एक सरकारी दफ्तर में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, सौरभ घुसता है। सौरभ अपना झोला लेकर अंदर आता है और अपने विभाग से जुड़े एक बाबू (क्लर्क) के बारे में पूछता है। उसकी डेस्क पर जाकर वो अपना दुखड़ा रखता है।"सर मेरा कई सालों का ट्रेवल अलाउंस, पेट्रोल अलाउंस, नच बलिये अलाउंस कुछ नहीं आया है, अब आप ही कुछ कीजिये
सभ्यता की सीढ़ियाँ सहेजता समाज नैतिकता के अदृश्य बोझ से लड़खड़ा रहा है निजता की परिधि हम से मैं तक सिकुड़ चुकी है. उन्नत उजालों में दिखता नहीं आदमियत का भाव स्वार्थ की अँधेरी रात में अपनत्व का
" कहने को हैं बहुत कुछ, गर कहने पर आयें,फट जायेगा कलेजा, गर दास्ताने हकीकत सुनायें." सर्दियों की शाम, 7.30 का वक्त, अचानक दो स्कूटी तीन मोटर साइकिल आकर रूकती हैं, दस बारह लड़के दुकान का शटर गिरा रहे एक लड़के को घेर लेते हैं और लड़के के
कितने चेहरो में एक वो चेहरा था...नशे में एक औरत ने कभी श्मशान का पता पूछा था...आँखों की रौनक जाने कहाँ दे आई वो,लड़खड़ाकर भी ठीक होने के जतन कर रही थी जो। किस गम को शराब में गला रही वो,आँसू लिए मुस्कुरा रही थी जो।अपनी शिकन देखने से डरता हूँ,इस बेचारी को किस हक़ से समझाऊं?झूठे रोष में उसे झिड़क दिया,नज़रे
कल अचानक ही शहर-भ्रमण करना पड़ा. बस के लिए दिन वाला पास बनवा लिया था. एक छोटी सी गलती या यूँ कहें हड़बड़ी से गलत बस में बैठ गया, जो पहुँचती तो वहीँ थी, पर बहुत ही घूम-फिरके. ये हड़बड़ी बड़ी ही बेतुकी थी, क्योंकि दरअसल मुझे कोई खास जल्दी थी नहीं. सो मै भी बस में बैठा रहा. बहुत दिनों बाद मुझे एक प्रिय काम क
समाचार पढ़ा सरकारी अस्पताल में एक नवजात को नर्स ने हीटर के पास सुलाया. राजस्थान से आयी इस खबर ने अंतर्मन को झकझोर दिया नवजात शिशु के परिजनों से नर्स को इनाम न मिला
कुरुक्षेत्र के लाड़ले शहीद मनदीप (जिनका सिर पाकिस्तान काट ले गया और हम... ), शहीद नितिन सुभाष और
ऐसे कलुषित समाज में लेकर जन्मवर्ण कुल सब मेरा श्याम हो गया ।बड़ी दूषित है सोचकर्म भी काले हैंगहन तम मेंअस्तित्व इनका घुल गया ।देखकर यह समाजहोती है घुटन आज ।कैसा है समाज इसे आती नहीं लाज ?नर्क से निकाल करदुनियाँ में जो लायी ।शून्य मन में ज्ञान कीजिसने ज्योति जलायी ।जिसका शोणित पीकरजीवन मिलता है ।जिसक
गुप्त रहस्य छिपाये रखिएन दूसरों से इतने खुल जाइये कि दूसरों को आपमें कुछ आकर्षण ही नहीं रहे, न इतने दूर ही रहिये कि लोग आपको मिथ्या अभिमानी या घमंडी समझें। मध्य मार्ग उचित है। दूसरों के यहाँ जाइये, मिलिए किन्तु अपनी गुप्त बातें अपने तक ही सीमित रखिए। “आपके पास बहुत सी उपयोगी मंत्रणायें, गुप्त भेद, ज