कल प्रयास केन्द्र सरौंहां में आई आई टी के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर श्री सक्सेना जी कानपुर के एक उद्योगपति चतुर्वेदी जी आदि के साथ सिंचाई कृषि के प्रयोगों पर आचार्य जी की चर्चा हुई l इसका प्रबन्ध महामन्त्री श्री मोहन जी ने किया था मनुष्य का जीवन स्थूल और सूक्ष्म का संयोग है l' मैं कितना हूं ' यह चिन्तन हमें नीचे से ऊपर पहुंचाता है l कथाकार साहित्यकार प्रायः अपने विषय को निराशा शोक में समाप्त नहीं करता है,इसे राम चरित मानस में भी देखा जा सकता है l