भगवत् आचार्य श्री ओम शंकर जी द्वारा भाषित आज दिनांक 24/09/2021 का भाषित उपनिषदों का ज्ञान गीता में अवतरित हुआ है आचार्य जी ने गीता के 15वें अध्याय के निम्नांकित श्लोकों का अर्थ समझने के लिए परामर्श दिया अहं वैश्वानरो भूत्वा प्राणिनां देहमाश्रितः। प्राणापानसमायुक्तः पचाम्यन्नं चतुर्विधम्।।15.14।।
सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मत्तः स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च। वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यो वेदान्तकृद्वेदविदेव चाहम्।।15.15।।
द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च । क्षरः सर्वाणि भूतानि कूटस्थोऽक्षर उच्यते।।15.16।।
कोरोना की तीसरी लहर और अफगानिस्तान समस्या आदि भय व्याप्त हैं तो आचार्य जी ने परसों और कल के बीच कविता
लिख दी कि - भयद तूफान की आवाज बढ़ती जा रही है , बची कुछ रोशनी अंधियार बीच समा रही है , कई कमजोर दिल धड़कन समेटे रो रहे हैं , विवश मजबूर होकर जिंदगी को ढो रहे हैं , मगर हम हैं कि हिम्मत हौसले से आ डटे हैं , न किंचित भी डिगे हैं या कि तिल भर भी हटे हैं, हमारे पूर्वजों ने यही हमको है सिखाया , कि साधन शक्ति का आगार है यह मनुज-काया , सदा उत्साहपूर्वक विजय के पथ पर बढ़ेगे , कठिन हो राह पर हम हौसले से ही चढ़ेगे ।। किसी भय से नहीं भयभीत होते हम कभी भी , कभी दबकर रहे हैं औ न रहते हैं अभी भी , हमारे पूर्वजों ने युद्ध भी हंसकर लड़ा है, हमारा शौर्य सीना
तान कर हरदम अड़ा है , समय पर काल से आंखें मिलाकर हम अड़े हैं , कि सीना तान कर समरांगणों में हम लड़े हैं, हमारे हौसले को देवता भी जानते हैं , इसी से वे हमारे देश को पहचानते हैं । इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने दशरथ मांझी का उल्लेखक्यों किया, अतिचिन्तनीय कुछ कम हुए यह विद्यालय में किसने कहा था आदि जानने के लिए सुनें |