परस्तुत है अभिलषणीयाचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 15/9/2921 का भणित आचार्य जी का प्रयास रहता है कि हम लोग अध्यात्म को व्यवहार के साथ संयुत कर कर्मशील योद्धा के रूप में अध्यात्मवादी चिन्तक बन सकें | आयु से अल्प विचार से प्रौढ़ बालक नचिकेता जो मृत्यु के मुख में जाने से भी नहीं डरता अपने मार्गान्तरित पिता ऋषि उद्दालक को सचेत करता है | आचार्य जी का कहना है हिंदी विंदी ज्ञान की, संस्कृति का संदेश । भाषा अमित दुलार की, भ्रम भय को उपदेश ।। तो हिंदी दिवस मनाएगा ,कब तक हिंदुस्थान ? हे, ईश्वर कब होएगा , हमको अपना भान ?? हिंदी हिन्दुस्थान की, सदा रही पहचान । हम अपने विश्वास भर, रहे नहीं क्यों मान ?? सारे दिवस परमात्मा ने बनायें हैं | कवियों की वाणी परमात्मा द्वारा प्रेषित कल्याणी वाणी है| 26 सितम्बर को होने जा रहे युग भारती वार्षिक अधिवेशन की सूचना हर जगह हो और कार्यक्रम करने के बाद उसकी समीक्षा करें कि कितने व्यावहारिक रूप से कितने वैचारिक रूप से लोग संयुत हुए आचार्य जी चाहते हैं कि हम लोग देशभक्त धैर्यवान्शौ र्यवान् बने रहें और भारतवर्ष को जो हमारा कर्मक्षेत्र धर्मक्षेत्र ज्ञानक्षेत्र विचारक्षेत्र है वैश्विक जगत् में चमकाते रहें l भैया संचित गुप्त पुत्र स्व श्री दीपक गुप्त बैच 1985 ने कल आचार्य जी से भेंट की (भैया संचित ने एक पुस्तक भी लिखी है ) आचार्य जी ने पूर्व प्राचार्य श्री चन्द्रपाल जी, भैया पुनीत श्रीवास्तव भैया शौर्यजीत भैया नीरज कुमार का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें आज का उद्बोधन नगम -ज्ञान, अध्यात्म -ज्ञान, गीता -ज्ञान, मानस -प्रवचन व काव्य -कला से सुसज्जित, अतीत के अविस्मरणीय प्रसंगों में विप्लुत और भ्रमित धी को सन्मार्ग हेतु इङ्गित करते वक्तव्यों से भूषित ये सदाचार -संप्रेषण हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग बन गये हैं l इस प्रकार का नैत्यक दृष्टान्त अन्यत्र संभावनातीत है l