आज का व्याहार आचार्य जी ने कल से प्रारम्भ हुए पितृपक्ष में जल -दान का महत्त्व बताते हुए कहा कि भौतिक विज्ञान की पहुंच संसारेतर नहीं है l प्रश्नोपनिषद् में पञ्चपादं पितरं द्वादशाकृतिं दिव आहुः परे अर्धे पुरीषिणम्। अथेमे अन्य उ परे विचक्षणं सप्तचक्रे षडर आहुरर्पितमिति ll
की व्याख्या की आचार्य जी ने संत नरेन्द्रगिरि की चर्चा भी की घर दीन्हे घर जात है, घर छोड़े घर जाय।‘तुलसी’ घर बन बीच रहू, राम प्रेम-पुर छाय॥ गृहस्थ आश्रम में हम युग भारती के सदस्य तपोवृत्ति के साथ अवश्य ही रह सकते हैं इसके अतिरिक्त 31/07/2021 को आचार्य जी ने भगवान् शङ्कराचार्य जी से संबन्धित जो प्रसंग बताया था उसे आज दोहराया
अभिरूप आचार्य श्री ओम शंकर जी द्वारा प्रोक्त प्रातिदैवसिक सदाचार संप्रेषण परमात्मा की रची हुई अवगमनातीत विहिति है इन वदन्तियों में प्रवाहित ज्ञान -धुनि में निमज्जन करते एक दो नहीं अपितु स्फिर स्पृहयालु श्रोता मिल जाएंगे l l इन
श्रद्धालुओं को ये कभी नीरस नहीं लगते तो प्रस्तुत है|