों और
प्रातःकाल इस शरीर रूपी हवनकुंड में यज्ञ की आहुतियां डालते रहें संसार में रहते हुए मार्गान्तरित न हों इसके लिए भी इस तरह की सदाचारवेला की आवश्यकता है राम और सीता का भाव भी हमारे अन्दर प्रविष्ट रहे भारत के भविष्य को संभालने के लिये और विश्व के कल्याण के लिये हमें उद्यत होना होगा उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत। क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ॥  

(कठोपनिषद् 1/3/14) (स्वामी विवेकानन्द जन्म 12 जनवरी 1863 )  

 

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रचनाएँ
सदाचार बेला (जनवरी 2022)
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नियमों के अनुकूल किया गया काम ही सदाचार कहलाता है, जैसे—सत्य बोलना, सेवा करना, विनम्र रहना, बड़ों का आदर करना आदि। ये उत्तम चरित्र के गुण हैं। जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये गुण होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है। ... इस तरह सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहार सदाचारी व्यक्ति में गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुँचाना, विनम्र रहना, मधुर बोलना जैसे गुण होते हैं।
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सदाचार बेला (01/01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है तीव्रसंवेग आचार्य श्री ओम शंकर जी का सूरत जो उस समय मुगलों का एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण किला था उस पर सन् 1664 में आज ही के दिन शिवाजी राजे भोंसले (जन्म 19 फ़रवरी 1630) ने धावा बोल दिया था] क

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सदाचार बेला (02 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है प्रवर्तिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   संसार में रहते हुए सभी के साथ कारण और कार्य संय

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सदाचार बेला (03 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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सव्येष्ठ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   आज के सदाचार संप्रेषण में आचार्य जी के मन में सांसारिकता के सा

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सदाचार बेला (04/01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण l ता ऊपर सुल्तान है,मत चूके चौहान।।   प्रस्तुत है सानु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w h

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सदाचार बेला (05 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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त्तासुर दैत्य के आतंक का सामना करने हेतु देशहित में दधीचि ऋषि द्वारा दान की गई हड्डियों से तीन धनुष गाण्डीव पिनाक सारङ्ग बने प्रस्तुत है स्यन्दनारोह आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https:

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सदाचार बेला (06 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है वीरन्धरोन्मुख आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   क्योंकि हम लोग ऋषित्व को प्राप्त नहीं कि

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सदाचार बेला (07/01/22) का उद्बोधन

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हर कर को गांडीव सुलभ है,हर मन को उत्साह । किंतु शर्त यह आह न किंचित, हर पल निकले वाह ।। हर कर कोगांडीव सुलभ है,हर मन को उत्साह । किंतु शर्त यह आह न किंचित, हर पल निकले वाह ।।   ✍️ओम शंकर प्रस्तुत है

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10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है साशंस आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण : -   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   इस सदाचार वेला का अनवरत संप्रेषण परमात्मा दे

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 प्रस्तुत है स्मितदृश्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   आचार्य जी आज कानपुर पहुंचेंगे भाषा का व्यवहार म

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 प्रस्तुत है धैर्यकलित आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/, https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   स्थान -परिवर्तन और व्यवस्था -परिवर्तन में भी

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सदाचार बेला (11 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत । क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ॥ (कठोपनिषद् 1/3/14) (उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य, वरान्, निबोधत, क्षुरस्य, धारा, निशिता,दुरत्यया,दुर्गम

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सदाचार बेला (12/01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है उद्यतायुध आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   श्रोता और वक्ता दोनों यदि अपने विकारी शरीर को भुल

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प्रस्तुत है अध्यात्मोद्रेचक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   यदि श्रोता को अंतर्मन में बोलने का अभ्यास ह

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सदाचार बेला (14 /01/22) का उद्बोधन

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 सर्वगुह्यतमं भूयः श्रृणु मे परमं वचः। इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ।।18.64।।   प्रस्तुत है ध्वज आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://yo

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लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः। छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः।।5.25।।  प्रस्तुत है प्रबर्ह आचार्य श्री ओम शंकर जी का भारतीय संस्कृति की रक्षा और विस्तार हेतु सदाचार संप्रेषण  https:

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सर्वभूतहिते रताः प्रस्तुत है प्रभविष्णु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  सिविल लाइन्स उन्नाव स्थित सरस्

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 प्रस्तुत है आर्थिक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  कल उन्नाव स्थित विद्यालय के पूर्व छात्र सम्मे

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सदाचार बेला (18 /01/22) का उद्बोधन

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आत्मानुसंधान तथा अन्तरावलोकन द्वारा अपने दोषों को दूर करने की चेष्टा करें -अखंड ज्योति अप्रैल 1951 पृष्ठ 8  प्रस्तुत है मार्गोपदिश् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yu

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सदाचार बेला (19 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है प्रवेक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  हमने अपना उद्देश्य बनाया कि भारत मां के चरणो

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सदाचार बेला (20 /01/22) का उद्बोधन

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शौर्य कभी गर सो जाए तो हल्दीघाटी को पढ़ लेना ।।  प्रस्तुत है यजि आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w ,https://t.me/prav353 

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प्रस्तुत है जाजिन्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण : -  https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  मनुष्य के जीवन जीने का मर्म यही है कि वह मनु

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प्रस्तुत है वृत्तशस्त्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.bue/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  मनुष्यत्व की अनुभूति करते हुए हम लोग संसार

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प्रस्तुत है वृत्तिस्थ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  परमात्मा की कृपा है कि सामान्य जीवन निर्वाह

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ओ हिन्दू वीर तेरे नाम एक संदेश लाया हूं तू किन वीरों का वंशज है बताने तुझको आया हूं  प्रस्तुत है यशस्काम आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , ttps://you

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सदाचार बेला (26 /01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है हयङ्कष आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  यह सदाचार वेला हमें उत्साह से भरने के लिये हो

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सदाचार बेला (27/01/22) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है सिंहदर्प आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण    https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353  हम चाहे विद्यालय में रहें किसी संस्था में र

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सदाचार बेला (28 /01/22) का उद्बोधन

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बिनु संतोष न काम नसाहीं । काम अछत सुख सपनेहुँ नाहीं ॥  राम भजन बिनु मिटहिं कि कामा। थल बिहीन तरु कबहुँ कि जामा ll  प्रस्तुत है पाठीन आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.

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सदाचार बेला (29 /01/22) का उद्बोधन

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 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।2.47।।  प्रस्तुत है शिश्विदान आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ ,https:/

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सदाचार बेला (30 /01/22) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है विकुर्वाण आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  अनुभूति की बात है कि इस रहस्यात्मक संसार में

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सदाचार बेला (31 /01/22) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥ (भावार्थ:- हे रघुनाथजी! आप सभी के दिल में आत्मा रूप में स्थित ह

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सदाचार बेला (24 /01/22) का उद्बोधन

14 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है स्नेहिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  परमात्मतत्त्व बिना विचार के सहज ही कभी कभी उद्भूत

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