*संगत का बहुत जल्दीअसर होता है*
*हमारी चेतना एक गति है*
*वह पूरे दिन बहती रहती है*
*उसे जैसा माहौल मिलेगा वह उसी में*
*ढलने के लिए तैयार होने लगती हैं*
*आदमी पूरे दिन बदल रहा है*
*अच्छे आदमी से मिलकर*
*अच्छे होने का सोचने लगता है*
*तो बुरे आदमी से मिलकर*
*बुरे होने के बिचार आने लगते हैं*
*मन भिखारी की तरह है*
*यह पूरे दिन भटकता रहता है*
*इसे सात्विक ही बने रहने देना चाहिये*
*रजोगुण बढ़ा तो लोभ बढ़ेगा*
*और लोभ बढ़ा तो ज्यादा भाग दौड़*
*ज्यादा दौड़ने से अशांति तो आएगी ही*
*सलाह हारे हुए की तजुर्बा जीते हुए का*
*और दिमाग़ खुद का इंसान को*
*जिंदगी में कभी हारने नहीं देते*