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साप्ताहिक_प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Saptahik_pratiyogita


   घर     का   भेदी,

    

ख़त्म करो अब भयानक रातों की कहानी
दिल चाहता है हो अब खु़शियों की रवानी।

न छेड़ो बार

पापा और मम्मी avi के घर जाते हैं ll तिवारी फ़ू फा जी भी साथ थे ll सीना भगवान से बस ये इक चीज़ द

*सांता क्लॉज*

बासठ बसन्त देख चुके मनहर शर्मा के प्राण लगभग चार साल के पोते विशू के प्यारे

एक अनूठा है ये नारी का

अंदाज
चोटी बनाने में नारी के
छुपा है राज

कोयला होना ही मुनासिब समझा


कोयला होना ही मुनासिब हमे समझा हीरे तो बिक जाते है बाज

🌹एक बार तो परदेस से तुम             





स्वामीजी को देखते ही दोनो ने उनके च

तू सुबह मेरी तुमसे ही रात है,

तुमसे जुदा भी मेरे जज्बात है,
बदले से तेरे मेरे अंदाज है

वो तो था एक छलावा,
तुम कर रहे थे दिखावा,
वो तुम नहीं थे,
ना तुम्हारे थे वो

तेरी राह तके कब तक,
तू है सनम हरजाई|
दिल के अरमानों से तू खेले,
तू है दिल ए

वैसे तो राकेश लगभग हर साल गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर मिर्जापुर जाता था पर इस बार दो साल बा

लड़के अच्छे लगते है


कुछ लड़के अच्छे लगते है जब मां से बतियाते है मां के अकेलेपन क

द्वार खड़े लेकर पूजा की थाल

तेरे आने से हो खुशियों की बरसात
फूल बिछाए राह में तेरी

आसान नहीं दिमाग वाली नारी से करना प्रेम

क्योंकि उसे ना रास आए बाते जी हुजूरी की
वो झुक

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