रामू भागते हुए आया.....और जोर से चीखा फिर एकाएक बेहोश होकर गिर पड़ा....
ये देखकर रामलाल घबरा गया कि अचानक ये क्या हो गया रामू को,उसने अपनी पत्नी दुलारी को बुलाते हुए कहा....
सुनती हो,जरा आकर देखो तो रामू को क्या हो गया है?
दुलारी भागते हुए और रामू को देखकर बोली....
जल्दी से पानी छिड़को इस पर ,हो ना हो ये उसी का काम है शायद उसे देखकर डर गया होगा...
रामलाल ने जल्दी से रामू के चेहरे पर पानी छिड़का,रामू होश में तो आ गया लेकिन वो बहुत डरा हुआ था,उसकी हालत देखकर रामलाल ने पूछा....
क्या हुआ रे! डरा हुआ क्यों है?
बाबू ! मैने उसे देखा,पता नहीं अँधेरे में किसे घसीटकर लिए जा रही थी? पीछे से इतनी डरावनी लग रही थी और वो उस गाँव के बाहर वाले खण्डहर में चली गई,उसे देखकर मैं इतना डर गया कि....रामू बोला।।
मना किया था ना उधर मत जाना,वो खून की प्यासी है किसी को नहीं छोड़ेगी देख लेना,उस पर चाँद का शाप है,दुलारी बोली।।
अच्छा! तू जाके सो जा,वो कुछ नहीं करेगी,मैं हूँ ना!रामलाल बोला।।
और रामू जाकर सो गया, रामलाल ने दुलारी से कहा..
बच्चे से ऐसी बातें मत किया कर,वो डर जाता तो....
ठीक है ठीक है.,मुझे मत समझाओ और इतना कहकर दुलारी सोने चली गई...
सुबह रामलाल स्कूल पहुंँचा,वो गाँव के स्कूल में प्यून है,रामलाल का मन आज अच्छा नहीं था....
उसे देखकर नए हेडमास्टर साहब ने पूछा...
क्या बात है रामलाल? कुछ परेशानी हो तो कहो...
अब क्या कहूँ? हेडमास्टर साहब! सालों से बहुत बड़ा बोझ लिए घूम रहा हूँ,किसी से कह भी नहीं सकता...अगर कहा तो ये गाँववाले मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगें,रामलाल बोला।
ऐसी भी क्या बात है,मुझे तो बता ही सकते हो,हेडमास्टर साहब बोले।।
लेकिन अगर आपने किसी से बोल दिया तो मुझे अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा,रामलाल बोला।।
मैं किसी से कुछ भी नहीं कहूँगा,मेरा विश्वास करो,हेडमास्टर साहब बोले।।
लेकिन आपको इस गाँव में आएं अभी पन्द्रह दिन हुए हैं,आपसे कैसे कह दूँ?रामलाल बोला।।
तुम कहो,सच में तुम्हारी बात इधर से उधर ना होगी,हेडमास्टर साहब बोले।।
ठीक है तो सुनिए रामलाल ने बोलना शुरू किया....
वो जो गाँव के बाहर खण्डहर है ना,वहाँ कोई चुड़ैल नहीं रहती,ना ही उस पर कोई चाँद का शाप है,वो एक साधारण औरत है लेकिन लोगों ने अपने कर्म छुपाने के लिए उसे चुड़ैल घोषित कर दिया,वो हमारे बगल वाले गाँव की डाक्टरनी थी....
क्या कहा डाक्टरनी?हेडमास्टर साहब ने पूछा...
रामलाल फिर बोला...
हाँ,डाक्टरनी थी,दोनों गाँव के लोंग अपनी अपनी गर्भवती पत्नियों की चाँज शहर से करवाकर लाते थे,बेटा होता था तो रख लेते थे और बेटी होती थी तो डाक्टरनी से गर्भपात करने के लिए कहते थे,पहले पहल तो डाक्टरनी गर्भपात कर देती थी क्योंकि उसे लगता था कि ये लोंग जनसंख्या नहीं बढ़ाना चाहते लेकिन जब उसे पता चल गया कि ये लोग कन्याभ्रूण हत्या करवाते हैं तो उसने साफ साफ मना कर दिया,फिर गाँववालों ने मिलकर उसे चुड़ैल साबित कर दिया और रहने के लिए खण्डहर दे दिया,सालों से वो वही रह रही है,गाँव के घरों से उसे खाना पहुंच जाता है लेकिन उस पर नजर भी रखी जाती है कि वो गाँव से कहीं बाहर ना जा पाए,किसी बाहर वाले से कुछ ना बता पाए,आज आपसे कहकर मन का बोझ हल्का हो गया....
तुम चिंता मत करो, मैं पुलिस का ही आदमी हूँ और मुझे यहाँ डाक्टरनी को खोजने ही भेजा गया है,उनके घरवाले ढ़ूंढ़ ढ़ूढ़ कर थक गए,जब मुझ तक ये बात पहुंची तो मैं यहाँ उन्हें खोजने आ पहुंचा,हेडमास्टर साहब बोले।।
लेकिन आप मेरा नाम मत लेना,रामलाल बोला।।
शक तो मुझे भी था लेकिन आज तुम्हारे मुँह से सुनकर यकीन हो गया,मैं आज ही शहर खबर भेजकर और पुलिसफोर्स मँगाता हूँ और डाक्टरनी को यहाँ से ले जाऊँगा,हेडमास्टरसाहब बोले।।
और यही हुआ डाक्टरनी को गाँव से आजाद करा लिया गया और डाक्टरनी के गाँव से जाते ही चाँद के शाप की झूठी अफवाह भी खत्म हो गई,इस तरह से रामलाल उस गाँव का भेदी बन गया और उसने कहावत को यथार्थ में बदल दिया कि घर का भेदी, लंका ढ़ाए।।
समाप्त...
सरोज वर्मा...