सर्वभूतहिते रताः प्रस्तुत है प्रभविष्णु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण
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सिविल लाइन्स उन्नाव स्थित सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कालेज में आज पूर्व छात्र सम्मेलन है | यहां वंचित वर्ग के अनेक छात्र हैं युग भारती इस विद्यालय को प्रयोगशाला मानकर अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार कर सकती है युग भारती का स्वरूप आचार्य जी के संस्कारों की उपज है केशव बलिराम हेडगेवार जी (01-04-1889 *21-06-1940 ) के मन में बार बार यह भाव आता था कि आन्दोलनात्मक पद्धति देश में बहुत दिन तक प्रभावकारी नहीं रहती इसलिये कुछ सृजनात्मक कार्य किया जाये भारत देश अपनी परम्पराओं प्रथाओं विचारों विश्वासों को केवल इस कारण जीवित रख सका कि इसकी पाठशालाएं जागरूक सक्रिय और हर तरह की परिस्थितियों को झेलती हुई नये विचारों का उद्भव करती रहीं संसार जब आत्मोन्नति के उपाय नहीं सोचता तो पराश्रित हो जाता है जबकि ईश्वर ने मनुष्य को स्वाश्रित बनाया है विद्यालयों में इस भाव विचार के साथ शिक्षा दी गई कि तुम मनुष्य स्वाश्रित तो हो लेकिन मैं (ईश्वर ) तुम्हारा अभिभावक हूं और इसी के बल पर संपूर्ण विश्व का भारत गुरुपद प्राप्त देश हो गया | हेडगेवार जी ने देखा कि अब तो संस्कारविहीन होकर विद्यालय नौकरी देने के उपादान साधन बन गये हैं |और उन्होंने निश्चय किया कि अब नये विद्यालय चलायेंगे ताकि छात्र यशस्वी के साथ तपस्वी भी बनें और देश का समाज का कल्याण हो आचार्य जी ने यह भी बताया कि भारतीय जनसंघ की नींव कैसे पड़ीऔर जिस तरह की हत्या दीनदयाल जी की हुई उस तरह की हत्याएं कौन करते हैं यदि हमें यशस्विता मिली है तो हमें यह समझना चाहिए कि हम समाज के ऋणी हैं आचार्य जी ने तपस्या और एकात्म का अर्थ बताया कुछ समस्याओं का उल्लेख करते हुए आचार्य जी हम लोगों को यह परामर्श दे रहे हैं कि हम इनके समाधान की दिशा में आगे बढ़ें आज उन्नाव के कार्यक्रम में आप सादर आमन्त्रित हैं जैसी बहे बयार, पीठ तब तैसी दीजै"