आजकल हम लोग औपनिषदिक क्षेत्र में प्रवेश किये हुए हैं l मनुष्य उत्पन्न हुआ तो उसके साथ ज्ञान अर्थात् वेद उत्पन्न हुआ वेदों में परा और अपरा विद्याएं हैं यज्ञ क्यों महत्त्वपूर्ण है यह वेदों में वर्णित है ब्राह्मणग्रंथों में यज्ञ- विधि बताई गई है l इसके बाद आरण्यक ग्रन्थ हैं जिनमें तपस्या यज्ञ और ध्यान के बारे में बताया गया है और इसके बाद उपनिषद् आते हैं उपनिषदों में मूल रूप से ब्रह्मतत्त्व के बारे में विचार किया गया है आचार्य जी चाहते हैं कि ये सब हमारी शिक्षा में सम्मिलित हों ताकि भावी पीढ़ी इनसे परिचित हो सके Google में कहीं कहीं अर्थ का अनर्थ मिल जाता है युग भारती इस ओर भी ध्यान दे राज बलि पांडेय जी हिन्दू धर्म कोश का द्वितीय अंक असमय मृत्यु के कारण नहीं निकाल पाये इस ओर ध्यान दें छोटे छोटे यज्ञ करें सात्विकता संयम सदाचार से हमारे अन्दर शक्ति आयेगी और हम सेवा कर सकेंगे भौतिक ज्ञान के साथ यदि ब्रह्म ज्ञान आ जाए तो सोने पे सुहागा | इन्हीं सब बातों को लिए प्रस्तुत है का अभिनीत आचार्य श्री ओम शंकर जी द्वारा शंसित उद्बोधन |