ख़त्म करो अब भयानक रातों की कहानी
दिल चाहता है हो अब खु़शियों की रवानी।
न छेड़ो बार
*सांता क्लॉज* बासठ बसन्त देख चुके मनहर शर्मा के प्राण लगभग चार साल के पोते विशू के प्यारे
एक अनूठा है ये नारी का
कोयला होना ही मुनासिब समझा
तू सुबह मेरी तुमसे ही रात है,
वो तो था एक छलावा,
तुम कर रहे थे दिखावा,
वो तुम नहीं थे,
ना तुम्हारे थे वो
तेरी राह तके कब तक,
तू है सनम हरजाई|
दिल के अरमानों से तू खेले,
तू है दिल ए
वैसे तो राकेश लगभग हर साल गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर मिर्जापुर जाता था पर इस बार दो साल बा
लड़के अच्छे लगते है
द्वार खड़े लेकर पूजा की थाल
आसान नहीं दिमाग वाली नारी से करना प्रेम