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साप्ताहिक_प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Saptahik_pratiyogita


देखते देखते कई दिन गुजर गए| अब गौरी भी नॉर्मल होने लगी थी और सिद्धार्थ भी लौट आया था|

जब प्यार होता है,

दर्द में भी करार होता है|

जमाने की रुसवाई की ना हो फि

जब जब बरखा रानी आती
कितनी ढेरों खुशिया ले आती 

नए नए नि

🌹पर्दे के पीछे छुप के; मुझसे,
  कहता है ; यहां आके मिल,
 हर घड़ी जो बसा

मन के मीत
तन के श्रृंगार
मेरे यार तेरा प्यार

काश के दिल ने ख्वाब प्रीत का
सजाया ही ना होता
तुम्हे माना मन का मीत

बस एक दिल की बात बताने को

कितने ही अल्फ़ाज लिखे मैंने
 दुनिया को 

एक छोटी सी स्टोरी है।
       

       "क्या है ? तुम हमेशा किसी भी नई योजना के विपक्ष में ही क्यों रहती हो? मेरी कोई बात तुम्हे समझ ही नहीं आती।  कोई भी प्लान बनाओ, तुम्हें उसकी कमियां नजर आतीं है।  तुम औरतों की बुद्धि भी ना.

एक नाता जज्बातों का,


क्यों ना इसे एहसास का
नाम दिया जाए|

गौरी बाहर बैठी हुई थी| अंदर डॉक्टर सीमा जी को चेक कर रहे थे| बडी बदकिस्मती की बात थी कि जिस हॉस

बैठी हूँ जिसकी याद में
      सुध- बुद्ध गँवा के  मैं,

विषय -जाडे़ की धूप

वो मेरा चेहरा देखकर समझ जाते हैं 2
कि मेरे अंदर क्या चल रहा है . . .

आज मेरा मनमीत उदास था,

आकर बोला ,मुझे नहीं जाना,

मैं तुम्हारे बिना, नहीं रह सकता,</

लघुकथा
बूढ़ी आंख


हमे महफिलों में जाने की
जरूरत नहीं पड़ती है।

"सुनो , जयपुर से आते समय पनीर के घेवर लेते हुए आना" । अदिति ने अपने प

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