प्रस्तुत है शुभाचार आo श्री ओम शंकर जी द्वारा वाचित सदाचार संप्रेषण भारतवर्ष संसार का कल्याण करने में सक्षम है और इसकी मूल जीवन पद्धति सनातन जीवन पद्धति है | सृष्टि क्या है इसके लिए आचार्य जी ने मुण्डकोपनिषद् के दूसरे मुण्डक के ये दो छंद बताए - अग्नीर्मूर्धा चक्षुषी चन्द्रसूर्यौ दिशः श्रोत्रे वाग् विवृताश्च वेदाः।
वायुः प्राणो हृदयं विश्वमस्य पद्भ्यां पृथिवी ह्यष सर्वभूतान्तरात्मा ॥ तस्मादग्निः समिधो यस्य सूर्यः सोमात् पर्जन्य ओषधयः पृथिव्याम्। पुमान् रेतः सिञ्चति योषितायां बह्वीः प्रजाः पुरुषात् संप्रसूताः ॥ आचार्य जी चाहते हैं कि हम लोग इन सबको जानते हुए विभिन्न समस्याओं के शमन के लिए तैयार हों l आयुर्वेद की महत्ता हेतु आपने पञ्चतृण(कुश काश शर दर्भ इक्षु )क्वाथ के प्रयोग वाला प्रसंग बताया l हम लोग इतिहास और शिक्षा में आए विकारों को परिवर्तित भी करना चाहते हैंl वेदार्थ ज्ञान में सहायक शास्त्र को ही वेदांग कहा जाता है। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द और निरूक्त - ये छः वेदांग है। एक रोचक तथ्य : राजापुर में रखी हाथ से लिखी राम चरित मानस की वर्णमाला भिन्न है l
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