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हाथों में हाथ

26 अक्टूबर 2021

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ये लीजिए मिर्जा साहब! सबकी नजरें बचाकर कुछ जलेबियां आपके लिए छुपा ली थीं,ये जानते हुए भी कि आपको डायबीटिज है लेकिन कमबख्त दिल के हाथों मजबूर हो गई,आपके लिए तो हर गुनाह मंजूर है,मेहरूनिन्सा ने अपने शौहर गुलशन मिर्जा से कहा।।
हम जानते हैं बेगम साहिबा!आप हमारे लिए कुछ भी कर सकतीं हैं, इसलिए तो हम भी आपके लिए ये कच्ची इमलियां लाए हैं जो कि आपको बहुत पसंद हैं, मिर्जा साहब बोले।।
आपको याद है मिर्जा साहब !जब आप हमारे गांव अपने दोस्त के साथ हमें देखने आए थे तो हम इमली के पेड़ पर चढ़कर इमलियां तोड़ रहे थे, इतने में माली आ गया और हम भागने लगे तभी आप हमारे रास्ते में पड़े और हमने आपको माली की तरफ जोर से धकेला और हम भाग गए,ये कहते कहते मेहरुन्निसा ठहाका लगाकर हंस पड़ी।।
हमें क्या पता था कि हमारा निकाह एक इमली चोर के संग पढ़वा दिया जाएगा, मिर्जा साहब बोले।।
तो क्या ये इमली चोर आपको पसंद नहीं थी? मेहरूनिन्सा ने पूछा।।
पसंद थी, अब भी है पसंद और आगे भी पसंद रहेगी, मिर्जा साहब बोले।।
सच, मिर्जा साहब! आप हमसे इतनी मौहब्बत करते हैं, मेहरुन्निसा ने पूछा।।
हां! और हमेशा आपसे मौहब्बत रहेगी, मिर्जा साहब बोले।।
अब हम लोग दादा दादी और नाना-नानी बन गए हैं और अब तो हमारे बच्चे भी नाना-नानी और दादा-दादी बनने वाले हैं और अब भी मेरे हाथों में आपका हाथ है, मेहरुन्निसा बोली।।
और ये हाथ हमेशा हमेशा यूं ही आपके हाथों में रहेगा,अब चलिए घर चलते हैं,पार्क में बैठे बैठे बहुत देर हो गई, मिर्जा साहब बोले।।
आप ये जलेबियां खा लीजिए और हम ये इमलियां खत्म कर लें फिर घर चलते हैं नहीं तो बच्चे नहीं खाने देंगे, मेहरुन्निसा बोली।।
ठीक है, मिर्जा साहब बोले।।
और दोनों ने अपनी अपनी मनपसंद चीज़ें खत्म की फिर पार्क से चल दिए हाथों में हाथ थामकर।।

समाप्त....
सरोज वर्मा.....


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