इस कविता में हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने ऊँचे कुल में जन्म लेने का घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि मनुष्य का वंश नहीं बल्कि उसके कर्म उसे संसार में प्रसिद्धि दिलाते हैं।
जयश्रीकृष्ण मित्रगण सुधिजन व पाठकगण यह पुस्तक एक काव्य प्रस्तुति है,,जो जीवन के रंग के कई दस्तावेज। आपको दिखाएगी, आप रंगरेज के रंगो का आनंद लीजिएगा। आप को समर्पित। है आपके प्यार को। जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण
उगते सूर्य की किरणों से झिलमिल करती माँ नर्मदा की लहरों पर बहता मृत प्रायः युवा नारी शरीर…..क्या उसमें जीवन शेष था ? …….. सदानंद बाल-ब्रह्मचारी है।सांसारिक बंधनों से मुक्त होते हुए भी वह एक ऐसी परीक्षा से गुजरता है जो ब्रह्मचर्य के निषेधों पर प्रश्न
इस उपन्यास में एक औरत की सहनशक्ति को दर्शाते हुए यह बताने की कोशिश की गई है कि,एक औरत को अपने पति पर विश्वास करना चाहिए पर अंधविश्वास नहीं क्योंकि किसी भी रिश्ते पर किया गया अंधविश्वास आगे चलकर स्वयं के ही विश्वास को खंड-खंड कर देता है जो एक औरत की आ
मेरे प्यारे पापा🙏🏻😊❤️
गहरी से गहरी बात को आसानी से कह देने का जटिल हुनर जाननेवाले राहत भाई से मेरा बड़ा लम्बा परिचय है। मुशायरे या कवि-सम्मेलन में वे कमल के पत्ते पर बूँद की तरह रहते हैं। पत्ता हिलता है, झंझावात आते हैं, बूँद पत्ते से नहीं गिरती। कई बार कवि और शायर कार्यक
राहत अपनी शायरी में दो तरह से मिलते हैं - एक दर्शन में और एक प्रदर्शन में। जब आप उन्हें हल्के से पढ़ते हैं तो केवल आनन्द आता है, लेकिन जब आप राहत के दर्शन में, विचारों में डूबकर पढ़ते हैं तो एक दर्शन का अहसास हो जाता है। और जब आप दिल से पढ़ते हैं तो वह
आज हम जीवन में दूसरे मौके इसलिए नहीं ले पाते क्योकि हम सभी अपने लक्ष्य और मानसिकता के साथ सोचते और समझते नहीं है। आओ पढ़ते.........
यहा रोज इक नई कविता डालूगा। यही प्रयास है। दस होने पर यह पूर्ण होगी। जय श्रीकृष्ण।
इस किताब में सिर्फ आप कविताएं पढ़ेंगे
यह पुस्तक मेरे द्वारा लिखित कविताओं का एक संग्रह है । इसकी हर एक कविता किसी न किसी सामाजिक सच्चाई से रुबरु कराती है इसीलिए इस पुस्तक का नाम है " सच के राही " मैंने अपनी कलम से कडवे सच को लिखने का साहस किया है और इसमें आप सबके यथासम्भव सहयोग की उम्मीद
शुरू से लेकर अब तक की कविताएँ सिलसिलेवार पढ़ी जाएँ तो कुँवर नारायण की भाषा में बदलते मिज़ाज को लक्ष्य किया जा सकता है। आरम्भिक कविताओं पर नई कविता के दौर की काव्य-भाषा की स्वाभाविक छाप स्पष्ट है। इस छाप के बावजूद छटपटाहट है—कविता के वाक्य-विन्यास को आ
"निर्मल काव्य-सौरभ" में सामाजिक जीवन के बदलते परिवेश, प्रेम की परिकल्पनाएं, एवं जीवन के गहन अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर,उन्हें श्रृंखलाओं में सृजन कर ,राग-माधुर्य के साथ मालाओं का नव सृजन कर ,प्रिय पाठकों को समर्पित करने का एक उत्तम प्रया
''गरीबी में डॉक्टरी' के उपरान्त 'होंठों पर तैरती मुस्कान' मेरी कहानियों का दूसरा संग्रह है। संग्रह की कहानियाँ सीधे सरल शब्दों में सामाजिकता के ताने-बाने बुनकर मैंने पाठकों को कुछ न कुछ संदेश देने का प्रयास किया है। मेरे इस संग्रह की पहली शीर्षक कहान
रावण मनुष्यों में विशालतम बनने, विजयी होने, लूटपाट करने, और उस महानता को हासिल करने के लिए दृढ़संकल्प है जिसे वह अपना अधिकार मानता है। वह विरोधाभासों, नृशंस हिंसा और अथाह ज्ञान से भरपूर व्यक्ति है। ऐसा व्यक्ति जो प्रतिदान की आशा के बिना प्रेम करता है
स्वरचित कहानियां जो मनुष्य के जीवन के कुछ घटना क्रमों से सम्बंधित करके दिमागी विचारों से रची गई है। जिनका मुख्य उद्देश्य घटनाक्रमों से शिक्षा लेकर अपने जीवन में सुधार करके कुछ बदलाव करना इसके अतिरिक्त समाज में इस तरह के व्यवहारों को रोकना जो मानवता स
कम उम्र में ही मां के चले जाने के कारण इन्हें जिम्मेदारियों को ना चाहते हुए भी उठाना पड़ा जिम्मेदारियों का भार और अकेलेपन के कारण इन्होंने कम उम्रमें ही लिखना शुरु कर दिया। इनकी कविताओं का पहला संकलन “अमृत लेहरन (अमर लहरें)” सन् 1936 में प्रकाशित हुई
लोकोक्तियों पर आधारित मेरी पहली 'लोक उक्ति में कविता' संग्रह के उपरान्त यह मेरा दूसरा काव्य संग्रह है। इस संग्रह में मैंने बिना किसी भाषाई जादूगरी और उच्चकोटि की साहित्यिक कलाबाजी के स्थान पर दैनिक जीवन की आम बोलचाल की भाषा-शैली को प्राथमिकता दी है।
आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज