shabd-logo

मैं गूँगी नहीं, बना दी गई...

24 दिसम्बर 2021

20 बार देखा गया 20

ये मेरे बचपन की बात है,तब मैं अपनी नानी के यहाँ कभी कभार जाती थीं, उस समय के गाँव और अब के गाँव में बहुत फर्क हैं, लगभग तीस साल पहले की बात होगी, उस समय ज्यादा समझ तो थी नहीं दुनिया दारी की लेकिन लोगों को देखकर उनकी बातों का मतल़ब थोड़ा थोड़ा समझ आ ही जाता था।

तो नानी के ही पड़ोस में एक परिवार रहा करता था,उनकी बड़ी बहु इतनी सुघड़ और काम काज मे इतनी चतुर की मुहल्ले पड़ोस के लोग अपनी बहुओं को उसका उदाहरण देते नहीं थकते,देखने मे इतनी सुन्दर की चाँद भी शरमा जाए,दो बच्चों के बाद भी उसकी सुन्दरता में कोई कमी नहीं आई थी,बहु इतनी सुन्दर थी और अपने मायके मे इकलौती लड़की थी तो उसके माँ बाप ने उसका नाम प्यार से राजाबेटी रखा था और उस समय ऐसे ही नाम रखे जाते थे।

चाहे कोई भी ऋतु हो,बेचारी सुबह के तीसरे पहर से उठ जाती,पहले चकरी मे आटा पीसती फिर कुएँ से पानी भरकर लाती,फिर जानवरोँ का दाना पानी करके,गोबर उठाकर खलिहान मे ले जाकर कंडे पाथती,फिर स्नान ध्यान करके चूल्हे मे लग जाती ,वहाँ से रीतती तो खेत पर खाना देने जाती,ऊपर से तीन देवर और दो ननदो को भी सम्भालती,बच्चे तो दादी देख लेती।

लेकिन उस पर भी उसकी सास पानकुँवर उससे खुश नहीं थीं, हमसे यही ताना मारती रहती,कुछ नहीं सिखाया माँ बाप ने,ठग लिया इसके बाप,मेरा हीरे जैसा बेटा,ये कहीं से भी मेरे बेटे के लायक नहीं हैं।

और पानकुँवर ना तो खुद सुन्दर थी और ना उसके बेटे,ना कोई व्यवहारदारी आती और ना बड़ो का सम्मान करना,खूब अनाप सनाप की जमीन थी तो खेतीं खूब होती तो बेटे बस खाकर पड़े रहते,ना कभी कोई काम ना काज,बाप सारी खेती सम्भालता था और मजदूर भी रखें थे क्योंकि पानकुँवर को पसन्द नहीं था कि उसके चारों बेटे धूप मे काम करें।

घर का काम बहु के जिम्मे था और बेटो की शादी तो हो गई थी लेकिन गौना नहीं हुआ था,बेटियाँ भी कोई भी हाथ ना बँटाती भौजाई का।

  और पानकुँवर देवी को इस बात का बहुत घमंड था कि मेरे चार चार बेटे हैं खानदान मे अभी तक मेरे जैसे कोई भी चार चार बेटोँ की माँ नहीं हुई लेकिन जो भी हो बेचारी राजाबेटी का जीवन दूभर हो चुका था सास के ताने सुन सुनकर, इतनी कोशिश करती सास को खुश रखने की लेकिन पानकुँवर का मुँह ही बना रहता।

 राजाबेटी के द्वार से कोई साधु,भिक्षु खाली हाथ ना लौटता लेकिन जब पानकुँवर देवी घर मे होती तो मजाल हैं कि किसी को एक लोटा जल भी मिल जाए,राजाबेटी माँ बाप से कहती तो वे कहते कि तेरा भाग्य हैं बेटा ! ससुराल हैं सब सहना पड़ता हैं अब यहीं तेरा घर हैं, तेरी अर्थी भी यही से निकलेगी, पता नहीं मायके वाले बेटी को गलत सहने की सलाह क्यों देते हैं।

बेचारी राजाबेटी बारह साल से सब सह रही थी,लेकिन चूँ ना करती और कभी कभी पानकुँवर अपने बेटे से चुँगली लगा देती तो राजाबेटी को बेरहमी के साथ पीट भी दिया जाता था।

लेकिन राजाबेटी ने ना कभी पति और ना कभी सास को कभी भी कुछ गलत नहीं कहा,मुहल्ले पड़ोस के लोग देखते और सुनते तो कहते कि ऐसी लक्ष्मी जैसी बहु मिली हैं इसलिए कदर नहीं है, आते ही चूल्हा अलग कर लेती तब पता चलता,गूँगी बहु मिली हैं, बोलने वाली होती तो अब तक सबको ठिकाने लगा चुकीं होती।

 फिर एक दिन पानकुँवर के बगल वाले घर में कुछ शोर सुनाई दिया,सब घरों से बाहर आ गए, पता चला कि उनकी बेटी ससुराल नहीं जाना चाहती, ससुराल वालों से तंग आ चुकी हैं फिर भी उसे जबर्दस्ती ससुराल भेजा जा रहा हैं और सब लड़की को समझाने में लगें थे कि वो ही तुम्हारा घर हैं यहाँ कब तक बनी रहोगी और लड़की चीख चीख कर कह रही थीं कि वो नहीं जाएगी,कुछ देर तमाशा यूं ही चलता रहा लेकिन उस लड़की की मदद करने सामने कोई नहीं आया।

 अब राजाबेटी से सहन ना हुआ और घूँघट ओढ़कर वो द्वार पर निकल आई,लड़की फिर चिल्लाई अब इस बार राजाबेटी ने अपना घूँघट ऊपर किया उस लड़की का हाथ थामा और बोली अब जिसकी हिम्मत हैं वो इसे ससुराल भेजकर दिखाएं और पास में खड़े एक बुजुर्ग की लाठी भी छीनकर अपने हाथ मे ले ली।

 अब पानकुँवर का गुस्सा साँतवें आसमान पर और बहु को धमकाने लगी___

  लेकिन राजाबेटी तो अब झाँसी की रानी बन चुकी थी जो लताड़ा सास को कि वो उसका मुँह ही देखते रह गई, वो बोली___

अच्छा! तो ठग लिया मेरे बाप ने,कुछ नहीं सिखाया मेरे बाप ने,तुमने अपने बेंटों को देखा हैं,शुकर करो कि मैने शादी कर ली तुम्हारे बेटे से,तुम अपने बेटो को हीरा कहती हो ना,वे हीरा नहीं हैं ढ़ोर हैं...ढो़र,अरे! इनसे अच्छे तो ढ़ोर भी होते हैं कम से कम जुगाली करते हैं, तालाब पर नहा आते हैं, जंगलों में घूमते हैं और एक तुम्हारे बेटे हैं ना कोई शील हैं और ना कोई संस्कार,तुम्हारे द्वार से साधु महात्मा भूखे ही लौट जाते हैं, यही तो सिखाया हैं तुमनें अपने बेटों को क्योंकि तुम ने तो दान धरम सीखा ही नहीं तो वो क्यों सीखेगें, तभी राजाबेटी का पति आकर बोला___

  क्यों बहुत बोलने लगी हैं जुबान आ गई हैं मुँह मेंं।

राजाबेटी बोली, हाँ, आ गई हैं, मैं गूँगी थी नहीं बना दी गई,जितना काम मै तुम्हारे यहाँ करती हूँ कहीं और करती तो ना जाने कितना कमा लेती लेकिन मुझे लगता था कि ये मेरा घर हैं इसलिए कर रही थी और जिसे भी जो करना है कर ले लेकिन मै इस इस लड़की को ससुराल नहीं जाने दूँगी और राजाबेटी उस लड़की का हाथ पकड़ कर मंदिर की धर्मशाला की ओर चल पड़ी,धर्मशाला मे रहने लगी,बहुत मेहनत की और कुछ इसी तरह की लड़कियों को इकट्ठा कर बाँस के पंखे,सूप,डलिया,बनाने लगी ,फिर धीरे धीरे एक छोटा सा कुटीर उद्योग लगा लिया, अब राजाबेटी बहुत बूढ़ी हो चुकी हैं लेकिन उसका बहुत नाम हैं, उसने सही समय पर सही फैसला लिया और दूसरों को भी सहारा दिया।


समाप्त.....

सरोज वर्मा....

1

विकास...

11 सितम्बर 2021
9
13
6

<div align="left"><p dir="ltr">मानव शरीर में तीन अंग महत्वपूर्ण और प्रमुख हैं__<br> मस्तिष्क, हृदय औ

2

द्रौपदी..

11 सितम्बर 2021
9
7
9

<div align="left"><p dir="ltr">मैं द्रौपदी,कितना असहज था ये स्वीकारना कि मेरे पांच पति होगें, माता क

3

गप्प... लपेटों...लपेटों...

11 सितम्बर 2021
9
8
9

<div align="left"><p dir="ltr">चींटी ने भारत के राष्ट्रपति को फोन किया.....<br> राष्ट्रपति जी के टेब

4

संजीवनी

16 सितम्बर 2021
5
7
5

<div align="left"><p dir="ltr">सुबह से रिमझिम रिमझिम बारिश हो रही है और अतुल अपने कमरें की खिड़की से

5

दाँ-एण्ड...

26 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">अरे,सुबह के चार बजे का

6

हास्यकर....

26 अक्टूबर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr"><b>गणित</b> के समीकरणों की तरह हमेशा रिश्तों को हल ही तो करती आई हूँ

7

अस्तित्व...

26 अक्टूबर 2021
3
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">कसूर मेरा ही हैं,<br> पुरूष प्रधान इस दुनिया में<br> जिस पुरुष को मैं

8

मन का मीत

26 अक्टूबर 2021
19
9
4

<div align="left"><p dir="ltr">हल्की बारिश हो रही थी और रात के करीब आठ बज रहे थे ,भार्गव अपनी मोटरसा

9

हाथों में हाथ

26 अक्टूबर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">ये लीजिए मिर्जा साहब! सबकी नजरें बचाकर कुछ जलेबियां आपके लिए छुपा ली

10

अनचाही बेटी...

27 अक्टूबर 2021
2
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है, शिकायत तो तब होगी ना,जब कोई सुनने वा

11

भयानक रात और वो...

27 अक्टूबर 2021
1
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">बात उस समय की है जब मैं बीस साल का था,मैं अपने नानिहाल गया था,नानी और

12

घर का भेदी....

7 नवम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><div align="left"><p dir="ltr">रामू भागते हुए आया.....और जोर से चीखा फिर एकाएक बेह

13

मैं गंगा हूँ

11 नवम्बर 2021
13
7
9

<div><br></div><div><span style="font-size: 16px;">भारत माता ही मेरी माता है, मैं गंगा हूं।वह स्वर्ग

14

हिन्दी साहित्य में प्रकृति चित्रण.....

12 नवम्बर 2021
0
0
0

<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">प्रकृति मानव की चिर सहचरी रही है,इसका मूल कारण यह है कि म

15

मुझे डर लगता है....

13 नवम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">हैलो !अंकल!<br> मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी

16

आक्रोश..

13 नवम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">मुझे एक सच्ची घटना याद आती है,ये बहुत समय पहले की बात है मैं तब आठ-नौ

17

जादू की झप्पी

15 नवम्बर 2021
3
2
4

<div align="left"><p dir="ltr"> प्यार करने वालों के बीच लड़ाई होना आम बात है,लेकिन, इस झगडे़ को

18

बुढ़ापा....

16 नवम्बर 2021
2
1
2

<div align="left"><p dir="ltr">शरीर जब पैदा होता है, तो वह कभी बचपन, कभी जवानी और उसी तरह बुढ़ापा मे

19

नवचेतना

17 नवम्बर 2021
4
1
2

<div align="left"><p dir="ltr">अगर जीवन के किसी मोड़ पर चलते चलते आपको ठोकर लग जाए और थोड़ी देर के ल

20

सत्य की जीत(द्वारिका प्रसाद महेश्वरी)

23 नवम्बर 2021
0
0
0

<p dir="ltr"><b>सत्य की जीत</b><br> <b>(द्वारिका प्रसाद महेश्वरी)</b></p> <p dir="ltr">"सत्य की जीत"

21

सावित्री अम्मा

23 नवम्बर 2021
7
1
4

<div align="left"><p dir="ltr">हमारे मुहल्ले में सावित्री अम्मा रहा करतीं थीं,वो हमारे मुहल्ले की सब

22

आत्मनिर्भर स्त्री

25 नवम्बर 2021
5
1
3

<div align="left"><p dir="ltr">ईश्वर ने जब संसार की रचना की तब उसने रचनात्मकता के शिखर पर नर और नारी

23

दादी की थपकी

1 दिसम्बर 2021
4
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">जब मैं पैदा हुआ था तो मुझे अपनी बाँहों में उठाने वाले पहले हाथ मेरे द

24

आदर्श

14 दिसम्बर 2021
9
7
0

<div align="left"><p dir="ltr">आदर्श एक वाणी सम्बन्धी कलाबाजी है,जो कि मुझे नहीं आती,<br> मैं तो हूं

25

मैं गूँगी नहीं, बना दी गई...

24 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">ये मेरे बचपन की बात है,

26

मधुरिमा

24 दिसम्बर 2021
1
1
2

<p style="color: rgb(62, 62, 62); font-family: sans-serif; font-size: 18px;">चल राजू तैयार हो जा, रा

27

सफलता के स्तम्भ...

27 दिसम्बर 2021
2
1
3

<div align="left"><p dir="ltr">सफलता मात्र असफलता का विरोधाभास नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के मन मे

28

खुशी...

28 दिसम्बर 2021
2
0
3

<div align="left"><p dir="ltr">आज लुट चुकी थी उसकी हर खुशी,<br> जब उसके सामने पति की अर्थी उठी,<br>

29

वृक्षारोपण...

29 दिसम्बर 2021
2
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">वृक्ष का संबंध मनुष्य के आरंभिक जीवन से है, मनुष्य की सभ्यता इन वृक्ष

30

श्रापित आईना

30 दिसम्बर 2021
2
0
1

<div align="left"><p dir="ltr">अच्छा तो बच्चों कैसा लगा घर?<br> समीर ने सारांश और कृतज्ञता से पूछा।।

31

लाटी--(शिवानी की कहानी)

30 दिसम्बर 2021
2
1
1

<div align="left"><p dir="ltr">लम्बे देवदारों का झुरमुट झक-झुककर गेठिया सैनेटोरियम की बलैया-सी ले रह

32

माण्डवी की विरह वेदना

6 जनवरी 2022
0
0
0

मैं माण्डवी ,मिथिला के राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बड़ी पुत्री मांडवी अप्रतिम सुंदरी व विदुषी थी, बचपन से ही सीता को अपना आदर्श मानने वाली मांडवी गौरी की अनन्य भक्त भी थी,श्रीरामचंद्र के धनुष तोडऩ

33

अध्यात्मिक जीवन

11 जनवरी 2022
1
0
0

“विचार व्यक्तित्त्व की जननी है, जो आप सोचते हैं बन जाते हैं”-- स्वामी विवेकानन्द.. आध्यात्मिक जीवन एक ऐसी नाव है जो ईश्वरीय ज्ञान से भरी होती है,यह नाव जीवन के उत्थान एवं पतन के थपेड़ों से हिलेगी-डोलेग

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए