प्रस्तुत है भक्तवत्सल दीक्षक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज उद्वोधन :
स्थान : सरौंहां
सूचना : सरौंहां में आज कृषिक्षेत्र के विशेषज्ञ और महामन्त्री श्री मोहन कृष्ण जी आचार्य जी से भेंट करेंगे l
हम शारीरिक मानसिक वैचारिक भावनात्मक तैयारी के साथ किसी का स्वागत करते हैं l परस्परालंबन मनुष्य का सहज आनन्दमय जीवन है इसी आधार पर आचार्य जी के अनुभवों का लाभ हमें लेना चाहिए l भारतवर्ष का विकास एकांगी हो गया इस कारण गांव उपेक्षित हो गये शहर अपेक्षित हो गये और इस कारण असंतुलन हो गया लोभ लाभ का हमारे अन्दर प्रवेश हो जाता है और शक्तियां उसी लोभ लाभ के आस पास घूमती हैं | मानस गीता उपनिषद् आचार्य जी के आश्रय- ग्रंथ हैं l परमात्मा माया से कार्य करवाता है और माया जब परमात्मा से संयुक्त हो जाती है तो प्रखर प्रबल हो जाती है l श्री राम कृपालु त्रिपाठी जी (कृपालु जी महाराज ) कहते थे आप अमृत पीजिए या अमृत को जल में मिलाकर पिएं प्रभाव तो अमृत का ही है l अच्छे लोगों को संगठन से जोड़ें तो संगठन का विस्तार होगा l लोकविश्रुत बुधान आचार्य श्री ओम शंकर त्रिपाठी जी के उद्बोधनों में परिस्फुट बाहुरूप्य अवर्णनीय है और इसी कारण कभी हमें मानस कभी गीता से ज्ञान प्राप्त होता है तो कभी औपनिषदिक ज्ञान से परिचय होता है l कभी कभी कवि के रूप में उनका काव्यकौशल दिखता है l तो दूसरी ओर वे हमें दीनदयाल विद्यालय की सुखदानुभूति वाली अतीत की स्मृतियों में ले जाते हैं l इनके अतिरिक्त अन्य विषयों का भी संस्पर्श होता हैl इन्हीं कुछ विषयों को समेटे हुए प्रस्तुत है आज |