कल आचार्य जी ने बताया था कि सूर्य प्राणदाता है और चन्द्रमा स्थूल का निर्माण करता है| अन्य विषयों के साथ पुनः हम प्रश्नोपनिषद् में प्रवेश करने जा रहे हैं | आचार्य जी ने संवत्सरो वै प्रजापतिः स्तस्यायने दक्षिणञ्चोत्तरं च। तद्ये ह वै
तदिष्टापूर्ते कृतमित्युपासते ते चान्द्रमसमेव लोकमभिजयन्ते त एव पुनरावर्तन्ते। तस्मादेत ऋषयः प्रजाकामा दक्षिणं प्रतिपद्यन्ते। एष ह वै रयिर्यः पितृयाणः ॥ की व्याख्या की और बताया कि अन्य श्लोकों के साथ मनोयोगपूर्वक निर्मानमोहा
जितसङ्गदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः। द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञै र्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्।।15.5।गीता आनन्द आचार्य जी ने अपने विद्यालय में लिखा था l कल आचार्य जी का जन्मदिन था इस अवसर पर समय निकालकर भावों को लिए हुए योजनापूर्वक कुछ लोग उनसे मिले l प्रतिष्ठित संत नरेन्द्र गिरि की कल रहस्यमय मृत्यु हो गई l पवित्र जीवन जीने वाले सैनिक के बारे में आचार्य जी ने क्या बताया? जानने के लिए सुनें वागीश आचार्य श्री ओम शंकर जी प्रतिदिन सदाचार-वेला का प्रारम्भ अवतरणिका से करते समय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम भगवान् संकटमोचन और देवी सनातनी का नाम लेते हैं और इसके पश्चात् तो सान्सारिक प्रपञ्चों से दूर हमें अनुक्षण अध्यात्म-वित्ति, औपनिषदिक ज्ञान और प्रेरणास्पद संस्मरणों से परिपूर्ण ऐसा मनीषितानुरूप अत्यन्त पावन सुरम्य वातावरण मिलता है जिसका वर्णन करना संभव नहीं है आचार्य जी का कहना है यह सब सुनकर हम चिन्तन अवश्य करें कि हमारे अन्दर क्या परिवर्तन आ रहा है इसी भूमिका के साथ प्रस्तुत है |