shabd-logo

द्रौपदी..

11 सितम्बर 2021

62 बार देखा गया 62

मैं द्रौपदी,कितना असहज था ये स्वीकारना कि मेरे पांच पति होगें, माता कुन्ती ने कितनी सरलता से कह दिया कि जो भिक्षा में मिला सभी भाई आपस मे बांट लों,किसी ने कभी विचार किया कि उस क्षण मेरे हृदय पर क्या बीती होगी, किन्तु नहीं ये तो कदाचित् विचार करने योग्य कथन था ही नहीं, यहां तक माता कुन्ती भी एक स्त्री होकर,स्त्री का हृदय ना बांच पाई,या ये भी हो सकता हैं कि मैं उनकी पुत्री नहीं पुत्रवधु थी,कदाचित्  इसलिए  विचार करने का प्रश्न ही नहीं उठता।
          मुझे पवित्र रखने हेतु एवं पाण्डव परिवार में सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से ब्यास जी ने हम लोगों के लिए  एक विशेष आचरण की ब्यवस्था की,वो ये कि ज्येष्ठ भाई से आरंभ करते हुए सबसे छोटे भाई तक,मैं एक वर्ष के लिए क्रमिक रूप से एक बार मे केवल एक भाई की ही पत्नी बनूंगी, उस वर्ष मे अन्य सभी भाई मुझसे दृष्टि नीची करके बात करेगें,
     यहाँ तक कि मेरी अंगुलियों के पोर भी नहीं छुएंगे, यदि उनमे से कोई,मेरे व मेरे पति की निजता के क्षणों में अनुचित रूप से हस्तक्षेप करेगा तो उसे एक वर्ष के लिए घर से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा,ब्यास जी ने ये भी कहा कि हर बार जब मैं किसी नए भाई की पत्नी बनूंगी तो मेरा कौमार्य अक्षत हो जाएगा।
           मैं कौमार्यता के वरदान से अधिक प्रसन्न नहीं थी, क्योंकि उसका विन्यास मुझे लाभ देने की अपेक्षा मेरे पतियों के लिए अधिक था,उस समय नारियों को दिए जाने वाले वरदान ऐसे ही होते थे,वे स्त्रियों को ऐसे उपहार की भांति दिए जाते थे जिनकी उन्हें आवश्यकता ही नहीं होती थीं।
          परन्तु, प्रश्न ये उठता हैं कि महाराज युधिष्ठिर को ये अधिकार किसने दिया कि अपनी निजी सम्पत्ति जानकर,मुझे जुएँ मे हार जाएँ, मैने कभी स्वप्न भी नहीं सोचा था कि मैं द्रौपदी,पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री और धृष्टद्युम्न की बहन,पृथ्वी के महानतम महल की स्वामिनी,मुझे मुद्राओं की पोटली की भांति दाँव पर लगाया गया,किसी नर्तकी की भांति सभा मे बुलाया गया।
         मैने महाराज युधिष्ठिर से प्रश्न किया कि क्या पत्नी भी गाय अथवा दास के समान पति की निजि सम्पत्ति होती हैं? वे गरदन झुकाए, वसुन्धरा को निहारते रहेंं किन्तु मेरे प्रश्न का उत्तर ना दिया मैं रोती रही गिड़गिड़ाती रहीं, परन्तु हाय! मेरा दुर्भाग्य, उस दिन मेरी किसी ने ना सुनी।
        उस दिन मै रजस्वलावस्था मे थी,स्वयं को सुस्त अनुभव कर रही थीं, इसलिए सबसे अलग उस कक्ष मे थीं, जहां मुझ पर किसी बड़े की छाया ना पड़ सके,इस कारण मै ज्येष्ठ माता गंधारी और कुन्ती माता को भी प्रणाम करने ना जा सकी,मैने ऋतु स्नान भी नहीं किया था,
         एक साधारण सी साड़ी पहनकर विश्राम कर रहीं थीं, तभी सेवक दुर्योधन का संदेशा लेकर आया और मैने उसके संदेश को अस्वीकार कर दिया।
       सेवक चला गया परन्तु पुनः संदेशा लेकर आया, मैने सेवक से कहा कि पहले मुझे हारने वाले से ये पूछकर आओ कि पत्नी क्या निजी सम्पत्ति होतीं हैं?
            किन्तु,अब की बार दुशासन आया,मैने उससे वस्त्र बदलने की प्रार्थना की किन्तु मेरी विनम्रता को वह झूठा बताकर हंसने लगा और मेरे केश पकड़कर महल के गलियारों से होता हुआ ,सभा मे घसीटकर ले गया,किसी ने सोचा कि उस दिन मेरा हृदय कितना आहत हुआ होगा, कितनी लज्जा का अनुभव हुआ होगा मुझे, सारा दिग्गज पुरूष समाज उस सभा मे उपस्थित था परन्तु किसी ने भी हस्तक्षेप ना किया।
विरोध किया था केवल काकाश्री विदुर और दुर्योधन के भाई विकर्ण ने,
           मैंने ज्येष्ठ पिताश्री के समक्ष जाकर उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि इस अवस्था मे मेरा आपको प्रणाम करना निषेध हैं किन्तु महाराज मै इस समय नि:सहाय हूँ और आपकी कुलवधु होने के नाते,अपने सम्मान की भिक्षा मांगती हूँ किन्तु उन्होंने मेरी एक ना सुनी,तब मैने उनसें क्रोधित होकर कहा,महाराज अच्छा है जो आप अंधे हैं ,
         क्योंकि इस समय मेरी जो अवस्था है उसे देखकर आप अवश्य अंधे हो गए होते।
मैने पितामहः को भी सहायता हेतु पुकारा किन्तु उन्होंने भी मेरी नहीं सुनी,उन्होंने कहा पुत्री!
मैने कहा ,पितामहः!नाता नहीं ,न्याय चाहिए।
ना ही कुलगुरू कृपाचार्य आगे आए और ना ही द्रोणाचार्य,वही द्रोणाचार्य जिन्होंने कभी कहा था कि मैं उनकी पुत्री भी हूँ और पुत्र वधु भी।
मैने उस सभा से उस दिन ये सीखा___
        इतने समय तक मैं अपने पतियों के बल और साहस पर विश्वास करती रही,मै सोचती थी कि चूकिं वे सब मुझे प्रेम करते हैं, वे मेरे लिए कुछ भी कर सकते हैं, परन्तु अब मुझे समझ मे आया कि वो प्रेम तो करते थे, जितना कि कोई पुरूष कर सकता हैं, परन्तु कुछ और भी हैं जिसे वे मुझसे अधिक प्रेम करते थे और वो था उनके लिए उनका सम्मान, एकदूसरे के प्रति निष्ठा और प्रतिष्ठा की अवधारणाएं,उनकी ये प्रतिबद्धता मेरी पीड़ा से अधिक महत्त्वपूर्ण थीं,वे प्रतिशोध तब लेंगे जब उन्हें ख्याति मिलेगी।

समाप्त.....
सरोज वर्मा.....


Sachin Gupta

Sachin Gupta

Bahut achha prayas,

12 नवम्बर 2021

Pratibha

Pratibha

बहुत बढ़िया

20 सितम्बर 2021

Pratibha

Pratibha

बहुत बढ़िया रचना

20 सितम्बर 2021

Saroj verma

Saroj verma

7 नवम्बर 2021

बहुत बहुत शुक्रिया🙏🙏😊😊

Poonam kaparwan

Poonam kaparwan

अति सुंदर अभिव्यक्ति दी आपने महाभारत का यह चरित्र बहुत व्यापक है।

13 सितम्बर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही अच्छी व्यख्या और लेख प्रस्तुत किया है आपने

11 सितम्बर 2021

Saroj verma

Saroj verma

11 सितम्बर 2021

बहुत बहुत धन्यवाद🙏🙏😊😊

रवीन्‍द्र श्रीमानस

रवीन्‍द्र श्रीमानस

पूर्ण सहमत हूँ आपके विचारो से। द्रौपदी के साथ पहले ही दिन से अन्‍याय शुरू हो गया था और अन्‍त तक जारी रहा। महाभारत में द्रौपदी का पात्र यह सिद्ध करता है कि स्‍त्री का हित एवं मान सम्‍मान प्राचीन काल से ही पुरुषो की परिभाषाओ और आवश्‍यकताओं पर टिका हुआ है। पुरुष की तय करते हैं कि स्‍त्री के लिए क्‍या उचित है क्‍या अनुचित। आश्‍चर्य एवं निराशा का विषय यह है कि इस विमर्श में स्त्रियां स्‍वयं भी शामिल होती आयी हैं।

11 सितम्बर 2021

Saroj verma

Saroj verma

11 सितम्बर 2021

बहुत बहुत धन्यवाद सर,इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु🙏🙏😊😊

1

विकास...

11 सितम्बर 2021
9
13
6

<div align="left"><p dir="ltr">मानव शरीर में तीन अंग महत्वपूर्ण और प्रमुख हैं__<br> मस्तिष्क, हृदय औ

2

द्रौपदी..

11 सितम्बर 2021
9
7
9

<div align="left"><p dir="ltr">मैं द्रौपदी,कितना असहज था ये स्वीकारना कि मेरे पांच पति होगें, माता क

3

गप्प... लपेटों...लपेटों...

11 सितम्बर 2021
9
8
9

<div align="left"><p dir="ltr">चींटी ने भारत के राष्ट्रपति को फोन किया.....<br> राष्ट्रपति जी के टेब

4

संजीवनी

16 सितम्बर 2021
5
7
5

<div align="left"><p dir="ltr">सुबह से रिमझिम रिमझिम बारिश हो रही है और अतुल अपने कमरें की खिड़की से

5

दाँ-एण्ड...

26 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">अरे,सुबह के चार बजे का

6

हास्यकर....

26 अक्टूबर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr"><b>गणित</b> के समीकरणों की तरह हमेशा रिश्तों को हल ही तो करती आई हूँ

7

अस्तित्व...

26 अक्टूबर 2021
3
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">कसूर मेरा ही हैं,<br> पुरूष प्रधान इस दुनिया में<br> जिस पुरुष को मैं

8

मन का मीत

26 अक्टूबर 2021
19
9
4

<div align="left"><p dir="ltr">हल्की बारिश हो रही थी और रात के करीब आठ बज रहे थे ,भार्गव अपनी मोटरसा

9

हाथों में हाथ

26 अक्टूबर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">ये लीजिए मिर्जा साहब! सबकी नजरें बचाकर कुछ जलेबियां आपके लिए छुपा ली

10

अनचाही बेटी...

27 अक्टूबर 2021
2
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है, शिकायत तो तब होगी ना,जब कोई सुनने वा

11

भयानक रात और वो...

27 अक्टूबर 2021
1
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">बात उस समय की है जब मैं बीस साल का था,मैं अपने नानिहाल गया था,नानी और

12

घर का भेदी....

7 नवम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><div align="left"><p dir="ltr">रामू भागते हुए आया.....और जोर से चीखा फिर एकाएक बेह

13

मैं गंगा हूँ

11 नवम्बर 2021
13
7
9

<div><br></div><div><span style="font-size: 16px;">भारत माता ही मेरी माता है, मैं गंगा हूं।वह स्वर्ग

14

हिन्दी साहित्य में प्रकृति चित्रण.....

12 नवम्बर 2021
0
0
0

<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">प्रकृति मानव की चिर सहचरी रही है,इसका मूल कारण यह है कि म

15

मुझे डर लगता है....

13 नवम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">हैलो !अंकल!<br> मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी

16

आक्रोश..

13 नवम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">मुझे एक सच्ची घटना याद आती है,ये बहुत समय पहले की बात है मैं तब आठ-नौ

17

जादू की झप्पी

15 नवम्बर 2021
3
2
4

<div align="left"><p dir="ltr"> प्यार करने वालों के बीच लड़ाई होना आम बात है,लेकिन, इस झगडे़ को

18

बुढ़ापा....

16 नवम्बर 2021
2
1
2

<div align="left"><p dir="ltr">शरीर जब पैदा होता है, तो वह कभी बचपन, कभी जवानी और उसी तरह बुढ़ापा मे

19

नवचेतना

17 नवम्बर 2021
4
1
2

<div align="left"><p dir="ltr">अगर जीवन के किसी मोड़ पर चलते चलते आपको ठोकर लग जाए और थोड़ी देर के ल

20

सत्य की जीत(द्वारिका प्रसाद महेश्वरी)

23 नवम्बर 2021
0
0
0

<p dir="ltr"><b>सत्य की जीत</b><br> <b>(द्वारिका प्रसाद महेश्वरी)</b></p> <p dir="ltr">"सत्य की जीत"

21

सावित्री अम्मा

23 नवम्बर 2021
7
1
4

<div align="left"><p dir="ltr">हमारे मुहल्ले में सावित्री अम्मा रहा करतीं थीं,वो हमारे मुहल्ले की सब

22

आत्मनिर्भर स्त्री

25 नवम्बर 2021
5
1
3

<div align="left"><p dir="ltr">ईश्वर ने जब संसार की रचना की तब उसने रचनात्मकता के शिखर पर नर और नारी

23

दादी की थपकी

1 दिसम्बर 2021
4
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">जब मैं पैदा हुआ था तो मुझे अपनी बाँहों में उठाने वाले पहले हाथ मेरे द

24

आदर्श

14 दिसम्बर 2021
9
7
0

<div align="left"><p dir="ltr">आदर्श एक वाणी सम्बन्धी कलाबाजी है,जो कि मुझे नहीं आती,<br> मैं तो हूं

25

मैं गूँगी नहीं, बना दी गई...

24 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">ये मेरे बचपन की बात है,

26

मधुरिमा

24 दिसम्बर 2021
1
1
2

<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">चल राजू तैयार हो जा, रा

27

सफलता के स्तम्भ...

27 दिसम्बर 2021
2
1
3

<div align="left"><p dir="ltr">सफलता मात्र असफलता का विरोधाभास नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के मन मे

28

खुशी...

28 दिसम्बर 2021
2
0
3

<div align="left"><p dir="ltr">आज लुट चुकी थी उसकी हर खुशी,<br> जब उसके सामने पति की अर्थी उठी,<br>

29

वृक्षारोपण...

29 दिसम्बर 2021
2
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">वृक्ष का संबंध मनुष्य के आरंभिक जीवन से है, मनुष्य की सभ्यता इन वृक्ष

30

श्रापित आईना

30 दिसम्बर 2021
2
0
1

<div align="left"><p dir="ltr">अच्छा तो बच्चों कैसा लगा घर?<br> समीर ने सारांश और कृतज्ञता से पूछा।।

31

लाटी--(शिवानी की कहानी)

30 दिसम्बर 2021
2
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">लम्बे देवदारों का झुरमुट झक-झुककर गेठिया सैनेटोरियम की बलैया-सी ले रह

32

माण्डवी की विरह वेदना

6 जनवरी 2022
0
0
0

मैं माण्डवी ,मिथिला के राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बड़ी पुत्री मांडवी अप्रतिम सुंदरी व विदुषी थी, बचपन से ही सीता को अपना आदर्श मानने वाली मांडवी गौरी की अनन्य भक्त भी थी,श्रीरामचंद्र के धनुष तोडऩ

33

अध्यात्मिक जीवन

11 जनवरी 2022
1
0
0

“विचार व्यक्तित्त्व की जननी है, जो आप सोचते हैं बन जाते हैं”-- स्वामी विवेकानन्द.. आध्यात्मिक जीवन एक ऐसी नाव है जो ईश्वरीय ज्ञान से भरी होती है,यह नाव जीवन के उत्थान एवं पतन के थपेड़ों से हिलेगी-डोलेग

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए