सफलता मात्र असफलता का विरोधाभास नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के मन में दबी हुई इच्छाओं का एक ऐसा मोती है, जिसे हर कोई अपनी हथेली में रखना चाहता है, इसे पाने की प्रबल इच्छा व्यक्ति को शून्य से शिखर तक पहुँचा देती है, ना जाने कितने लोग दिन-प्रतिदिन सफलता प्राप्त करते हैं, पर क्या कारण है कि उन असंख्य लोगों में हमारी गिनती नहीं होती? हम सफलता से इतने दूर क्यों है? इसके लिए मन में विजेता बनने का निश्चय करना जरुरी है,
जिस तरह देशाटन के लिए नक्शा, और जहाज चालक को दिशा सूचक की आवश्यकता पड़ती है,उसी प्रकार मनुष्य जीवन में लक्ष्य का निर्धारण करना अति आवश्यक है, एक कहावत है कि 'जो नाविक अपनी यात्रा के अंतिम बंदरगाह को नहीं जानता उसके अनुकूल हवा कभी नहीं बहती', अर्थात् है कि अपना एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित करें,लक्ष्य के प्रति उत्साह, उमंग ना हो, तो सफलता सदा संदेहयुक्त बनी रहेगी, आधे अधूरे मन से, बेगार टालने जैसे काम पर किसी भी महत्वपूर्ण उपलब्धि की आशा नहीं की जा सकती,मनोविज्ञान का एक सिद्धांत है कि 'उत्साह और उमंग' शक्तियों का स्रोत है, इसके अभाव में मानसिक शक्तियाँ परिपूर्ण होते हुए भी किसी काम में प्रयोग नही की जा सकतीं,समय का सदप्रयोग करना निर्धारित लक्ष्य की दिशा में कारगार सिद्ध होता है,इसलिए समय को ब्यर्थ ना गँवाते हुए उसका सदप्रयोग करें।।
सफल और असफल व्यक्तियों की आरंभिक क्षमता, योग्यता और अन्य बाह्य परिस्थितियों की तुलना करने पर कोई विशेष अंतर नहीं दिखता,फिर भी दोनों की स्थिति में आसमान और धरती का अंतर आ जाता है। इसका एकमात्र कारण है कि एक ने अपनी क्षमताओं को एक सुनिश्चित लक्ष्य की ओर सुनियोजित किया, जबकि दूसरे के जीवन में लक्ष्यविहीनता और अस्त-व्यस्तता बनी रही।
"जीवन में आप जो चाहते हैं वह आपके लिए नया हो सकता है, लेकिन यह दुनिया के लिए अद्वितीय नहीं है,आपके पास इसे करने का एक वैकल्पिक तरीका हो सकता है, लेकिन यह इसे एक नया रास्ता नहीं बनाता है,कुछ लोगों ने उस क्षेत्र में महानता के लिए पैटर्न निर्धारित किया है"- मार्जोरी जे मैकडॉनल्ड्स
सफलता एक ऐसा मूल्यवान शब्द है जिसका एक महत्वपूर्ण स्थान हर इंसान की जिंदगी मे होता है, सफलता इंसान के कठिन परिश्रम का परिणाम होती है , एक व्यक्ति ने अपने सम्पूर्ण जीवन मे जितने भी कठिन परिश्रम किये है उन सभी का परिचय उनकी सफलता ही देती है, एक व्यक्ति अपने जीवन के शुरुआती दौर से ही परिश्रम की सीढ़ी चढ़ना शुरू कर देता है, एक व्यक्ति के जीवन मे उसके कठिन परिश्रम करने का आरंभ तभी से हो जाता है जबसे वह व्यक्ति अपने शिक्षा युग मे प्रवेश करता है, शिक्षा का शुरुआती दौर थोड़ा आसान होता है लेकिन धीरे-धीरे समय जैसे-जैसे अपनी गति पकड़ता है वैसे-वैसे शिक्षा का यह दौर बढ़ता चला जाता है,
समय के साथ साथ सफलता प्राप्त करने हेतु कठिन परिश्रम अधिक से अधिक करना पड़ता है,जैसा कि एक कहावत है कि 'कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है' बिना कठिन परिश्रम किए सफलता प्राप्त नही हो सकती है,जो व्यक्ति अपना कोई भी कार्य पूरे मन व एकाग्रता से करता है वही व्यक्ति अपने जीवन मे सफलता हासिल कर पाता है, ये बात बिलकुल सच है कि सफलता का चिराम एकमात्र कठिन परिश्रम रूपी घी के माध्यम से ही प्रज्वलित हो सकता है ।
यहाँ सफलता के कुछ महत्वपूर्ण स्तम्भ...
1. बड़े स्वप्न देखें –
हमारे राष्ट्रपति कलाम साहब कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को बड़े सपने देखने चाहिए, जो लोग बड़े सपने नहीं देखते, वो बड़े बन भी नहीं सकते, मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में कलाम को देश के प्रथम व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त है, उसके पीछे उनके बड़े सपने हैं, जिनके कारण वो इस मुकाम को हासिल कर पाए।
2. अवसर को पहचानें –
अवसर किसी के द्वार पर बार-बार दस्तक नहीं देता,प्रसिद्ध विचारक स्वेट मॉर्डन ने लिखा है कि अवसर लोगों का द्वार एक बार नहीं, बल्कि बार-बार खटखटाता है, परंतु बहुत कम लोग होते हैं, जो उसकी आवाज सुनकर द्वार खोलते हैं, इसलिए अवसर को देखने की पैनी नजर होनी चाहिए, जिस तरह एक शिकारी अपने शिकार पर नजर रखता है और शिकार मिलते ही ट्रीगर दबाता है, उसी तरह अवसर को झपट लेना चाहिए।
3. समर्पणभाव –
समर्पण को हार की निशानी माना जाता है, परंतु वास्तविकता यह है कि समर्पणभाव से जीत की नींव मजबूत होती है, कोई भी काम करना और समर्पण भाव से काम करना, यह दोनों ही दो अलग-अलग स्थिति है, समर्पण भाव से काम करने का अर्थ है- आप अपने प्रति पूरी तरह से ईमानदार है, अर्थात् आप अपनी संपूर्ण योग्यता, क्षमता, एकाग्रता के साथ सफलता के लिए प्रयास कर रहे है। इसके लिए आप हाथ में लिए गए काम को पूरी गहराई से जानेंगे, उसके लाभ-हानि को समझने का प्रयास करेंगे और फिर निश्चित रूप से सफल होंगे।
4. खतरे उठाने के प्रयास –
अर्थशास्त्र का एक सामान्य नियम है – लाभ पाने के लिए जोखम उठाएँ, इसका सीधा अर्थ यह है कि आप जितने अधिक खतरे उठाएँगे, आपको उतना अधिक लाभ होगा,किंतु यह खतरे अपनी शक्ति, सुविधा और योग्यता के अनुसार होने चाहिए।
5. विजेता होने की जिद – वैसे तो जिद्दी व्यक्तियों को योग्य नहीं माना जाता, पर यदि ये जिद जीतने के लिए की जाए, तो अवश्य सफलता की ओर ले जाती है, जिद एक ऐसी अमूल्य वस्तु है, जिसके बल पर व्यक्ति जमीन आसमान एक कर के सफलता की बुलंदियों को छू सकता है, जब जीवन में निराशा छा गई हो, तब जिद और वह भी आशा को पाने की जिद सफलता दिलाती ही है।।
6.जिम्मेदारी खुद लें - आपको जो भी काम मिले उसकी आप खुद ही जिम्मेदारी लें,इसका लाभ यह होगा कि आप स्वयं उस काम को महत्व देने लगेंगे,कौन सा काम कब और कैसे करना है ?इसके बारे में पहले ही तय कर लें इससे आप का समय तो बचेगा ही आपको काम से कुछ नसीहत भी मिलेगी.
7. काम पर ध्यान केंद्रित करें - जो लोग अपने काम से जल्दी ऊब जाते हैं , उन्हें प्रायः सफलता नहीं मिलती . इसलिए किसी भी काम से तब तक अपना ध्यान न हटाएं जब तक कि आप उसे उसके लक्ष्य तक नहीं पहुँच जाते.इसके लिए निरंतर प्रयास करने होंगे.
8.लड़ना सीखें : आप जो हासिल करना चाहते हैं या जो बनना चाहते हैं उसके लड़ना भी सीखें, आप अपने लक्ष्य को तभी हासिल कर पाएंगे जब आप साहस के साथ उसके लिए निरंतर प्रयास करेंगे।।
9.गुणवान लोगों के साथ काम करें - आप यह कोशिश करें कि उसी व्यक्ति के साथ काम करें जिससे कि कुछ सीख सकें,इसलिए अच्छे और गुणी लोगों के साथ काम करें,ऐसा इसलिए क्योंकि गुणवान व्यक्ति आपको अच्छे कामों के लिए हमेश प्रोत्साहित भी करेगा।।
10.अनुशासित रहें : जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है,इसलिए हमेशा अनुशासित रहें,अनुशासन ही हमें अपना लक्ष्य एक निर्धारित समय में पूरा करने के लिए प्रेरित करता है, अनुशासन के बिना सफलता संदिग्ध रहती है,इसलिए अपने जीवन में अनुशासन का विशेष ध्यान रखें,सदैव सकारात्मक रहें।।
सफलता के लिए उपर्युक्त स्तम्भ अति आवश्यक है।।
समाप्त....
सरोज वर्मा.....